कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से मिलेगा श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद

Webdunia
Tulsi Puja: 29 अक्टूबर 2023 से कार्तिक मास प्रारंभ हो गया है जो 27 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन समाप्त होगा। इस दौरान करवा चौथ, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव, देव उठनी एकादशी, छठ और देव दिवाली का महत्वपूर्ण व्रत त्योहार आते हैं। संपूर्ण कार्तिक माह में श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व होता है। इसी के साथ ही विशेष रूप से तुलसी की पूजा की जाती है।
 
कार्तिक माह में एकादशी और देव दिवाली के दिन तुलसी पूजा का खास महत्व रहता है। देव उठनी एकादशी पर तो शालिग्राम के साथ तुलसी मां का विवाह कराया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी और देव उत्थान एकादशी कहते हैं। इस दिन श्री हरि विष्णु अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं। इसीलिए उनका तुलसी माता के साथ विवाह करने की परंपरा भी है।
 
तुलसी पूजा और विवाह परंपरा पूजन विधि:
  1. शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं। 
  2. तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। 
  3. तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं। 
  4. तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं। 
  5. गमले में सालिग्राम/ शालिग्राम जी रखें। 
  6. शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है। 
  7. तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं। 
  8. गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।
  9. अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें। 
  10. देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं।
  11. कर्पूर से आरती करें। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी) 
  12. प्रसाद चढ़ाएं। 
  13. ग्यारह बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।
  14. प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें। 
  15. प्रसाद वितरण अवश्य करें। 
  16. पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा।
  17. इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है - हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।
 
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है-
 
'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥'
'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥'
'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।'
 
तुलसी नामाष्टक पढ़ें :-- 
वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।
मां तुलसी से उनकी तरह पवित्रता का वरदान मांगें। 
 
ALSO READ: November Birthday: ऐसे होते हैं नवंबर में जन्मे लोग, जानें इनके गुण-अवगुण और खास बातें

ALSO READ: नवंबर 2023 में पड़ने वाले व्रत और त्योहार की लिस्ट

Related News

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More