अक्सर देखा जाता है कि युवा जब अपना सफल करियर नहीं बना पाते हैं तो इसका दोष वे दूसरों को देते हैं। अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने लगते हैं। यह याद रखिए अपनी नाकामी के जिम्मेदार आप खुद हैं।
वे अनेक बातों का रोना रहते हैं, जैसे हमारे माता-पिता के कम पढ़े-लिखे होने के कारण वे हमारा करियर में मागदर्शन नहीं कर सके। हम पढ़ने की सुविधाएं नहीं मिली। पढ़ाई के दौरान हमें घर के कामों में लगाए रखा। घर में ज्यादा सदस्य होने से घरवालों ने हमारी ओर ध्यान नहीं दिया।
ये ऐसी कुछ बातें हैं जो असफल युवा कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर व्यक्ति कुछ करना चाहे और उसके हौसले बुलंद हों तो उसकी राह में कितनी भी मुसीबतें आएं वह सफल हो जाता है।
एक अंग्रेजी कहावत का हिन्दी अर्थ है- 'किसी एक विचार या लक्ष्य के प्रति समर्पण के कारण ही एक सामान्य योग्यता रखने वाला व्यक्ति असाधारण प्रतिभा से संपन्न व्यक्ति बनता है।'
कठिनाइयां हर किसी के जीवन में आती हैं बस उनका स्वरूप और उनसे लड़ने के तरीके अलग हो सकते हैं। उन कठिनाइयों को ढाल बनाकर अपनी नाकामी को उजागर न करें, बल्कि हर स्थिति से निकलना सीखें।
याद रखिए दुनिया भी उन्हीं को याद रखती है जो संघर्षों से निकलकर सफलता के शिखर पर पहुंचता है। नाकामियों को रोना छोड़कर चल पड़िए मंजिल की राह पर। मुश्किलें तो आएंगी। अपनी नाकामियों को सफलता की मंजिल पाने का पड़ाव मानिए।
हिटलर का प्रसिद्ध वाक्य है, 'जो बिना संघर्ष के जीतता है वह विजेता कहलाता है लेकिन जो संघर्षों का सामना करके जीतता है वह इतिहास बनाने वाला कहलाता है।'
इन बातों जीवन में हमेशा रखें ध्यान- - अगर आप किसी क्षेत्र में करियर बनाने में असफल हो गए हैं तो यह न सोचिए कि सिर्फ वही क्षेत्र आपके लिए बना था। - आप दूसरे क्षेत्र में प्रयास कर सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। - पहाड़ी की चढ़ाई करते समय हमेशा ऊपर चढ़ने वालों को देखना चाहिए। नीचे वालों को देखेंगे तो हमें ऊंचाई से डर लगेगा। - अपने आपको मोटिवेट कीजिए। सफलता की जो अनुभूति रहती है उसका मजा ही कुछ और है। - जीत कुछ कर गुज़रने में है, हारकर बैठने में नहीं। प्रयास से सफलता मिल ही जाती है।