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Indira Ekadashi 2025: यमलोक से जुड़ी है इंदिरा एकादशी की कथा, जानें राजा इंद्रसेन की कहानी

पितरों को मोक्ष दिलाता है इंदिरा एकादशी व्रत, पढ़ें व्रत कथा

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 16 सितम्बर 2025 (11:55 IST)
Indira Ekadashi story 2025: पितृ पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह व्रत पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए किया जाता है। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से पितरों को स्वर्ग में स्थान मिलता है। इस साल, इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इसकी प्रामाणिक कथा इस प्रकार है:ALSO READ: Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में एकादशी तिथि का श्राद्ध कैसे करें, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां
कथा: 
प्राचीन काल में महिष्मति नगरी में इंद्रसेन नाम के एक बहुत ही प्रतापी और धर्मपरायण राजा राज्य करते थे। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनका राज्य धन-धान्य और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण था। राजा इंद्रसेन अपनी प्रजा को पुत्रवत मानते थे और उनके हर दुख-सुख में शामिल होते थे।
 
एक बार ऋषि नारद आकाश मार्ग से राजा इंद्रसेन के दरबार में आए। नारद जी को देखकर राजा अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने उनका आदर-सत्कार किया और उनके आगमन का कारण पूछा।
 
नारद जी ने कहा, 'हे राजन! मैं यमलोक से आ रहा हूं। वहां मैंने तुम्हारे पिता को देखा, जो एक पाप के कारण यमराज के अधीन हैं और बहुत कष्ट में हैं। तुम्हारे पिता ने मुझसे कहा है कि यदि मेरा पुत्र इंदिरा एकादशी का व्रत करे तो मुझे मोक्ष मिल सकता है।'
 
यह सुनकर राजा इंद्रसेन बहुत दुखी हुए। उन्होंने नारद जी से पूछा, 'हे देवर्षि! कृपया मुझे इस व्रत की विधि और नियम बताएं।'
 
नारद जी ने कहा, 'हे राजन! आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और पितरों को मोक्ष मिलता है।'
 
नारद जी ने राजा को व्रत की पूरी विधि बताई:
- दशमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें।
- दोपहर में श्राद्ध कर्म करें। 
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शालिग्राम की पूजा करें।
- शाम के समय प्रदोष काल में भगवान विष्णु की पूजा करें और कथा सुनें।
- द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। 
- इसके बाद स्वयं परिवारसहित मौन धारण करके भोजन ग्रहण करें।
 
नारद जी के बताए अनुसार राजा इंद्रसेन ने अपने परिवार और प्रजा के साथ विधि-विधान से यह व्रत किया। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष मिला और वे स्वर्गलोक को चले गए। तब से यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

 अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Shraddha Paksha 2025: एकादशी का श्राद्ध कब है, क्या करते हैं इस दिन?

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