Papamochani Ekadashi katha 2020 : पापमोचनी एकादशी पर पढ़ें पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा

Webdunia
पापमोचनी एकादशी 2020 
 
इस बार पापमोचनी एकादशी एकादशी 19 और 20 मार्च को है। दरअसल एकदशी तिथि दोनों दिन लगने के कारण पापमोचनी एकादशी 19 मार्च 2020 को प्रातः 4 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होकर 20 मार्च को प्रात: 5 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। यहां प्रस्तुत हैं व्रत कथा :-  

धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले- हे जनार्दन! चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए।
 
श्री भगवान बोले, हे राजन्- चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम पापमोचनी एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य के सभी पापों का नाश होता हैं। यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है। इस पापमोचनी एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। 
 
एक समय देवर्षि नारदजी ने जगत् पिता ब्रह्माजी से कहा, महाराज! आप मुझसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विधान कहिए।
 
 
ब्रह्माजी कहने लगे कि- हे नारद! चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता हैं। इसकी कथा के अनुसार प्राचीन समय में चित्ररथ नामक एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद विहार करते थे।
 
एक बार मेधावी नामक ऋषि भी वहां पर तपस्या कर रहे थे। वे ऋषि शिव उपासक तथा अप्सराएं शिव द्रोहिणी अनंग दासी (अनुचरी) थी। एक बार कामदेव ने मुनि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा। युवावस्था वाले मुनि अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गए। रति-क्रीडा करते हुए 57 वर्ष व्यतीत हो गए।
 
एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा मांगी। उसके द्वारा आज्ञा मांगने पर मुनि को भान आया और उन्हें आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल में पहुंचाने का एकमात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया।
 
 
श्राप सुनकर मंजुघोषा ने कांपते हुए ऋषि से मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनिश्री ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा और अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर पिता च्यवन के आश्रम में चले गए।
 
पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निंदा की तथा उन्हें पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई। 
 
अत: हे नारद! जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत को करेगा, उसके सारों पापों की मुक्ति होना निश्चित है और जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता और सुनता है उसे सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है तथा उसके पापों का नाश होकर पुण्‍यफल की प्राप्ति होती है।

ALSO READ: खरमास 2020 : एक महीने तक इन मंत्रों का जाप करने से होंगी मनोकामनाएं पूर्ण

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

अमरनाथ गुफा में कैसे बनकर निश्‍चित समय में गायब हो जाता है शिवलिंग

वरुथिनी एकादशी 2025: जानें इस व्रत की 10 महत्वपूर्ण बातें...

पूर्णिमा वाला वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त

चार धाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में सबसे पहले कहां जाएं, जानिए यात्रा का रूट

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 पर जाने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?

सभी देखें

धर्म संसार

द्रौपदी और श्रीकृष्‍ण महाभारत के बाद कैसे बन गए एक-दूसरे के समधी?

पाकिस्तान में कितने हैं हिंदू मंदिर और कितने तोड़ दिए गए?

सिंधु नदी के 10 रोचक तथ्य, पाकिस्तान के सिंध प्रांत को क्या कहते थे पहले?

वास्तु के अनुसार कैसे प्राप्त कर सकते हैं नौकरी

Aaj Ka Rashifal: 24 अप्रैल का राशिफल, व्यापार, नौकरी, रोमांस, करियर और सेहत की जानकारी

अगला लेख
More