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कौन हैं Houthi Rebels, क्‍या है इनका इस्लाम कनेक्शन और क्‍या है हूती विद्रोहियों का मकसद?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 12 जनवरी 2024 (14:10 IST)
  • अमेरिका के हमले के बाद एक बार फिर चर्चा में आए हूती विद्रोही
  • सरकार को हटाकर यमन पर कब्‍जा करना चाहते हैं हूती विद्रोही
  • भारत आ रहे इजरायली जहाज का अपहरण कर 25 लोगों को बनाया था बंधक
Houthi rebels: इसराइल और हमास की जंग के बीच अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले शुरू कर दिए हैं। बता दें कि अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों के साथ हमला तब शुरू किया, जब उसका एक अहम सहयोगी इसराइल गाजा में हमास के साथ युद्ध कर रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है ईरान समर्थित हूती विद्रोही बीते साल नवंबर से लाल सा​गर से गुजरने वाले जहाजों को निशाना बना रहे हैं, ये हमले उसी की जवाबी कार्रवाई है।

बता दें कि कुछ ही समय पहले यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में भारत आ रहे इजरायली जहाज का अपहरण कर लिया था। इसके साथ ही इसमें सवार क्रू मेंबर के 25 लोगों को बंधक भी बना लिया गया था।
जानते हैं आखिर कौन होते हैं हूती विद्रोही ईरान क्‍यों करता है समर्थन और क्‍या है इनका मकसद। हूती विद्रोही कब आए अस्‍तित्‍व में।

कौन होते हैं हूती विद्रोही : बता दें कि कुछ हफ्ते पहले हूती विद्रोहियों ने इजराइल-हमास युद्ध के बीच इजराइल पर लगातार हमले करने की बात कही थी। उन्होंने इजराइल पर मिसाइल लॉन्च करना भी शुरू किया था। हालांकि उनके मिसाइल हमले सफल नहीं हो पाए।

दरअसल, यमन की आबादी साढ़े तीन करोड़ के आसपास है। यमन का एक बड़ा हिस्सा विद्रोहियों के कब्जे में है। ये विद्रोही सरकार को हटाकर खुद शासन करना चाहते हैं। यमन के कई इलाकों पर हूती विद्रोहियों का भी कब्जा है। यमन के कई बड़े शहर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के कब्जे में हैं। 1990 के दशक के अंत में हूती आंदोलन शुरू हुआ था।

क्या है हूती का इस्लाम कनेक्शन : हूती इस्लाम के जायदी शिया वर्ग से हैं। इन्हें जादियाह भी कहा जाता है। शिया वर्ग को मुसलमान अल्पसंख्यक मानते हैं। वहीं, शिया वर्ग में जादियाह को अल्पसंख्यक कहा जाता है। इनके मत और सिद्धांत दूसरे वर्ग के मुसलमान से काफी अलग होते हैं। शिया मुसलमान ईरान और इराक में प्रभुत्व रखते हैं। जादियाह समुदाय ने अपना नाम ज़ायद बिन अली से लिया है, जो मोहम्मद के चचेरे भाई माने जाते हैं। जायद बिन अली ने 740 में उमय्यद साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जो इस्लामी इतिहास का पहला राजवंशीय साम्राज्य था, जिसने दमिश्क पर शासन किया था।

ईरान क्यों करता है हूति विद्रोहियों का सपोर्ट : ईरान हूति विद्रोहियों को धार्मिक छात्र समूह मानता है। विद्रोह शुरू करते वक्त इस ग्रुप में हुसैन बदरेद्दीन-अल हौती सबसे अहम चेहरा था। वह यमन सरकार के खिलाफ हूती विद्रोहियों का नेतृत्व करता था। साल 2012 में जब हूतियों ने सालेह को यमन की सत्ता से बेदखल किया तो ईरान और भी बेबाकी से उनके समर्थन में आ गया। ईरानी अधिकारियों ने खुलकर हूती विद्रोहियों के समर्थन में बयान देना शुरू कर दिया। ईरान और हूती दोनों सऊदी अरब को अपना दुश्मन मानते हैं। जबकि सऊदी अरब यमन के समर्थन में। यह बड़ी वजह है कि हूतियों को ईरान का साथ मिलता है।

कब अस्‍तित्‍व में आया हूती विद्रोही संगठन : साल 1990 में हूती विद्रोही संगठन बनाया गया था। इसने यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला के खिलाफ मोर्चा खोल कर विद्रोह की शुरुआत की थी। हूतियों का कहना था कि सालेह देश में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप करा रहे हैं। सालेह की कथित दमनकारी नीतियों के कारण हूतियों ने बंदूक उठा ली थी। सऊदी अरब की सेना उस समय सालेह के समर्थन में थे। हालांकि, इसके बावजूद भी हूती विद्रोहियों ने सालेह को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

दुनिया के कई देशों के टारगेट पर : हूती विद्रोहियों की ओर से जहाजों पर बढ़ते हमले को लेकर दुनिया के प्रमुख देशों ने चिंता जताई है। अमेरिकी सेना ने लाल सागर में जहाजों की सुरक्षा करने के लिए इंटरनेशनल नेवी ऑपरेशन शुरू कर दिया है। ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, बहरीन और नॉर्वे सहित कई देश इस ऑपरेशन में शामिल हो चुके हैं। भारत ने हूती विद्रोहियों के हमले के शिकार हुए जहाजों की मदद की है। इसके लिए अपने सैन्य पोतों और निगरानी विमानों को भी तैनात किया है। हालांकि, इसके खिलाफ ऑपरेशन में भारत शामिल होगा या नहीं इस पर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
Edited By : Navin Rangiyal

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