अत्यंत पुण्यदायिनी है मलमास की पद्मिनी एकादशी, पढ़ें पौराणिक कथा

Webdunia
Padmini Ekadashi Katha
 
धर्मराज बोले- हे जनार्दन! अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी कथा क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए।
 
श्रीकृष्ण ने कहा- अधिक मास या मलमास को जोड़कर वर्ष में कुल 26 एकादशियां होती हैं। अधिक मास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती हैं। 
 
मलमास में अनेक पुण्यों को देने वाली इस एकादशी का नाम पद्मिनी है। इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो मनुष्‍यों के लिए भी दुर्लभ है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की कथा बताई थी। इस दिन यह कथा पढ़ने का बहुत अधिक महत्व माना गया है। 
 
पढ़ें कथा- 
 
हे मुनिवर! पूर्वकाल में त्रेयायुग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा महिष्मती पुरी में राज्य करता था। उस राजा की 1,000 परम प्रिय स्त्रियां थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो कि उनके राज्यभार को संभाल सके। देव‍ता, पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकि‍त्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए, लेकिन सब असफल रहे। 
 
तब राजा ने तपस्या करने का निश्चय किया। महाराज के साथ उनकी परम प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या थीं, राजा के साथ वन में जाने को तैयार हो गई। दोनों अपने मंत्री को राज्यभार सौंपकर राजसी वेष त्यागकर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए। 
 
राजा ने उस पर्वत पर 10 हजार वर्ष तक तप किया, परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई। तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा- 12 मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है, जो 32 मास पश्चात आता है। उसमें द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत के करने से भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही पुत्र देंगे।
 
रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को निराहार रहकर रात्रि जागरण कर‍ती। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्‍णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तवीर्य उत्पन्न हुए। जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था।
 
सो हे धर्मराज! जिन मनुष्यों ने मलमास शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया है, जो संपूर्ण कथा को पढ़ते या सुनते हैं, वे भी यश के भागी होकर विष्‍णुलोक को प्राप्त होते हैं।

ALSO READ: पुरुषोत्तमी एकादशी पर कैसे करें पूजन, जानिए सरल विधि एवं मुहूर्त

ALSO READ: पद्मिनी एकादशी की 15 खास बा‍तें

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

शिव चालीसा पढ़ते समय ये गलतियां तो नहीं करते हैं आप?

महाशिवरात्रि पर रात्रि के 4 प्रहर की पूजा का सही समय और पूजन विधि

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

विजया एकादशी कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत का फल

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

सभी देखें

धर्म संसार

शेगांव के श्री गजानन महाराज के बारे में 5 रोचक बातें

Aaj Ka Rashifal: इन 4 राशियों के लिए खास रहेगा आज का दिन, पढ़ें 20 फरवरी का दैनिक राशिफल

20 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

वर्ष 2025 के मध्य में क्या सचमुच देश और दुनिया में होने वाला है कुछ बड़ा?

20 फरवरी 2025, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More