प्रयत्नों की रोशनी से झाँकती उम्मीदें...

संपादकीय – स्वागत 2018

जयदीप कर्णिक
जब भी साल बदलता है, हमें ठहरकर सोचने पर मजबूर करता है। यों तो हर पल गतिमान समय की धार में साल, वर्ष, बरस… जो भी कह लें, एक छोटा–सा बिंदु है ... पर चूँकि हम इसी बहाने से ईस्वी सन वाला दीवारों पर टँगा कैलेंडर बदलते हैं, आँकड़ा बदलते हैं, तो इस वक्फे का इस्तेमाल पीछे पलटकर देखने और आगे के स्वप्न संजोने के लिए कर ही लेते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। आख़िर हम घड़ी की भागती सुइयों और कैलेंडर पर बदलती तारीखों से ख़ुद को इतना करीब से जोड़ चुके हैं। इस लौकिक जीवन में काल का ये खंड और बदलते साल के आँकड़े हमें रोमांचित भी करेंगे और इससे नत्थी हमारी ज़िंदगी को लेकर सोचने पर मजबूर भी करेंगे।
 
 
दुनिया के परिदृश्य की बात करें तो साल 2017 का आगाज़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विरोध वाली रैलियों और नारों से हुआ। बराक ओबामा के नेतृत्व में आठ साल तक रहे अमेरिका के एक बड़े तबके के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की जीत एक झटका ही थी। उनको लगता नहीं था कि अलग ही तरह की बातें करने वाला ये अरबपति, अमेरिका के अब तक “गढ़े गए” उदारवादी चेहरे को अँगूठा दिखाकर, स्थापित मान्यताओं को चुनौती देकर, मीडिया को अँगूठा दिखाकर, महत्वपूर्ण अमेरिकी नीतियों को सिर के बल खड़ा कर यों देश की सत्ता पर काबिज़ हो जाएगा। पर ऐसा हो चुका था। 2016 के अंत में ही ये इबारत लिखी जा चुकी थी। 2017 ने तो बस उनकी औपचारिक ताजपोशी की।
 
 
डोनाल्ड ट्रम्प, उनकी नीतियाँ और उनका कार्यकाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वो केवल अमेरिका को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे। जैसे कि उन्होंने साल के आखिर में येरूशलम को इसराइल की राजधानी घोषित कर के दिखा भी दिया। इसी तरह उनके नेतृत्व में अमेरिका में इंटरनेट को स्वतंत्र रखने के विपरीत जो फैसला लिया गया है वो भी पूरी दुनिया में बहस छेड़ने और दूरगामी असर वाला निर्णय है। साल 2018 इनकी आगे की नीतियों और इसी तरह के फैसलों को टकटकी लगाए देखेगा। 
 
उधर चीन में माओ के बाद शी जिनपिंग ने अपनी ताकत बढ़ा ली। ना केवल वे दोबारा राष्ट्रपति बन गए, बल्कि उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर भी अपने वर्चस्व को मज़बूत कर लिया। पूरी दुनिया और ख़ास तौर पर भारत के लिए उनका ये दूसरा कार्यकाल बहुत अहम होगा। पाकिस्तान के साथ उसकी बढ़ती गलबहियों के चलते ही अमेरिका ने भारत से अपनी करीबी बढ़ा दी है। 
 
इसके अलावा भी ये दुनिया रोहिंग्या, बिटकॉइन, पनामा कांड और यूरोप के आर्थिक झमेलों में उलझी रही। भारत के लिए एक अच्छी ख़बर ये आई कि अप्रवासी भारतीय का बेटा लियो वरदकर आयरलैंड का प्रधानमंत्री बना। और भी कई मोर्चों पर भारतीयों ने अपने कौशल से सफलता का परचम लहराया। 
 
अपने देश ने 8 नवंबर 2016 को हुए नोटबंदी के फैसले के साए में ही 2017 में प्रवेश किया था। उम्मीद थी कि इसके बेहतर परिणाम जल्द ही देखने को मिलेंगे, पर ये सब तय होने में अभी और वक्त लगेगा। बैंकों और एटीएम के बाहर की लम्बी लाइनें ज़रूर कम होकर ख़त्म हो गईं पर नोटबंदी पर चर्चा और आकलन जारी रहेंगे। 
इसी बीच आधा साल बीतते के साथ ही एक और बड़ा आर्थिक कदम जीएसटी के रूप में उठाया गया। ये 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया। पर इस पर ना केवल बहस जारी है बल्कि सरकार की तरफ से इसमें फेरबदल भी जारी हैं। इसी तरह 1 मई से लाल बत्ती को हटाए जाने का फैसल भी बड़ा है। 22 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा कानून बनाए जाने तक तीन तलाक पर रोक लगाने का अहम फैसला दिया। साल ख़त्म होते-होते सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को ख़त्म किए जाने संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया। इसके कानून बनते ही ये देश शाह बानो से लेकर सायरा बानो तक का एक लंबा सफर तय कर एक बड़ी सामाजिक विसंगति को लेकर अपनी दिशा तय करने में कामयाब हो पाएगा। 
 
तो इस तरह हमने उपलब्धियों और निराशा के कई पड़ावों से गुजरते हुए साल 2017 का सफर पूरा कर ही लिया है। जहाँ हम क्रायोजेनिक अपर स्टेज इंजन जीएसएलवी मार्क III का सफलतापूर्वक परीक्षण कर पाए वहीं मुंबई में एक साल से मृत आशा साहनी के कंकाल ने हमें झिंझोड़ कर रख दिया। 
 
आज जब हम 2018 की दहलीज पर उम्मीद का दीया जला रहे हैं तो कामना यही है कि ये साल हमें लगातार बढ़ती जा रही कट्टरता, वैमनस्य और प्रतिशोध की भावना से मुक्ति दिलाए। कि सामाजिक समरसता के सुनहरे ख्वाब सच हों। कि 2018 के पूरा होते जब इसे याद करें तो हमें यादों के चमकते इंद्रधनुष ही दिखाई दें और निराशा के स्याह घेरे ढूँढे ना मिल पाएँ। हाँ, ये सब जादू से तो होगा नहीं, हम सभी को मिलकर कोशिश करनी होगी.... हम सभी मिलकर कोशिश करें तो फिर जादू की जरूरत भी क्या रह जाए ..... नहीं क्या? हमारी उम्मीदों और परिश्रम के समवेत प्रयत्न से रोशन दीये से झाँकता 2018 कितना ख़ूबसूरत होगा!!  तो उम्मीद के साथ प्रयत्न भी करें?
 
आप सभी को साल 2018 की शुभकामनाएँ...

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