नई दिल्ली। दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान सिरदर्द, सर्दी, खांसी और जोड़ों में दर्द होने पर विभिन्न शिविरों में मुफ्त मिल रहीं गोलियों के बजाय डॉक्टर मोहम्मद सलीमुद्दीन के हाथ से बनाए चूरन का सेवन करने को तरजीह दे रहे हैं। सलीमुद्दीन का कहना है कि यह चूरन जड़ी-बूटियों का बना है।
भारतीय किसान समिति द्वारा लगाए गए शिविर में डॉक्टर सलीमुद्दीन की मेज पर डिब्बों का अंबार लगा हुआ है, जिनमें चूरन, लेबल लगी हुई हल्दी, अश्वगंधा, कालीमिर्च और मैथी के बीज समेत कई चीजें रखी हुई हैं।
डॉक्टर सलीमुद्दीन ने कहा, जोड़ों के दर्द के लिए वह हल्दी और अश्वगंधा के मिश्रण का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं, जबकि कालीमिर्च ठंड से बचाती है। लंबे समय तक इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करने से कोई भी बीमारी दूर हो जाती है। डॉक्टर सलीमुद्दीन ने बताया कि वह पिछले 20 साल के हैदराबाद में प्राकृतिक चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम रोजाना 100-150 रोगियों को देखते हैं, जिनमें से अधिकतर सर्दी, सिरदर्द, बुखार और जोड़ों में दर्द की शिकायत लेकर आते हैं। हमारे पास आने वाले ज्यादातर बुजुर्ग किसान हैं, जो ठंड के चलते घुटनों और पीठ दर्द से परेशान हैं।
डॉक्टर से जब यह पूछा गया कि उन्हें क्यों लगता है कि किसान अन्य चिकित्सा शिविरों में दिए जा रहे आधुनिक उपचार के बजाय आपके पास आएं, तो एक मरीज ने तुरंत बोला, हम किसान हैं और किसी और के बजाए हमेशा 'देसी' इलाज पर भरोसा करते हैं।
गौरतलब है कि हजारों किसान केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर तीन सप्ताह से सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।(भाषा)