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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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कंपनियों के जाल में अब नहीं फसेगा कन्‍ज्‍यूमर, सरकार Dark Pattern पर लगाएगी लगाम

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नवीन रांगियाल

  • उपभोक्‍ताओं को भ्रमित करने वाली कंपनियों पर सरकार सख्‍त
  • सेल्‍स कंपनियां डार्क पैटर्न का इस्‍तेमाल कर उपभोक्‍ताओं को करती हैं गुमराह
  • Dark Pattern के 9 तरीकों पर लगाम लगाने की तैयारी में सरकार
Dark Pattern: इन दिनों ज्‍यादातर ऑनलाइन शॉपिंग की जाती है। ऐसे में कंपनियों ने ऑनलाइन उपभोक्‍ताओं को ठगने और उन्‍हें गुमराह करने के लिए डार्क पैटर्न (Dark Pattern) अपना रखा है। इस डार्क पैटर्न की मदद से ऑनलाइन कंपनियां उपभोक्‍ताओं को भ्रमित कर अपने प्रोडक्‍ट बेच देती हैं। जानकारी के अभाव और कंपनियों के इन हथकंडों को नहीं समझ पाने के चलते हजारों-लाखों कन्‍ज्‍यूमर इनके जाल में फंस जाते हैं।

सरकार ने अब इन कंपनियों पर लगाम कसने का मन बनाया है। कंपनियों के भ्रामक तरीकों को रोकने के लिए सरकार सख्‍त हो गई है। उपभोक्ता मंत्रालय ने ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपभोक्ता की पसंद को बदलने वाले 9 तरीकों (Dark Pattern) की पहचान की है और इनका इस्‍तेमाल करने वाली कंपनियों पर सख्‍त कार्रवाई का ऐलान किया है। बता दें कि हाल ही में यूरोपीय संघ (ईयू), यूएस और यूके जैसे देशों ने भी डार्क पैटर्न (Dark Pattern) में शामिल कंपनियों पर कार्रवाई की है।

क्‍या कहा उपभोक्‍ता मंत्रालय ने : उपभोक्‍ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने हाल ही में जानकारी दी कि देश में इंटरनेट एवं स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के साथ ऑनलाइन खरीदारी में तेजी आई है। ऐसे में चालाकी से उपभोक्ता की सोच को प्रभावित किया जा रहा है और उन्हें पसंद का निर्णय न ले पाने के लिए विवश किया जा रहा है। डार्क पैटर्न में ऐसे टूल्स होते हैं, जिन्हें एग्जिट करना मुश्किल होता है। यह उपभोक्ता अधिनियम का उल्लंघन और कंपनियों की 'अनुचित चालाकी' है।
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चालाकी के 9 तरीके
केंद्र सरकार ऑनलाइन फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए 9 तरह के डार्क पैटर्न की पहचान की है। ये  (Dark Pattern) नौ पैटर्न हैं– अर्जेंसी, बास्केट स्नीकिंग, कंफर्म शेमिंग, फोर्स्ड एक्शन, नैगिंग, इंटरफेस इंटरफेरेंस, बेट एंड स्वीच, हिडेन कॉस्ट और डिस्गस्ड एड्स। इन तरीकों से उपभोक्‍ताओं को गुमराह किया जाता है। जिस पर सरकार अब सख्‍त हो गई है। 

फाल्स अर्जेंसी : झूठ बोलकर कन्‍ज्‍यूमर पर प्रेशर बनाया जाता है कि कम कीमत वाले बहुत कम प्रोडक्‍ट बचे हैं, यह ऑफर खत्‍म हो जाएगा। तुंरत बुक करे नहीं तो कीमत बढ़ जाएगी।

कन्फर्म शेमिंग: कई बार वेबसाइट पर जाने के बाद बाहर (एग्जिट) निकलना मुश्किल होता है। बार-बार मैसेज आता है ‘क्‍या आप सच में एग्जिट करना चाहते हैं? कई लोग इस प्रोडक्ट को देख रहे हैं।

बास्केट स्नीकिंग: कन्‍ज्‍यूमर को बताए बगैर उसके शापिंग कार्ट में अपनी तरफ से प्रोडक्‍ट जोड़ दिए जाते हैं। अगर कोई कुछ ऑर्डर करता है तो कार्ट में जुडे प्रोडक्‍ट की कीमत भी फाइनल बिल में जोड़ दी जाती है।

फो‌र्स्ड एक्शन: सर्विस या प्रोडक्‍ट को जबरन क्लिक कराना और तब तक वेबसाइट या अकाउंट का एक्सेस नहीं देना, जब तक कन्‍ज्‍यूमर प्रोडक्‍ट को चेक नहीं कर लेता है।

नैगिंग: यूजर से एक ही बात तब तक पूछते रहना और विंडो सामने से न हटाना, जब तक वह परेशान होकर प्रोडक्‍ट खरीद नहीं लेता।

सब्सक्रिप्शन ट्रैप्स: कई बार कन्‍ज्‍यूमर को सब्सक्रिप्शन को एग्जिट करने का विकल्प नहीं दिया जाता है। उसे समझ ही नहीं आता है कि वो बाहर कैसे निकले।

इंटरफेस इंटरफेरेंस: यह तरीका खरीदी के लिए कन्‍ज्‍यूमर को मजबूर करता है। कई बार सर्विस कैंसल करने या अकाउंट डिलीट करने का विकल्प नहीं मिलता है।

बेट एंड स्वीच: कई बार ऑर्डर कुछ किया जाता है और डिलिवरी में कुछ और आता है। शिकायत करने पर स्टाक खत्म हो जाने की बात कही जाती है। प्रोडक्‍ट की कीमत वही होती है, लेकिन क्वालिटी खराब होती है।

हिडेन कास्ट: प्रोडक्‍ट का प्रचार कम कीमत में किया जाता है, लेकिन फाइनल कीमत ज्‍यादा होती है। जैसा आमतौर पर ओला-उबर या प्लेन के टिकटों में होता है।

डिस्गस्ड एड्स: ऐसे विज्ञापन जो प्रोडक्‍ट की गुणवत्‍ता का बखान कर के उन्‍हें बहुत उत्‍कृष्‍ट बताते हैं, लेकिन हकीकत में उनकी कोई क्‍वालिटी नहीं होती है।
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क्‍या होता है डार्क पैटर्न : डार्क पैटर्न (Dark Pattern) दरअसल एक तरह का सब्सक्रिप्शन पैटर्न है, जिसे एक बार ले लेने पर उससे बाहर निकलना बहुत मुश्‍किल काम है। इस सब्‍सक्रिप्‍शन में आपके पैसे आपके अकाउंट से कटते रहते हैं। डार्क पैटर्न ग्राहकों के रिस्‍क बढ़ाता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के आप यूजर हैं और आपने एक ऐसा पॉप-अप देखा, जिसमें यह पूछा गया होगा कि क्या आप चाहते हैं कि ऐप और वेबसाइट का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना चाहते हैं। और इसी के साथ सेटिंग को पर्सनलाइज्ड करने के लिए ऑप्शन भी दिया गया होगा। इसी ऑप्शन में डार्क पैटर्न होता है।

सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल करते हुए ईमेल आदि की मदद मार्केटिंग और विज्ञापनों के ऐसे अनेक लिंक और ऑफर आते रहते हैं। ये बहुत आकर्षक लगते हैं। यह इतने ल्‍यूक्रेटिव होते हैं कि ग्राहक अक्‍सर इनके झांसे में फंस जाते हैं। कई वेबसाइट साइन अप के लिए कहती हैं। कुकीज एक्सेप्ट करने के लिए कहती हैं। लेकिन आप उससे बाहर आना चाहते हैं तो आ नहीं सकते। बाहर आने का ऑप्शन नजर नहीं आता, क्योंकि यह डार्क बॉक्स में छुपा होता है, जिसे ग्राहक नहीं देख पाते हैं।

कहां करे डॉर्क पैटर्न की शिकायत : इस तरह के ऑनलाइन शापिंग में डार्क पैटर्न (Dark Pattern) पर सरकार अब सख्त हो गई है। ऑनलाइन कंपनियों की इस चालाकी पर सरकार ने कार्रवाई करने की बात कही है। सरकार ने कहा है कि इस तरह की चालाकी उपभोक्ता अधिनियम का उल्लंघन है। डार्क पैटर्न की घटनाओं की रिपोर्ट करने या फीडबैक देने के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर (National consumer helpline) 1915 पर कॉल कर सकते हैं। उपभोक्ता 8800001915 नंबर पर व्हाट्सएप पर भी सेल्स कंपनियों की इन चालाकियों ऑनलाइन रिपोर्ट कर सकते हैं।

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