क्या है पेजर? ब्‍लास्‍ट की कितनी थ्‍योरी, लेबनान में कैसे फटे 1000 पेजर, भारत में क्‍यों है दहशत?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024 (14:10 IST)
All about Lebanon Pager Blast: लेबनान में हुए पेजर अटैक की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। यहां तक कि हिजबुल्‍लाह भी सकते में है। कैसे एक छोटे से पेजर ने बम की तरह कई लोगों की जानें ले लीं। पेजर के बाद वॉकी टॉकी में भी ब्‍लास्‍ट हो रहे हैं। यहां तक कि जितने भी बैटरीजनित डिवाइस हैं, उनमें ब्‍लास्‍ट की खबरें आ रही हैं। ऐसे में तकनीक की दुनिया के एक्‍सपर्ट भी इन घटनाओं से हैरान हैं। लेबनान पेजर ब्लास्ट में 3000 के आसपास लोग घायल हैं
इसका शक हालांकि इजरायल पर जा रहा है। क्‍योंकि हिजबुल्‍लाह, हमास और इजरायल के बीच युद्ध चल रहा है। बता दें कि इजरायल ही वो देश है जो अपने दुश्मनों को खाक में मिला देने तक दम नहीं लेता। ऐसे में पेजर ब्‍लास्‍ट की कई थ्‍योरियां सामने आ रही हैं। जानते हैं क्‍या है पेजर, कैसे काम करता है और क्‍यों हो रहे हैं पेजर में ब्‍लास्‍ट। बता दें कि लेबनान की घटना के बाद पेजर को लेकर खूब सर्च किया गया। गूगल एक्सप्लोर के इंडिया ट्रेंड ग्राफ में यह मुद्दा छाया रहा। ग्लोबल ट्रेंड में भी पेजर को खूब सर्च किया गया। जबकि रीजन के हिसाब से लेबनान में सबसे ज्यादा सर्च किया गया पेजर। पड़ोसी चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं है और लंबे समय दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है। चीनी मोबाइल फोन के बारे में भारतीयों में विशेष चिंता है। 

कई मरे, 3 हजार घायल : लेबनान में पेजर ब्लास्ट (Pager Blast) में कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और 3000 के आसपास लोग घायल हैं. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक घायलों में 200 से ज्यादा की हालत गंभीर है। लेबनान के चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने पेजर ब्लास्ट के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि इसकी उचित सजा देंगे। लेबनान की सरकारी एजेंसी के मुताबिक धमाका राजधानी बेरूत से लेकर बाका वैली जैसे इलाकों में हुआ। हिजबुल्लाह के कई टॉप लीडर के मारे जाने या घायल होने की आशंका है।

(What is pager) क्या है पेजर, जिसमें हो रहे ब्लास्ट: पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होती है। 80 के दशक तक दुनिया भर में इसका इस्तेमाल होता था। हालांकि मोबाइल और दूसरी टेक्नोलॉजी के आने के बाद पेजर लगभग खत्म हो गया। लेकिन हिजबुल्लाह जैसे कई आतंकी संगठन और अपराधी अभी भी पेजर का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता है। पेजर रेडियो वेव्स के जरिये ऑपरेट होता है। ऑपरेटर किसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर पेजर से मैसेज भेज सकता है।

(How pager works) कैसे काम करता है पेजर: आसान भाषा में कहें तो अगर आपको पेजर के जरिए किसी को मैसेज भेजना है तो पहले रिसीवर की रेडियो फ्रीक्वेंसी अपने डिवाइस में सेट करनी होगी और फिर मैसेज भेज सकते हैं। मैसेज उसी यूनिक फ्रीक्वेंसी पर रिसीव होगा। पेजर में कॉलिंग वगैरह की कोई सुविधा नहीं होती है। पेजर मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं। पहले है वन वे पेजर, जिसमें सिर्फ मैसेज रिसीव किया जा सकता है। दूसरा है टू वे पेजर, जिसमें मैसेज रिसीव करने के साथ-साथ सेंड करने की भी सुविधा होती है और तीसरा है वॉइस पेजर जिसमें वाइस रिकॉर्डेड मैसेज भेजे जा सकते हैं।

हिजबुल्‍लाह क्‍यों करते हैं पेजर का इस्‍तेमाल : पेजर, मोबाइल फोन और दूसरी टेक्नोलॉजी के मुकाबले बहुत सुरक्षित माने जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेजर में बहुत बेसिक टेक्नोलॉजी यूज होती है और तमाम फिजिकल हार्डवेयर हैं, इसलिए उसको मॉनिटर करना मुश्किल होता है। पेजर से भेजे गए मैसेज को भी ट्रैक करना कठिन काम है, इसीलिए हिजबुल्लाह जैसे संगठन अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए का इस्तेमाल करते हैं।

क्‍या है बैटरी हीट कनेक्‍शन?
क्‍या है पेजर में ब्‍लास्‍ट की थ्‍योरी : एक साथ 1000 से ज्यादा पेजर में धमाका कैसे हुआ? इसके पीछे अलग-अलग थ्योरी सामने आ रही हैं। पहली थ्योरी है कि हिजबुल्लाह के पेजर जिन रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम कर रहे थे, उनको हैक कर लिया गया होगा और फिर सिग्नल के जरिए पहले से डॉक्टर्ड पेजर में धमाका किया गया। डाटा एनालिस्ट राल्फ बायदों (Ralph Baydoun) अल जजीरा से कहते हैं कि पेजर में लिथियम की बैटरी लगी होती है। अगर पेजर को हैक कर लिया जाए तो उसकी बैटरी को ओवरहीट किया जा सकता है, उसके बाद एक प्रक्रिया शुरू होता है जिसको ‘थर्मल रनअवे’ प्रोसेस कहते हैं।

बग प्लांट होना जरूरी : इस प्रक्रिया में केमिकल चेन रिएक्शन होता है और अचानक बैटरी का टेंपरेचर इतना बढ़ जाता है कि उसमें बहुत तेज धमाका हो सकता है। हालांकि राल्फ कहते हैं कि एक साथ इतने पेजर में इस तरह से धमाका संभव नहीं है। इसके लिए पेजर में पहले से ही कोई बग होना जरूरी है और इस बात की ज्यादा आशंका है कि हिजबुल्लाह के लड़ाके के जो पेजर यूज कर रहे थे, उनमें पहले से ही बग प्लांट था।

क्या Mossad ने हिजबुल्‍लाह के पेजर में प्‍लांट किए तीन ग्राम विस्फोटक?
पेजर ब्लास्ट (Pager Blast) के पीछे एक दूसरी थ्योरी यह है कि न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक है हिजबुल्लाह ने कुछ महीने पहले ताइवान की एक कंपनी गोल्ड अपोलो को करीब 5000 पेजर का आर्डर दिया था। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद को इसकी खबर लग गई थी और इसी दौरान मोसाद (Mossad) ने पेजर में करीब तीन-तीन ग्राम विस्फोटक प्लांट कर दिए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजरायल ने पेजर की खेप लेबनान पहुंचने से पहले ही उसको बीच में रोक लिया। फिर उसमें बारूद प्लांट कर दिए थे।

1. ओवरहीटिंग और शॉर्ट-सर्किट: लिथियम-आयन बैटरियों का सबसे बड़ा खतरा इनका अत्यधिक गर्म हो जाना है, जिससे यह शॉर्ट सर्किट कर सकती हैं। इस स्थिति में, बैटरी में आग लग सकती है या यह फट सकती है।

2. विस्फोटक क्षमता: अगर बैटरी में आंतरिक शॉर्ट सर्किट होता है या बाहरी दबाव से बैटरी क्षतिग्रस्त होती है, तो इसमें विस्फोट होने की संभावना होती है।

3. बैटरियों का दुरुपयोग: पेजर ब्लास्ट की घटना ने दिखाया कि बैटरी के साथ विस्फोटक सामग्री को मिलाकर उसे हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

क्या मोबाइल फोन भी बन सकते हैं खतरा? आज के स्मार्टफोन में भी लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। इस घटना के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इन्हें भी पेजरों की तरह विस्फोटक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? तकनीकी रूप से स्मार्टफोन को भी मॉडिफाई कर विस्फोटक बनाया जा सकता है, क्योंकि ये उपकरण भी बैटरी पर निर्भर होते हैं।

भारत में क्‍यों है इसे लेकर दहशत : ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हिजबुल्लाह के पेजर में धमाके करवाए जा सकते हैं तो फिर, मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच में भी हो सकता है। भारतीयों में यह डर और भी ज्यादा है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोग चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं। पड़ोसी चीन के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं है और लंबे समय दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल रहा है। चीनी मोबाइल फोन के बारे में भारतीयों में विशेष चिंता है, क्योंकि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों का इतिहास है।Edited By: Navin Rangiyal

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