Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

गुलमोहर

ग़ज़ल

हमें फॉलो करें गुलमोहर
अजीज अंसारी
मुझ को खुशी मिली, तेरे जीवन से गुलमोहर
तू मेरे दिल के साथ है बचपन से गुलमोहर

रग़बत दर-ओ-दीवार से मुझ को नहीं ज़रा
मैं तो बंधा हूँ बस तेरे बंधन से गुलमोहर

सीखा है मैंने तुझ से लुटाना मसर्रतें
तुझ से है पक्की दोस्ती, बचपन से गुलमोहर

तुझ को पसन्द करता है हर आदमी मगर
कुछ सीखता नहीं तेरे जीवन से गुलमोहर

एहसान इस के तुझ पे हमेशा रहे हैं दोस्त
फिर भी न बच सका तेरे ईंधन से गुलमोहर

अब तेरे फूल सुर्ख हैं न सब्ज़ पत्तियाँ
नाराज़ हो गया है तू गुलशन से गुलमोहर

मग़रूर हो न जाना तू अपने शबाब पर
है आज तेरा सामना दरपन से गुलमोहर

तुझ जैसा खुश लिबास है, तुझ जैसा खुश मिज़ाज
मिल के तो देख तू मेरे साजन से गुलमोहर

दीदार को गुलाब तरस्ता है उस घड़ी
तू झांकता है जब हरी चिलमन से गुलमोहर

ND
शहरों में पक्की सड़कें हैं, पक्के मकान हैं
अब झाँकता नहीं किसी आँगन से गुलमोहर

मैं तेरे साथियों के लिए कुछ न कर सका
लेकिन तुझे बचाऊँगा दुश्मन से गुलमोहर

रंगीनियों को इसमें समाएगा ये अज़ीज़
ये सोच के ही लिपटा है चन्दन से गुलमोहर।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi