Nirjala Ekadashi Ki Puja and Upay: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। 12 एकादशियों में से एक इस एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशियों का फल मिलता है। इस व्रत का महत्व महर्षि वेदव्यास जी ने भीम को बताया था। अतः इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 10 जून शुक्रवार को इसका व्रत रखा जाएगा।
एकादशी तिथि समय : दशमी तिथि 10 तारीख को सुबह 07:27:54 तक रहेगी उसके बाद एकादशी प्रारंभ होगी, जो अगले दिन यानी 11 जून 2022 शुक्रवार को 05:47:09 तक रहेगी। इसीलिए एकादशी 10 और 11 दोनों दिन रहेगी।
5 देवी-देवता को करें प्रसन्न : इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। एकादशी तिथि के देवता हैं विश्वदेवगण हैं। उनकी पूजा भी करना चाहिए। इस दिन जल देवता वरुणदेव की पूजा का भी महत्व रहता है। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी करना चाहिए। विष्णु, कृष्ण, वरुण, विश्वदेवगण और माता लक्ष्मी।
ये उपाय करें : बिना जल के करें उपवास : शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
पीपल में जल अर्पित करें : यदि आप उपरोक्त उपाय नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
जल का दान करें : इस दिन जलदान करने का भी खासा महत्व है। आप चाहें तो प्याऊ लगा सकते हैं या किसी मंदिर के समक्ष जल वितरण करवा सकते हैं। ऐसा करने से पितृदोष दूर होने के साथ ही चंद्रदोष भी दूर होता है।