Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Doomsday Clock : एक ऐसी घड़ी जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए

हमें फॉलो करें Doomsday Clock
, गुरुवार, 21 अप्रैल 2022 (18:36 IST)
Doomsday Clock
- अथर्व पंवार

विश्‍व पृथ्वी दिवस 2022: आपने अपने जीवन में अनेक घड़ियों के बारे देखा और सुना होगा। सेल से चलने वाली से चाबी भरने वाली तक और अब आधुनिक युग की डिजिटल घड़ी जो आपकी दिल की धड़कन से लेकर आपके कदम तक गिन सकती है। पेंडुलम वाली से लेकर घण्टाघरों पर लगने वाली विशाल घड़ियां भी आपने देखी होगी। पर, एक ऐसी घड़ी भी है जो हमें पृथ्वी की उम्र के बारे में बताती है और मानवों द्वारा किए गए कार्यों से होने वाले खतरे का संकेत देती है। 
 
आपके और हमारे जीवन के साथ-साथ इस पृथ्वी के जीवन को बचाने के लिए, हमें इस घड़ी के बारे में जानना आवश्यक है। इसे कुछ लोग क़यामत की घड़ी भी बोलते हैं। 
 
चलिए जानते हैं इस क़यामत की घड़ी के बारे में जिसका नाम है- Doomsday Clock 
 
1940 के दशक में वैश्विक स्तर पर बहुत कुछ अच्छी बुरी उथल-पुथल हुई। इसी दशक में हमारा देश स्वतंत्र भी हुआ और द्वितीय विश्व युद्ध भी हुआ जिसमें लाखों लोगों ने अपनी जान गवाईं। इसी युद्ध में एक ऐसी घटना हुई जिससे दुनिया सहम गई। वह थी जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका का परमाणु हमला। इस तबाही को देखकर वैज्ञानिकों को यह आभास हो गया था कि ऐसे खतरनाक मानवीय गतिविधियों से कुछ ही क्षणों में दुनिया को समाप्त किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को एक और चिंता हुई कि अगर हर देश अपनी परमाणु शक्ति बढ़ता है या अगर हर छोटे-बड़े देश के पास परमाणु हथियार होते हैं, तो मानवता और दुनिया के लिए इससे बड़ा खतरा कोई दूसरा नहीं होगा जो देखते ही देखते कुछ ही पलों में पूरी पृथ्वी को भस्म कर सकता है।
 
 
विकास की रफ्‍तार और इन मानवीय गतिविधियों को आधार बनाकर वैज्ञानिकों ने एक घड़ी बनाने का विचार किया जो मानव को खतरे से आगाह करा सके। इस विचार को साकार करने के लिए 15 वैज्ञानिकों के एक दल का एक संगठन बनाया गया। इस Doomsday clock के काँटों का संचालन यह संगठन ही करता है। वैज्ञानिकों के इस संगठन को The Bulletin of the Atomic Scientists कहा गया। जो वैज्ञानिक इस घड़ी का संचालन करते हैं उनमें से 13 वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं।
 
 
यह घड़ी बस एक मॉडल के सामान है। इसमें 12 बजने को पृथ्वी की तबाही के रूप में माना गया है। जब घड़ी की सुइयां 12 के जितने निकट रहेगी उतना अधिक ही दुनिया पर संकट समझा जाएगा। समय 12 से जितना दूर रहेगा, धरती उतनी ही सुरक्षित समझी जाएगी। 12 बजने को आधी रात माना गया है। ऐसा माना गया है कि वैज्ञानिकों के अनुसार जब सुइयां 12 बजा देंगी उस दिन दुनिया तबाह हो जाएगी। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट (बीएएस) हर साल इस तरह की रिपोर्ट जारी करता है। 
webdunia
अभी तक इस घड़ी में 24 बार परिवर्तन किए जा चुके हैं। यह घड़ी 1947 से निरंतर कार्यरत है। 
 
पहली बार इस घड़ी का कांटा आधी रात (12 बजे) से 420 सेकंड दूर सेट किया गया था। जब 1991 का शीत युद्ध समाप्त हुआ था तब इसका समय आधी रात से 17 मिनट दूर सेट किया गया था। इस घड़ी के अनुसार यह पृथ्वी का अभी तक का सबसे सुरक्षित समय रहा है अर्थात की दुनिया में शांति बढ़ चुकी थी।
 
इसी प्रकार जब 1969 में परमाणु अप्रसार संधि हुई तब इस घड़ी की सुइयों को विनाश के समय अर्थात 12 बजे से 10 मिनट दूर रखा गया था। 
 
जब 1949 में रूस (उस समय सोवियत संघ) ने अपने पहले परमाणु बम आरडीएक्स-1 का परीक्षण किया था तो इस घड़ी की सुइयां आधी रात से 180 सेकंड दूर थी। उस समय अमेरिका की बराबरी करने के लिए परमाणु शक्ति बढ़ने की होड़ लग चुकी थी। 1952 में शीत युद्ध चल रहा था। अमेरिका ने भी अपनी शक्ति बढ़ने के लिए अपने हाइड्रोजन बम का परीक्षण भी किया था। पुनः बढ़ते परमाणु संकट को देखते हुए 1953 में इस घड़ी की सुइयों को आधी रात से 120 सेकंड पहले सेट किया गया था। 
 
1984 में सोवियत संघ और अमेरिका के संबंध काफी ख़राब हो गए थे और एक युद्ध का वातावरण बनता दिख रहा था। तब भी इस घड़ी के कांटे 12 के करीब पहुंच गए थे। 
 
वर्ष 2015 में परमाणु और जलवायु परिवर्तन के कारण भी कांटे 12 के निकट थे। वर्ष 1949, 1953, 1984 और 2015 को काफी संवेदनशील वर्ष माना गया था जबकि इस घड़ी के कांटे बता रहे थे कि धरती विनाश के कितने पास है। 
 
इसी वर्ष जनवरी में इस Doomsday Clock की सुइयों को क़यामत के समय से 100 सेकंड पहले रखा गया है। जिसका कारण वैश्विक स्तर पर फ़ैल रही अशांति, विभिन्न देशों में हो रहे मतभेद, जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों का पिघलना, कम होते प्राकृतिक संसाधन, नई नई बिमारियों के लक्षण, महामारियांइत्यादि हैं। 
 
Doomsday Clock में इन पैमानों के आधार पर समय को बदला जाता है:-
1. नेताओं की भड़काऊ राजनीति।
2. सायबर अपराध।
3. परमाणु युद्ध की संभावनाएं।
4. जलवायु परिवर्तन।
5. तकनीकों का गलत उपयोग।
6. दो देशों के बीच युद्ध या टकराव। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रिलायंस रिटेल खोलेगा 'स्वदेश' स्टोर्स, कारीगरों के हस्त निर्मित सामान को मिलेगा बाजार