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गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े किसान, बोले- सरकार अपना रही है दमनकारी रवैया

हमें फॉलो करें गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े किसान, बोले- सरकार अपना रही है दमनकारी रवैया
, रविवार, 17 जनवरी 2021 (19:23 IST)
नई दिल्ली। किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को दबाने के लिए सरकार पर दमनकारी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। किसानों ने आरोप लगाया कि आंदोलन में सहयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगे। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली का ऐलान वापस नहीं लिया जाएगा।
 
योगेन्द्र यादव ने कहा कि आज की बैठक में हमने तय किया है कि 26 जनवरी को किसान परेड का आयोजन दिल्ली के अंदर किया जाएगा। यह परेड आउटर रिंग रोड की परिक्रमा कर आयोजित की जाएगी। इसमें करीब एक हजार ट्रैक्टर हिस्सा लेंगे। यादव ने कहा कि हम आशा करते हैं कि दिल्ली और हरियाणा का पुलिस प्रशासन किसानों की ट्रैक्टर रैली परेड में कोई बाधा नहीं डालेगा। चाहे ट्रैक्टर हो या गाड़ी, हर वाहन पर राष्ट्रीय ध्वज होगा या फिर किसी किसान संगठन का झंडा होगा। 
 
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को केंद्र सरकार की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जो दिल्ली पुलिस के मार्फत दायर की गई है। याचिका के जरिए ,26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डाल सकने वाले किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली या इसी तरह के अन्य प्रदर्शन को रोकने के लिए न्यायालय से आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। 
कमेटी की पहली बैठक 19 को : नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के यहां पूसा परिसर में 19 जनवरी को अपनी पहली बैठक करने का कार्यक्रम है। समिति के सदस्यों में शामिल अनिल घनवट ने रविवार को यह जानकारी दी। किसान यूनियन और केंद्र सरकार के बीच भी 19 जनवरी को 10वें दौर की बातचीत होगी।
 
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर 11 जनवरी को अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी थी। साथ ही न्यायालय ने गतिरोध का हल निकालने के लिए 4 सदस्यीय एक समिति भी नियुक्त की थी। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान पिछले हफ्ते समिति से अलग हो गए थे। घनवट के अलावा कृषि-अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी समिति के दो अन्य सदस्य हैं।
 
शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के प्रमुख घनवट ने कहा कि हम लोग पूसा परिसर में 19 जनवरी को बैठक कर रहे हैं। भविष्य की रणनीति पर फैसला करने के लिए सिर्फ सदस्य ही बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि समिति के चार सदस्यों में एक ने समिति छोड़ दी है। यदि शीर्ष न्यायालय कोई नया सदस्य नियुक्त नहीं करता है, तो मौजूदा सदस्य सौंपा गया कार्य जारी रखेंगे।
विवादास्पद कृषि कानूनों से जुड़ी याचिकाओं और किसानों के प्रदर्शन पर शीर्ष न्यायालय में सोमवार को सुनवाई होने का कार्यक्रम है। साथ ही, न्यायालय एक सदस्य के समिति से बाहर जाने के विषय पर भी उस दिन गौर कर सकता है। उन्होंने कहा कि समिति को उसके कार्यक्षेत्र का विवरण प्राप्त हुआ है और 21 जनवरी से काम शुरू होगा।
 
शीर्ष न्यायालय द्वारा समिति गठित किए जाने के बाद सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ समानांतर वार्ता करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होने कहा, ‘‘ हमारी समिति के जरिए या फिर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की अलग वार्ताओं से (दोनों में से किसी की भी कोशिश से) यदि समाधान निकल जाता है और प्रदर्शन खत्म हो जाता है, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि उन्हें (सरकार को) चर्चा जारी रखने दीजिए, हमें एक कार्य सौंपा गया है और हम उस पर पूरा ध्यान देंगे। सरकार और प्रदर्शनकारी 41 किसान संगठनों के साथ अब तक नौ दौर की वार्ता हुई है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो सका है। दरअसल, आंदोलनरत किसान संगठन तीनों कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
 
पिछली बैठक में केंद्र ने सुझाव दिया था कि प्रदर्शन को समाप्त करने को लेकर 19 जनवरी की बैठक के लिए किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों पर एक ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए अपना अनौपचारिक समूह बनाएं। (इनपुट भाषा)

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