नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नए कृषि कानूनों के निरसन (रद्द) से कुछ भी कम स्वीकार्य नहीं होगा।
सरकार ने गुरुवार को किसान संगठनों से उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के उसके प्रस्तावों पर गौर करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब भी किसान संगठन चाहें, वह उनके साथ अपनी इस पेशकश पर चर्चा के लिए तैयार है।
टिकैत ने कहा कि उसे (सरकार को) पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह कब और कहां हमारे साथ बैठक करना चाहती है जैसा कि उसने पिछली वार्ताओं के लिए किया। यदि वह हमें वार्ता का निमंत्रण देती है तो हम अपनी समन्वय समिति में उस पर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे।
भाकियू नेता ने कहा कि जब तक सरकार तीनों कानूनों को निरस्त नहीं करती है तब तक घर लौटने का सवाल ही नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने आगे की चर्चा के लिए न्योता भेजा है तो उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को ऐसा कुछ नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि किसान नये कृषि कानूनों के निरसन से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे। किसान नेताओं ने गुरुवार को घोषणा की थी कि यदि उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तो वे देशभर में रेलमार्गों को जाम कर देंगे और शीघ्र ही उसकी तारीख घोषित करेंगे।
हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आशा जताई है कि शीघ्र ही हल निकल आएगा। उन्होंने केंद्रीय खाद्य एवं रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं से कहा कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ और चर्चा करने के लिए तैयार है, हमने किसान संगठनों को अपना प्रस्ताव भेजा है।
जारी रखूंगा धरना : दूसरी ओर, कृषि कानूनों के विरोध में नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर 11 दिनों से धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानुप्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती, तब तक वह अपना धरना जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री या अन्य कोई अन्य मंत्री इस समस्या का हल नहीं कर सकता है।