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List of 51 Shakti Peetha: 51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

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WD Feature Desk

, शनिवार, 21 सितम्बर 2024 (17:15 IST)
51 shakti peeth list with states: माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में कूदकर अपनी जान दे दी थी क्योंकि राजा दक्ष ने उनके पति शिव को यज्ञ में बुलाया भी नहीं था और यज्ञ भूमि पर उनका अपमान भी किया था। माता सती यह सह नहीं पाई और उन्होंने यज्ञ में कूदकर अपनी जान दे दी। जब यह बात शिवजी को पता चली तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को आदेश दिया सब कुछ उजाड़ देने का। वीरभद्र ने यज्ञ भूमि ही नहीं उजाड़ी बल्कि सब कुछ तबाह कर दिया और राजा दक्ष का सिर काटकर महादेव के चरणों में रख दिया। इसके बाद माता शिवजी ने माता सती की अर्धजली देह को यज्ञ भूमि से निकालकर अपने कंधे पर रखा और भयानक दुखी होकर सभी जगह भ्रमण करते रहे। जहां जहां पर मां सती के अंग गिरे वहां पर शक्तिपीठ निर्मित हो गए। बाद में माता सती ने पार्वती के रूप में जन्म लिया।
 
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है तंत्रचूड़ामणि की तालिका।
 
1.हिंगलाज
हिंगुला या हिंगलाज शक्तिपीठ जो कराची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहाँ माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति- कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है और भैरव को भीमलोचन कहते हैं।
 
2.शर्कररे (करवीर)
पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के निकट स्थित है शर्कररे शक्तिपीठ, जहां माता की आँख गिरी थी। इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी और भैरव को क्रोधिश कहते हैं।
 
3.सुगंधा- सुनंदा
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है माँ सुगंध, जहाँ माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।
 
4.कश्मीर- महामाया
भारत के कश्मीर में पहलगाँव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
 
5.ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका)
भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी, उसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं। इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) और भैरव को उन्मत्त कहते हैं।
 
6.जालंधर- त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के निकट देवी तलाब जहाँ माता का बायाँ वक्ष (स्तन) गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी और भैरव को भीषण कहते हैं।
 
7.वैद्यनाथ- जयदुर्गा
झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहाँ माता का हृदय गिरा था। इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं।
 
8.नेपाल- महामाया
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्‍थित है गुजरेश्वरी मंदिर जहाँ माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे। इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं।
 
9.मानस- दाक्षायणी
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के निकट एक पाषाण शिला पर माता का दायाँ हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है दाक्षायनी और भैरव अमर हैं।
 
10.विरजा- विरजाक्षेत्र
भारतीय प्रदेश उड़ीसा के विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति है विमला और भैरव को जगन्नाथ कहते हैं।
 
11.गंडक- गंडकी
नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर, जहाँ माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी। इसकी शक्ति है गण्डकी चण्डी और भैरव चक्रपाणि हैं।
 
12.बहुला- बहुला (चंडिका)
भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल से वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के निकट अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायाँ हाथ गिरा था। इसकी शक्ति है देवी बाहुला और भैरव को भीरुक कहते हैं।
 
13.उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका
भारतीय प्रदेश पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जय‍िनी नामक स्थान पर माता की दायीं कलाई गिरी थी। इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव को कपिलांबर कहते हैं।
 
14.त्रिपुरा- त्रिपुर सुंदरी
भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदरपुर के निकट राधाकिशोरपुर गाँव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी और भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं।
 
15.चट्टल- भवानी
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगाँव) जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट ‍चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी। इसकी शक्ति भवानी है और भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।
 
16.त्रिस्रोता- भ्रामरी
भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्‍थित त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायाँ पैर गिरा था। इसकी शक्ति है भ्रामरी और भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं।
 
17.कामगिरि- कामाख्‍या
भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्‍थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था। इसकी शक्ति है कामाख्या और भैरव को उमानंद कहते हैं।
 
18.प्रयाग- ललिता
भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर (प्रयाग) के संगम तट पर माता की हाथ की ऊँगली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं।
 
19.जयंती- जयंती
बांग्लादेश के सिलहट जिले के जयंतिया परगना के भोरभोग गाँव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर जहां माता की बायीं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।
 
20.युगाद्या- भूतधात्री
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्‍या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएँ पैर का अँगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं।
 
21.कालीपीठ- कालिका
कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएँ पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं।
 
22.किरीट- विमला (भुवनेशी)
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था। इसकी शक्ति है विमला और भैरव को संवर्त्त कहते हैं।
 
23.वाराणसी- विशालाक्षी
उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणिजड़ीत कुंडल गिरे थे। इसकी शक्ति है विशालाक्षी‍ मणिकर्णी और भैरव को काल भैरव कहते हैं।
 
24.कन्याश्रम- सर्वाणी
कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था। इसकी शक्ति है सर्वाणी और भैरव को निमिष कहते हैं।
 
25.कुरुक्षेत्र- सावित्री
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव है स्थाणु।
 
26.मणिदेविक- गायत्री
अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे। इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं।
 
27.श्रीशैल- महालक्ष्मी
बांग्लादेश के सिलहट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गाँव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
 
28.कांची- देवगर्भा
पश्चिम बंगाल के बीरभूमी जिला के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी। इसकी शक्ति है देवगर्भा और भैरव को रुरु कहते हैं।
 
29.कालमाधव- देवी काली
मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायाँ नितंब गिरा था जहाँ एक गुफा है। इसकी शक्ति है काली और भैरव को असितांग कहते हैं।
 
30.शोणदेश- नर्मदा (शोणाक्षी)
मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायाँ नितंब गिरा था। इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं।
 
31.रामगिरि- शिवानी
उत्तरप्रदेश के झाँसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायाँ वक्ष गिरा था। इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं।
 
32.वृंदावन- उमा
उत्तरप्रदेश के मथुरा के निकट वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।
 
33.शुचि- नारायणी
तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहाँ पर माता की ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है नारायणी और भैरव को संहार कहते हैं।
 
34.पंचसागर- वाराही
पंचसागर (अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत (अधोदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है वराही और भैरव को महारुद्र कहते हैं।
 
35.करतोयातट- अपर्णा
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गाँव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव को वामन कहते हैं।
 
36.श्री पर्वत- श्री सुंदरी
कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। दूसरी मान्यता अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएँ पैर की एड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं।
 
37.विभाष- कपालिनी
पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव को शर्वानंद कहते हैं।
 
38.प्रभास- चंद्रभागा
गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के निकट वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था। इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं।
 
39.भैरवपर्वत- अवंती
मध्यप्रदेश के ‍उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है अवंति और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं।
 
40.जनस्थान- भ्रामरी
महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। इसकी शक्ति है भ्रामरी और भैरव है विकृताक्ष।
 
41.सर्वशैल स्थान
आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। इसकी शक्ति है रा‍किनी और भैरव को वत्सनाभम कहते हैं'
 
42.गोदावरीतीर :
यहाँ माता के दक्षिण गंड गिरे थे। इसकी शक्ति है विश्वेश्वरी और भैरव को दंडपाणि कहते हैं।
 
43.रत्नावली- कुमारी
बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायाँ स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं।
 
44.मिथिला- उमा (महादेवी)
भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं।
 
45.नलहाटी- कालिका तारापीठ
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। इसकी शक्ति है कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं।
 
46.कर्णाट- जयदुर्गा
कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव को अभिरु कहते हैं।
 
47.वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य (मन:) गिरा था। इसकी शक्ति है महिषमर्दिनी और भैरव को वक्रनाथ कहते हैं।
 
48.यशोर- यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं।
 
49.अट्टाहास- फुल्लरा
पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे। इसकी शक्ति है फुल्लरा और भैरव को विश्वेश कहते हैं।
 
50.नंदीपूर- नंदिनी
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था। इसकी शक्ति है नंदिनी और भैरव को नंदिकेश्वर कहते हैं।
 
51.लंका- इंद्राक्षी
श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी (त्रिंकोमाली में प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट)। इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं।
 
52.विराट- अंबिका
विराट (अज्ञात स्थान) में पैर की अँगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है अंबिका और भैरव को अमृत कहते हैं।
 
नोट : इसके अलावा पटना-गया के इलाके में कहीं मगध शक्तिपीठ माना जाता है।
 
53. मगध- सर्वानन्दकरी
मगध में दाएँ पैर की जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है सर्वानंदकरी और भैरव को व्योम केश कहते हैं।
 
 

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