Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Monday, 9 June 2025
webdunia

एकादशी व्रत कब करें, पढ़ें शास्त्रोक्त जानकारी

Advertiesment
हमें फॉलो करें Ekadashi Vrat Kab karen
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

हमारे सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। शास्त्रानुसार हर हिन्दू धर्मावलंबी के लिए एकादशी व्रत रखना श्रेयस्कर माना गया है वहीं वैष्णवों के लिए तो एकादशी व्रत अनिवार्य बताया गया है। 
 
हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत को पुण्यदायक माना गया है। यह व्रत दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को किया जाता है लेकिन वर्तमान में अधिकतर श्रद्धालुओं को इस व्रत की तिथि निर्धारण को लेकर बड़ा असमंजस बना रहता है, इसका मुख्य कारण है पंचांगों में दो दिन एकादशी व्रत का उल्लेख होना। इसके कारण श्रद्धालुगण इस दुविधा में रहते हैं कि वे आखिर किस दिन एकादशी का व्रत करें। 
 
आज हम 'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए इस दुविधा का समाधान हेतु कुछ शास्त्रसम्मत जानकारियां दे रहे हैं-
 
1. सूर्योदयव्यापिनी तिथि (उदयातिथि) की सर्वग्राह्यता- शास्त्रानुसार एकादशी व्रत में सदैव सूर्योदयव्यापिनी तिथि जिसे लोकभाषा में 'उदयातिथि' कहते हैं; उसे ही ग्रहण किया जाता है अर्थात् जिस दिन सूर्योदय के समय एकादशी तिथि होगी उसी दिन एकादशी तिथि का व्रत रखा जाना चाहिए।
 
2. स्मार्त, वैष्णव एवं सर्व के लिए निर्देश- जैसा की पूर्व में सूर्योदयव्यापिनी तिथि (उदयातिथि) की सर्वग्राह्यता के संबंध में शास्त्र का मत पाठकों को बताया जा चुका है लेकिन अक्सर पंचांगों में यह दो दिन बताया जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि सनातन धर्मानुसार 'स्मार्त व वैष्णव' की श्रेणी अनुसार किसी भी व्रत को किया जाना श्रेयस्कर माना गया है। 
 
पाठकों ने अक्सर पंचांग में व्रत के आगे 'स्मार्त एवं 'वैष्णव' लिखा देखा होगा। यह इस बात का संकेत है कि 'स्मार्त' वाले दिन केवल 'स्मार्त' श्रेणी के अंतर्गत आने वाले श्रद्धालु उस व्रत को करेंगे एवं 'वैष्णव' वाले दिन 'वैष्णव' श्रेणी में आने वाले श्रद्धालुगण उस व्रत को करेंगे। जब व्रत के आगे 'सर्वे.' लिखा हो तो उस दिन 'स्मार्त' एवं 'वैष्णव' दोनों ही श्रेणी के श्रद्धालुगण उस व्रत को उस दिन कर सकते हैं। वर्तमान समय में कुछ पंचांगों में 'निम्बार्क' भी लिखा जाने लगा है जिससे आशय है उस दिन 'निम्बार्क' संप्रदाय के दीक्षित श्रद्धालु उस व्रत को करेंगे यद्यपि शास्त्रानुसार 'स्मार्त' एवं 'वैष्णव' श्रेणियां ही सर्वमान्य होती हैं।
'स्मार्त' व 'वैष्णव' की श्रेणी में कौन आते हैं-
 
पंचांग अनुसार 'स्मार्त' व 'वैष्णव' की श्रेणी अंतर्गत तिथि सुनिश्चित होने के उपरांत अब दुविधा यह होती है कि इन श्रेणियों में कौन से श्रद्धालुगण आते हैं। आइए जानते हैं-
 
1. स्मार्त- इस श्रेणी के अंतर्गत सभी गृहस्थ एवं वे श्रद्धालु आते हैं जो किसी भी वैष्णव सम्प्रदाय से दीक्षित नहीं हैं अर्थात् जिन्होंने 'वैष्णव' संप्रदाय के गुरु से दीक्षा प्राप्त नहीं की है।
 
2. 'वैष्णव'- इस श्रेणी के अंतर्गत वे सभी श्रद्धालु आते हैं जो वैष्णव संप्रदाय से दीक्षित हैं और जिन्होंने 'वैष्णव' संप्रदाय के गुरु से दीक्षा प्राप्त की है।
 
3. 'निम्बार्क'- इस श्रेणी के अंतर्गत वे सभी श्रद्धालु आते हैं जो 'निम्बार्क' संप्रदाय से दीक्षित हैं और जिन्होंने 'निम्बार्क' संप्रदाय के गुरु से दीक्षा प्राप्त की है।
 
हमारा विश्वास है कि उपर्युक्त विश्लेषण से अब पाठकों को किसी भी व्रत की तिथि के निर्धारण में किसी प्रकार की कोई दुविधा नहीं रहेगी। उपरोक्त शास्त्रसम्मत निर्देश केवल एकादशी ही नहीं अपितु हर व्रत की तिथि निर्धारण में समान रूप से लागू होता है। प्राचीन समय से मान्यता है कि 'वैष्णवों' का व्रत 'स्मार्त' के अगले दिन ही होता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Yogini Ekadashi 2021: योगिनी एकादशी की तिथि, पूजा मुहूर्त, पारण समय, व्रत नियम एवं कथा