कॉमर्स स्ट्रीम में एकाउंटेंसी विषय का अच्छा-खासा महत्व है। इसके माध्यम से किसी भी कंपनी/कॉर्पोरेट के वित्तीय स्वास्थ्य का लेखा-जोखा आसानी से समझा जाता है। खातों के इस खेल में आंकड़ों और विभिन्न एंट्रीज का विशेष योगदान होता है।
इन एंट्रीज का सही ज्ञान होने पर ही सही तरह से खातों में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। एक बार ये टेक्निकल टर्म्स भली प्रकार से समझ लेने के बाद शत-प्रतिशत अंक बटोरने में इस पेपर में कतई मुश्किल नहीं है। तो आइए बात करते हैं इस पेपर की फाइनल तैयारी और ऐसे टिप्स की जिनके जरिए अब भी अच्छे अंक बटोरे जा सकते हैं।
सामान्य गलतियां - इस पेपर को महज पढ़कर, बिना लिखे और बिना प्रैक्टिस के तैयार करने की गलती।
- थ्योरेटिकल पार्ट को नजरअंदाज करने की आम प्रवृत्ति।
- एनसीईआरटी के बदले अन्य सहायक पुस्तकों पर पूरी तरह निर्भरता।
- एकाउंटिंग की विभिन्न एंट्रीज के कंसेप्ट्स को समझे बिना रट कर तैयारी करने की रणनीति।
- टीचर्स के नोट्स को नहीं देखने की गलती।
सुधारने के तरीके - सीबीएससी द्वारा जारी पेपर के पैटर्न और नंबर स्कीम को अच्छी तरह से समझ लें। इसके बाद ही अंकों के मान के मुताबिक विभिन्न चैप्टर्स की तैयारी शुरू करें।
- चाहे किसी भी तरह से समय मैनेज करें पर एनसीईआरटी से कम से कम एक बार अवश्य समझने का प्रयत्न करें। इसमें दिए गए सभी उदाहरणों और प्रश्नों को अवश्य देख लें। इसके लिए सहायक पुस्तक की मदद ले सकते हैं। हालांकि, प्रत्येक चैप्टर्स के बाद दिए सारांश पढ़ने से भी काफी आसानी हो सकती है।
- पेपर में 60 अंकों की थ्योरी और 40 अंकों का प्रैक्टिकल पर आधारित हिस्सा होता है। थ्योरी में शेयर कैपिटल, पार्टनरशिप फर्म्स , एकाउंटेंसी फॉर नॉट फॉर प्रॉफिट फर्म्स से काफी प्रश्न होते हैं।
- एकाउंटेंसी की विभिन्न टर्म्स की परिभाषाएं और उनके इस्तेमाल का ज्ञान अच्छे अंक दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
- सैंपल पेपर्स की अधिकाधिक प्रैक्टिस से परीक्षा हॉल में प्रश्नों को सॉल्व करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।
- पेपर के प्रैक्टिकल पर आधारित 40 अंकों के वैकल्पिक खंड के लिए कंप्यूटर एकाउंटिंग अथवा फाइनेंशियल एकाउंटिंग एनालिसिस में से किसे आपको चुनना है यह पहले से ही तैयारी के मुताबिक तय होना चाहिए।
- याद रखें कि यह पेपर थोड़ा लंबा होता है इसलिए टाइम मैनेजमेंट पर ध्यान दें ताकि सभी प्रश्न करने के लिए आपको समुचित समय मिल सके। इसके लिए एकमात्र तरीका सैंपल पेपर्स की निर्धारित समय में प्रैक्टिस करना ही है।
- टीचर्स द्वारा सुझाए गए महत्वपूर्ण प्रश्नों और टॉपिक्स पर विशेष ध्यान दें। मान कर चलिए कि इनमें से कुछ सवाल आपको परीक्षा हॉल में अवश्य देखने को मिलेंगे।
- कंसेप्ट्स को समझने में गाइड्स अथवा सहपाठियों का सहारा लेने में कोई बुराई नहीं है।
- लेजर पोस्टिंग और क्रेडिट एवं डेबिट बैलेंस जैसी बुनियादी अवधारणाओं के बारे में स्पष्टता होनी जरूरी है।
- उत्तर के महत्वपूर्ण बिंदुओं को परीक्षक की नजरों के सामने लाने के लिए रेखांकित अवश्य करें।
- उत्तर पुस्तिका की पुनरावृत्ति के लिए कम से कम 15 मिनट्स का समय अंत में अवश्य रखें। इस क्रम में कई छोटी बड़ी गलतियां पकड़ में आ जाती हैं।