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किसान आंदोलन खत्म, औपचारिक एलान आज,100% बातें मान ली जाए यह नहीं होता,पढ़ें शिवकुमार शर्मा का Exclusive Interview

'वेबदुनिया' पर किसान आंदोलन को खत्म करने की सबसे प्रामणिक खबर, जिन बिंदुओं पर सरकार से मतभेद उसको अब बातचीत से करेंगे दूर : शिवकुमार शर्मा

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विकास सिंह

, बुधवार, 8 दिसंबर 2021 (10:34 IST)
एक साल से लंबे समय तक चला किसान आंदोलन अब खत्म हो गया है। ‘वेबदुनिया’ से एक्सक्लूसिव बातचीत में संयुक्त किसान मोर्चो समन्वय समिति के सदस्य और किसान आंदोलन के प्रमुख नेता शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने साफ कहा कि आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान आंदोलन को खत्म करने पर फैसला लिया जाएगा। अब सरकार से जिन बिंदुओं पर थोड़ा बहुत मतभेद है हम उसको अब बैठकर दूर करना चाहते है। 

MSP पर गारंटी कानून के सवाल पर ‘वेबदुनिया’ से एक्सक्लूसिव बातचीत में शिवकुमार शर्मा कहते है कि जब आंदोलन लंबे चलते है तो 100 फीसदी आप की बात मानी जाए यह भी नहीं होता है। अधिक से अधिक बातें मान ली जाए यह देखना पड़ता है। हलांकि एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए कुछ समय सीमा भी तय होनी चाहिए। 

इन मांगों पर फंसा है पेंच- कृषि कानूनों की वापसी के बाद सरकार से बातचीत के लिए बनी पांच सदस्यीय किसान कमेटी के सदस्य शिवकुमार शर्मा आगे कहते हैं कि MSP पर कमेटी बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और उस कमेटी में शामिल होने वाले अन्य ऐसे संगठन जो आंदोलन में हमारे खिलाफ और सरकार के साथ खड़े थे, हम उनको MSP पर बनी कमेटी में नहीं रखना चाहते और उस पर हमको आपत्ति है। इसके साथ ही आंदोलन खत्म करने के लिए किसानों पर केस वापसी के मामले में घोषणा के साथ-साथ केस वापसी की समय सीमा भी तय हो और पराली जलाने पर किसानों पर मुक़दमे नहीं होंगे इसको भी सरकार सुनिश्चित करें। 
 
आंदोलन ने बताया गांधीवादी तरीका आज भी प्रासंगिक- किसान आंदोलन की समाप्ति पर ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि किसान आंदोलन ने पूरी दुनिया को बता दिया कि गांधी जी आज भी प्रासंगिक है। किसान आंदोलन ने दुनिया के आंदोलनकारियों, नई पीढी को यह संदेश दिया है कि गांधी जी आज भी प्रासंगिक है और अहिंसक आंदोलन ही पूरी दुनिया में सफल हो सकता है।
 
वह आगे कहते हैं कि आज नई पीढ़ी गांधीवादी और अहिंसात्मक आंदोलन के महत्व को समझ नहीं पाती है। गांधीवादी तरीके को समझने के लिए किसान आंदोलन सबसे अच्छा उदाहरण है। हमने आंदोलन की पहली ही बैठक में तय कर लिया था हम गांधीवादी तरीके से अहिंसात्मक आंदोलन करेंगे और इसमें हिंसा नहीं होने देंगे। किसान आंदोलन को खालिस्तानी, पाकिस्तानी जैसे अन्य आरोप लगाए गए और आंदोलन के माहौल को बिगाड़ने की भी कोशिश भी हुई लेकिन आंदोलन के दौरान सरकार एक आरोप भी सिद्ध नहीं कर पाई। 
 
किसान आंदोलन आने वाली सरकारों के लिए सबक- 'वेबदुनिया' से बातचीत में शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि किसान आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आने वाली सरकारों को किसानों को लेकर कोई भी कानून बनाने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा। अब यह नहीं होगा कि किसानों को दरकिनार कर कोई भी कानून बना दिया जाए या कोई भी समझौता कर लिया जाए। किसान आंदोलन से किसान जागरूक होने के साथ-साथ संगठित हुआ है। इसके लिए हम मोदी जी धन्यवाद देना चाहता हूं कि काले कानून लाकर उन्होंने देश के किसानों को संगठित करने का काम किया है।
 
आंदोलन का सबसे यादगार लम्हा- एक साल से अधिक लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को सबसे यादगार लम्हे के सवाल पर किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि 26 जनवरी को लाल किले कांड के बाद जब मीडिया के एक वर्ग और हमारे अपने लोगों ने भी हमको कठघरे मे खड़ा किया है तब मैंने खुद आगे आकर अपनी जिम्मेदारी लेते हुए देश से सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी।

मैंने साफ कहा था कि आंदोलन का कॉल हमारा था इसलिए इस घटना से हम पल्ला नहीं झाड़ सकते है। लालकिले की घटना की हमने सरकार से जांच की मांग भी की थी। उस दिन की घटना से मैं काफी दुखी था क्योंकि शांतिपूर्ण चल रहे किसान आंदोलन को काफी धक्का लगा था और मुझे लगा था कि हमको इससे निकलने में काफी समय निकलेगा।

 
 

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