बकरीद (ईद-उल-जुहा) की 10 खासियतें

Webdunia
Eid al-Adha 2021
 
1. ईद-उल-अजहा या ईदे-अजहा मुस्लिम भाइयों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस वर्ष यह 21 जुलाई को मनाया जा रहा है। ईद तीन तरह की होती है। ईदे-अजहा के अलावा दो और ईद हैं- ईदुलफित्र या रमजान ईद और दूसरी ईद को मिलादुन्नबी कहते हैं। 
 
2. ईदुल फित्र हो, ईदे अजहा या ईदे मिलाद, तीनों ईद भाइचारे, त्याग, समर्पण और इंसानियत का पैगाम देती हैं। तीनों ईदें सबको मिलजुलकर रहने और भलाई करने की सीख देती हैं।
 
 
3. ईद-उल-अजहा को कई नामों से जाना जाता है। ईदे-अजहा को नमकीन ईद भी कहा जाता है और इसी ईद को ईदे करबां भी कहा जाता है। नमकीन ईद कहे जाने का अर्थ यह है कि इसे नमकीन पकवानों के साथ मनाया जाता है। जबकि कुरबानी से जुड़ी होने की वजह से इसे ईदे कुरबां भी कहा जाता है। बच्चे आमतौर पर इसे बकरा ईद भी कहते हैं।
 
4. अमूमन यह माना जाता है कि इस ईद का संबंध बकरे से है। वास्तव में, 'बकर' का अर्थ है बड़ा जानवर, जो जिबह किया जाता है। ईदे कुरबां का अर्थ है बलिदान की भावना। अरबी में 'कर्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं। अर्थात्‌ इस अवसर पर भगवान पुरुष के करीब हो जाता है।
 
5. कुरबानी उस पशु के जिबह करने को कहते हैं, जिसे इस हज के महीने में दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं तारीखों को खुदा को खुश करने के लिए हज की रस्म अदा करते समय जिबह (बलि) किया जाता है।
 
6. भाईचारे के इस त्योहार की शुरुआत तो अरब से हुई है मगर, 'तुजके जहांगीरी' में लिखा है- 'जो जोश, खुशी और उत्साह भारतीय लोगों में ईद मनाने का है, वह तो समरकंद, कंधार, इस्फाहान, बुखारा, खुरासान, बगदाद और तबरेज जैसे शहरों में भी नहीं पाया जाता, जहां इस्लाम का जन्म भारत से पहले हुआ था।' 
 
7. मुगल बादशाह जहांगीर अपनी रिआया (प्रजा) के साथ मिलकर ईदे-अजहा मनाते थे। गैर मुस्लिमों को बुरा न लगे, इसलिए ईद वाले दिन शाम को दरबार में उनके लिए विशेष शुद्ध वैष्णव भोजन हिन्दू बावर्चियों द्वारा बनाए जाते थे। यही भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा है।
 
8. इस बात के प्रमाण हैं कि ईद मनाने की परंपरा भारत में मुगलों ने ही डाली है, इसीलिए ईद के दिन आजकल भारत में ऐसा नजारा देखने को मिलता है, जैसे कि यह सारे भारत वर्ष का अपना पर्व हो।
 
9. कुर्बानी से जो सवाब एक मामूली बकरे की कुर्बानी से मिलता है वही किसी महंगे बकरे की कुर्बानी से मिलता है। अगर आप बहुत पैसे वाले हैं तो ऐसे काम करें जिससे गरीबों को ज्यादा फायदा हो। अल्लाह का नाम लेकर जानवर को कुर्बान किया जाता है। इसी कुर्बानी और गोश्त को हलाल कहा जाता है। 
 
10. इस गोश्त के तीन बराबर हिस्से किए जाते हैं, एक हिस्सा खुद के लिए, एक दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीबों और मिस्कीनों के लिए। मीठी ईद पर सद्का और जकात दी जाती है तो इस ईद पर कुर्बानी के गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाता है। इस तरह यह ईद जहां सबको साथ लेकर चलने का पैगाम देती है।
 
वहीं ईद यह भी बताती है सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। 

ALSO READ: ईद उल अदहा : जानिए कैसे और क्यों मनाई जाती है बकरीद

ALSO READ: ईद उल अदहा : जानिए कैसे मनाएं कोरोना काल में ईद
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Makar Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: मकर राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख
More