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Environment Day 2020 : 11 घरेलू पौधे जिनमें छुपा है सेहत का राज

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अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 4 जून 2020 (20:09 IST)
प्राचीनकाल से ही लोग अपने आंगन में ऐसे पेड़ पौधे लगाते थे जो उनकी सेहत की रक्षा करते थे। आधुनिकरण के चलते अब ऐसे कई पेड़ पौधे और वृक्ष गायब हो गए हैं। आओ जानते हैं उन्हीं में से 11 के बारे में संक्षिप्त जानकारी। 
 
 
1. तुलसी : तुलसी का पत्ता खाते रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। प्रतिदिन 4 पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त, कैंसर आदि दोष दूर होने लगते हैं। तुलसी हमारी इम्यूनिटी बढ़ाती है। तांबा और तुलसी दोनों ही पानी को शुद्ध करने की क्षमता रखते हैं।
 
2. नीम : नीम का पेड़ लगाने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है। जिस व्यक्ति को संकटों से मुक्ति पाना और निरोगी रहना हो उसे घर के दक्षिण में नीम का वृक्ष लगाना चाहिए। नीम के वृक्ष को वायव्य कोण में लगाना भी अत्यंत शुभ फलदायी होता है। नीम की दातुन करने से शनि और मंगल दोष समाप्त होता है साथ ही दातों के किड़े भी मारे जाते हैं। नीम की लड़की के बने पलंग पर सोने से त्वचा रोग दूर होते हैं। नीम के तेल और छाल के प्रयोग से कुष्ठ रोग दूर होता है। नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है। इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
 
3. गुड़हल : गुड़हल के फूलों को पानी में उबालकर पीने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपको तनावमुक्त रहने में भी मदद करते हैं। लेकिन किसी डॉक्टर से पूछकर ही या प्रयोग किया जा सकता है।
 
4. पुदीना : पुदीना के कई फायदे हैं। पेटदर्द और अरुचि में पुदीने के रस में जीरा, हींग, कालीमिर्च व कुछ नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है। मुंह से बदबू आती है तो पुदीने की कुछ पत्त‍ियों को चबाकर इसके पानी से कुल्ला कर लें, मुंह की बदबू खत्म हो जाएगी। ऐसा भी कहा जाता है कि प्रसव के समय पुदीने का रस पिलाने से प्रसव आसानी से हो जाता है।
 
5. बिल्व वृक्ष : बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास और घर में भी लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। गर्मी की तपिश से बचने के लिए इसके फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी होता है। यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए उत्तम है। औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों मे टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे रसायन पाए जाते हैं।
 
6. अशोक वृक्ष : अशोक का वृक्ष वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। यह रसायन और उत्तेजक है। इसके उपयोग से चर्म रोग भी दूर होता है। अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती।
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7. नारियल का वृक्ष : यह वृक्ष दक्षिण भारत के घरों में ही ज्यादा पाया जाता है। पेड़ का प्रत्येक भाग किसी न किसी काम में आता है। ये भाग किसानों के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इसे घरों के पाट, फर्नीचर आदि बनाए जाते हैं। पत्तों से पंखे, टोकरियां, चटाइयां आदि बनती हैं। इसकी जटा से रस्सी, चटाइयां, ब्रश, जाल, थैले आदि अनेक वस्तुएं बनती हैं। यह गद्दों में भी भरा जाता है। नारियल का तेल सबसे ज्यादा बिकता है।
 
नारियल के पानी में पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है। इसे पीने से शरीर में किसी भी प्रकार की सुन्नता नहीं रहती। अगर आप पाचन की समस्या से ग्रसित हैं तो 1 गिलास नारियल का पानी लें, उसमें अन्ननास का जूस मिलाएं और पूरे 9 दिन तक नाश्ते से पहले उसे पीएं। इसे पीने के बाद 2 घंटे तक किसी भी प्रकार का भोजन न करें और न ही कोई अन्य पेय पीएं।
 
नारियल के गूदे का इस्तेमाल नाड़ियों की समस्या, कमजोरी, स्मृति नाश, पल्मनरी अफेक्शन्स (फेफड़ों के रोगों) के उपचार के लिए किया जाता है। यह त्वचा संबंधी तथा आंतड़ियों संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों को भी नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है।
 
8. अनार : अनार के वृक्ष से जहां सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता हैं वहीं इस वृक्ष के कई औषधीय गुण भी हैं। पूजा के दौरान पंच फलों में अनार की गिनती की जाती है। अनार का प्रयोग करने से खून की मात्रा बढ़ती है। इससे त्वचा सुंदर व चिकनी होती है। रोज अनार का रस पीने से या अनार खाने से त्वचा का रंग निखरता है। अनार के छिलकों के एक चम्मच चूर्ण को कच्चे दूध और गुलाब जल में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा दमक उठता है। अपच, दस्त, पेचिश, दमा, खांसी, मुंह में दुर्गंध आदि रोगों में अनार लाभदायक है। इसके सेवन से शरीर में झुर्रियां या मांस का ढीलापन समाप्त हो जाता है।
 
9. केले का पेड़ : केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट फल है। केला रोचक, मधुर, शक्तिशाली, वीर्य व मांस बढ़ाने वाला, नेत्रदोष में हितकारी है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रक्तपित, वात और प्रदर के उपद्रवों को नष्ट करता है। केले में मुख्यतः विटामिन-ए, विटामिन-सी,थायमिन, राइबो-फ्लेविन, नियासिन तथा अन्य खनिज तत्व होते हैं। इसमें जल का अंश 64.3 प्रतिशत ,प्रोटीन 1.3 प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट 24.7 प्रतिशत तथा चिकनाई 8.3 प्रतिशत है।
 
10. आंवला : पहले के समय में हर घर में आंवला और अनार होता था। आवला बहुत ही गुणकारी होता है। विटामिन-सी से भरपूर आंवला, हर मौसम में लाभदायक होता है। यह आंखों, बालों और त्वचा के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही इसके और भी कई फायदे हैं, जो आपके शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने पर, प्रतिदिन आंवले के रस का सेवन करना काफी लाभप्रद होता है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, और खून की कमी नहीं होने देता।
 
11. सुगंधित फूल के पौधे : चम्पा, पारिजात, कनेर, केवड़ा, रातरानी, रजनीगंधा, मोगरा, जूही, चमेली, चांदनी आदि उक्त सभी के पौधों के लगाने से सभी तरह के शारीरिक और मानसिक रोग एवं शोक मिट जाते हैं।

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