सरकार सुन नहीं रही, कब तक सर्दी में बैठेंगे, खुदकुशी कर रहा हूं ताकि किसान आंदोलन का हल निकले...

हिमा अग्रवाल
शनिवार, 2 जनवरी 2021 (13:01 IST)
गाजियाबाद। कब तक हम सर्दी में बैठेंगे। यह सरकार सुन नहीं रही, इसलिए जान देकर जा रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके। मेरा अंतिम संस्कार यहीं कर देना। ये शब्द हैं आंदोलनकारी किसान कश्मीर सिंह के।
 
सरकार से नाराज कश्मीर सिंह ने शनिवार को किसानों के हक के लड़ाई लड़ते हुए धरनास्थल पर बने टायलेट में फांसी लगाकर जान दे दी है।

दिल्ली-गाज़ीपुर यूपी बॉर्डर पर पिछले 38 दिनों से किसान आंदोलित हैं। कृषि कानूनों को रद्द करने और देश में फसल का एक समान न्यूनतम समर्थन मूल्य हो को लेकर किसान धरना दिए हुए हैं। 
 
किसानों और सरकार के बीच कुछ मांगों पर सहमति बनी है, लेकिन किसानों का कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानून समाप्त नही करेगी तब तक उनका धरना जारी रहेगा। किसानों के इस धरने में उत्तराखंड राज्य के बिलासपुर से आए 57 वर्षीय किसान कश्मीर सिंह ने सुसाइड करके अपने प्राणों का त्याग कर दिया है।
 
उन्होंने किसानों के हक के लिए ये कदम उठाया है। बाकायदा उन्होंने खुदकुशी से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था सुसाइड नोट में इस किसान ने एक अपील भी की है, सुसाइड नोट का मजमून इस तरह है कि आखिर हम कब तक यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। सरकार सुन नहीं रही है, इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके है। अपनी आत्महत्या के लिए कश्मीर सिंह ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। 
 
उन्होंने यह भी लिखा है कि मेरा अंतिम संस्कार मेरे पोते-बेटे के हाथों यहीं दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर होना चाहिए। उनका बेटा-पोता और परिवार यही आंदोलन में निरंतर काम कर रहे हैं। पुलिस ने इस सुसाइड नोट को अपने कब्जे में ले लिया है।
 
दिल्ली की सीमाओं पर गत 26 नवंबर 2020 से किसान आंदोलन कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान 3 नए कृषि कानूनों को समाप्त करने और न्यनूतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद के लिए कानून बनने की मांग कर रहे हैं। 
किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत के बाद उनकी पराली जलाने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा के प्रावधान खत्म करना और बिजली सब्सिडी से जुड़ी उनकी मांगों को सरकार ने मान लिया है।
 
वहीं, किसानों की अन्य दो मांगों पर आगामी 4 जनवरी को सरकार से वार्ता होनी तय हुई है। शीतलहर के सितम के चलते पहले ही कई किसानों की मौत हो चुकी है, ऐसे में आंदोलन में बैठे किसान द्वारा आत्महत्या कर लेना चिंता का विषय है। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

पूरे देश में आक्रोश, आतंक के आकाओं का हो खात्मा, पहलगाम के बदले के लिए भारतीय सेना को मिली छूट

पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूचिस्तान, पख्तून, पीओके, सिंध और वजीरिस्तान?

क्‍या है भोपाल में हुए लव जिहाद का इंदौर कनेक्‍शन, SIT खोलेगी पूरे कांड की परतें?

पहलगाम को दहलाने वाले आतंकी हाशिम मूसा का पाकिस्तानी सेना से कनेक्शन

सुप्रीम कोर्ट का सवाल, आतंकवादियों के खिलाफ स्पाइवेयर के इस्तेमाल में गलत क्या है?

सभी देखें

नवीनतम

नहीं पसंद थी मौलाना की दाढ़ी, क्लीन शेव देवर के साथ फरार हुई बेगम, मेरठ में चौकाने वाला मामला

क्या फिर राजनीति में आएंगे नवजोत सिंह सिद्धू?

भारत-पाकिस्‍तान संबंधों को लेकर पूर्व राजनयिक राघवन ने दिया यह बयान

Pok पर हमला कोई रोक नहीं सकता, आतंकी ट्रेनिंग कैंप तबाह करने का भारतीय सेना का प्लान तैयार, LoC पर खौफ

Bangladesh : हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास रिहा, हाईकोर्ट ने दी जमानत, जानिए क्‍या था आरोप

अगला लेख
More