Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

आमलकी एकादशी को क्यों कहते हैं रंगभरी एकादशी

हमें फॉलो करें आमलकी एकादशी को क्यों कहते हैं रंगभरी एकादशी
, शनिवार, 12 मार्च 2022 (15:34 IST)
Amalaki Rangbhari Ekadashi 2022: 14 मार्च 2022 सोमवार को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह एकादशी फाल्गुन मास (Phalguna Month) के शुक्ल पक्ष में आती है। इस एकादशी को क्यों कहते हैं रंगभरी एकादशी आओ जानते हैं इसके पीछे का रहस्य।
 
 
क्यों कहते हैं रंगभरी एकादशी : फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है, फिर दूसरे दिन धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है और इसके बाद चैत्र पंचमी के दिन रंगपंचमी का त्योहार होता है। इससे पूर्व एकादशी के दिन शिव और पार्वती रंग और गुलाल से होली खेलते हैं इसीलिए इसे रंगभरी एकादशी कहते हैं।
 
आमलकी एकादशी के दिन भगवान शिव की नगरी काशी में उनका विशेष श्रृंगार पूजन होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाते हैं। इसके बाद बाबा विश्वनाथ जी के साथ माता गौरा का गौना कराया जाता है। मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव माता गौरा और अपने गणों के साथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं। यह दिन भगवान शिव और माता गौरी के वैवाहिक जीवन से संबंध रखता है। 
 
मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। इस उपलक्ष्य में भोलेनाथ के गणों ने रंग-गुलाल उड़ाते हुए खुशियां मनाई थी। तब से हर वर्ष रंगभरी एकादशी को काशी में बाबा विश्वनाथ रंग-गुलाल से होली खेलते हैं और माता गौरा का गौना कराया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ मां पार्वती के साथ नगर भ्रमण करते हैं और पूरा नगर लाल गुलाल से सरोबार हो जाता है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शनि की साढ़ेसाती क्या है, 5 राशियों को कब मिलेगी राहत, जानिए विस्तार से