दशहरा पूजन कैसे करें : सबसे सही विधि आपको कहीं नहीं मिलेगी

Webdunia
विजया दशमी, दशहरा पूजन, शस्त्र पूजन, शमी पूजन रावण दहन, दुर्गा विसर्जन इतने सारे शुभ संयोग आ रहे हैं साल 2022 में 5 अक्टूबर को, इस दिन को सारे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए जानें शास्त्रोक्त प्रामाणिक विधान दशहरा पूजन का.... 
 
आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण का सहयोग होने से विजयादशमी होती है। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। विजयादशमी का त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद के आरंभ का सूचक है। इन दिनों दिग्विजय यात्रा तथा व्यापार के पुनः आरंभ की तैयारियां होती हैं।
 
चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं, उनके आरंभ के लिए साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती-पूजन तथा क्षत्रिय शस्त्र-पूजन आरंभ करते हैं। विजयादशमी या दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है।
 
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
 
अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है। यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध, परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है।
 
क्षत्रिय/राजपूतों के लिए पूजन विधि
 
साधक को चाहिए कि इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर निम्न संकल्प लें-
 
मम क्षेमारोग्यादिसिद्ध्‌यर्थं यात्रायां विजयसिद्ध्‌यर्थं
गणपतिमातृकामार्गदेवतापराजिताशमीपूजनानि करिष्ये।
 
पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि का यथाविधि पूजन करें।
 
इसके बाद अश्व पर आरूढ़ होकर अपराह्न में गज, तुरग, रथ सहित यात्रा पर ईशान कोण में रवाना हों।
रास्ते में शमी (जांटी या खेजड़ा) और अश्मंतक (कोविदार या कचनार) के समीप उतरकर शमी के मूल की भूमि का जल से प्रोक्षण करें।
 
फिर पूर्व या उत्तर मुख बैठकर पहले शमी का पूजन निम्न मंत्र का पाठ करते हुए करें-
 
शमी शमय मे पापं शमी लोहितकंटका।
धारिण्यर्जुन बाणानां रामस्य प्रियवादिनी॥
करिष्यमाणयात्रायां यथाकालं सुखं मम।
तत्र निर्विघ्नकर्त्री त्वं भव श्रीरामपूजिते॥
 
फिर अश्मंतक की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें-
 
अश्मंतक महावृक्ष महादोषनिवारक।
इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम्‌॥
 
पश्चात शमी या अश्मंतक के या दोनों के पत्ते लेकर उनमें पूजा स्थान की थोड़ी सी मृत्तिका, कुछ चावल तथा एक सुपारी रखकर कपड़े में बांध लें और कार्यसिद्धि की कामना से अपने पास रखें। फिर आचार्य का आशीर्वाद लें। पश्चात पूर्व दिशा में विष्णु की परिक्रमा करके अपने शत्रु के स्वरूप को हृदय में और उसके चित्र को दृष्टि में रखकर सुवर्ण के शर से उसके मर्मस्थल का भेदन करें। फिर 'शत्रु को जीत लिया है' कहते हुए वृक्ष की परिक्रमा करें। जो साधक प्रतिवर्ष इस प्रकार 'विजया' करता है, उसकी शत्रु पर सदैव विजय होती है। दशहरा मांडने की यही रीति है।
 
सामान्यजन के लिए पूजन विधि
 
सामान्यजन को चाहिए कि इस दिन प्रातःकाल देवी का विधिवत पूजन करके नवमीविद्धा दशमी में विसर्जन तथा नवरात्र का पारण करें।
 
अपराह्न बेला में ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुंकुम आदि से अष्टदल कमल का निर्माण करके संपूर्ण सामग्री जुटाकर अपराजिता देवी के साथ जया तथा विजया देवियों का पूजन करें। शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक शमी देवी का पूजन कर शमी वृक्ष के जड़ की मिट्टी लेकर वाद्य यंत्रों सहित वापस लौटें। यह मिट्टी किसी पवित्र स्थान पर रखें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्तों अथवा डालियों की पूजा नहीं करनी चाहिए।
 
विजयोत्सव अधूरा रह जाता है अगर हम रावण दहन का आनंद न लें। 

रावण दहन शुभ मुहूर्त में ही करें। 


ALSO READ: जानिए दशहरा के उपाय क्या शुभ फल देते हैं, हर क्षेत्र में चाहिए विजय तो तुरंत नोट कर लें

ALSO READ: दशहरा पर्व का शमी पत्ते से क्या है पौराणिक कनेक्शन?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Bhai dooj katha: भाई दूज की पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री सहित सरल विधि

Diwali Laxmi Pujan Timing: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और चौघड़िया

Narak chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी पर हनुमानजी की पूजा क्यों करते हैं, क्या है इसका खास महत्व?

दिवाली के पांच दिनी उत्सव में किस दिन क्या करते हैं, जानिए इंफोग्राफिक्स में

सभी देखें

धर्म संसार

Bhai dooj: भाईदूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त जी की पूजा?

शुक्र के धनु में गोचर से 4 राशियों को मिलेगा धनलाभ

कौन हैं छठी मैया? जानिए भगवान कार्तिकेय से क्या है संबंध?

Annakut Govardhan Puja: कैसे मनाते हैं अन्नकूट उत्सव और गोवर्धन पूजा का यह त्योहार, क्यों करते हैं गोवर्धन परिक्रमा?

Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है? जानें डेट, महत्व व तिलक करने का शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More