Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

देवउठनी एकादशी पर करें पितृदोष का निवारण

हमें फॉलो करें देवउठनी एकादशी पर करें पितृदोष का निवारण

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 7 नवंबर 2019 (14:49 IST)
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इस एकादशी के दिन से चतुर्मास का अंत भी हो जाता है। इसीलिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का विधि विधान से व्रत रखने पर पितृदोष का निवारण हो जाता है।
 
 
कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।

 
इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है। शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अयोध्या में जैन मंदिर