देवशयनी एकादशी, कौनसे मंत्र से सुलाते हैं श्रीहरि विष्णु जी को?

WD Feature Desk
बुधवार, 3 जुलाई 2024 (10:56 IST)
Highlights 
 
देवशयनी एकादशी पर कैसे सुलाएं भगवान को। 
देवशयनी एकादशी के 3 खास मंत्र।  
जानिए श्रीहरि विष्णु जी को सुलाने के मंत्र।  

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2024 Devshayani Ekadashi : हर माह की तरह ही आषाढ़ के महीने में भी दो एकादशी पड़ती है। पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। जुलाई माह में आनेवाली आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाएंगे। इस दौरान अगले चार महीने तक शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं और इस अवधि को चातुर्मास भी कहते हैं। 
 
वर्ष 2024 में देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जा रही हैं। और प्रकृति के तथा सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु को इस दिन उनके विशेष मंत्र से उन्हें सुलाया जाता है।  
 
आइए यहां जानते हैं भगवान विष्णु जी के हरिशयन के खास मंत्र... 
 
ऐसे करें पूजन : 
 
- देवशयनी या हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजन की जाती है, ताकि चार महीने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे।
- इसके लिए देवशयनी एकादशी के दिन एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर श्रीविष्‍णु की मूर्ति या चित्र रख कर दीप जलाएं। 
- उन्हें पीला वस्त्र अर्पित करें। 
- पीली वस्तुओं का भोग लगाएं। 
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। 
- अगर कोई मंत्र नहीं आता हैं तो सिर्फ 'हरि' के नाम का जाप निरंतर करते रहे। 
- अगर मंत्र जाप कर रहे हैं तुलसी या चंदन की माला से जप करें। 
- फिर आरती करें। 
- तत्पश्चात श्री हरिशयन के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। 
 
यह पढ़ें मंत्र- 
 
1. देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र- 
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
 
2. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र-
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
 
3. क्षमा मंत्र-
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
 
इस तरह पूजन करके श्रीहरि की कृपा प्राप्त कर लें। 
 
तत्पश्चात भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं। जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

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