राजा महीध्वज की कथा: अपरा एकादशी का प्रभाव

अपरा एकादशी कथा: एक पापी की मुक्ति

WD Feature Desk
गुरुवार, 22 मई 2025 (09:42 IST)
Apara Ekadashi 2025: वर्ष 2025 में 23 मई, शुक्रवार को अपरा एकादशी मनाई जाएगी। अपरा एकादशी प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इस एकादशी को जलक्रीड़ा, भद्रकाली तथा अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी हर तरह के पापों को मिटाने में सक्षम मानी गई है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु और उनके पांचवें अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है।ALSO READ: अचला एकादशी व्रत से मिलते हैं ये 8 अद्भुत लाभ
 
अचला एकादशी की अद्भुत कथा: अपरा एकादशी की पौराणिक और प्रचलित व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। 
 
उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। 
 
एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। 
 
दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा/ अचला एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने हेतु इस व्रत का पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। राजा महीध्वज ॠषि को धन्यवाद देता हुआ, दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।ALSO READ: 2025 में कब मनाई जाएगी अपरा एकादशी, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
 
इस तरह अपरा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। इस व्रत से अपार खुशियों की प्राप्ति और सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा धन-संपत्ति और सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
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