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दिवाली की कितनी थालियां सजाएं, कैसे सजाएं और कौन सी थाली कहां रखें?

हमें फॉलो करें दिवाली की कितनी थालियां सजाएं, कैसे सजाएं और कौन सी थाली कहां रखें?
, शनिवार, 22 अक्टूबर 2022 (18:32 IST)
lakshmi pooja: माता लक्ष्मी की पूजा में यूं तो कई सामग्री लगती है जिसके लिए हमें कुछ थालियों की जरूरत होती है। यदि आप माता की पूजा विधिवत और विस्तृत रूप से करने जा रहे हैं तो नीचे बातई गई पूजा सामग्री के हिसाब से थालियां लेना होंगी। लेकिन यदि आप सामान्य या पंचोपचार पूजा कर रहे हैं तो मात्र 5 थालियों की ही आवश्यकता होगी। लेकिन षोडशोपचार पूजा रहे हैं तो ज्यादा थालियां लगेगी।
 
1. आरती की थाली । aarti ki thali:  इसमें आप छोटा दीया रखें, छोटी घंटी रखें और एक छोटी कटोरी कर्पूर जलाने के लिए रखें। इसके अलावा इस थाली में कुछ न रखें।
 
2. पूजा की थाली । Pooja ki thali: इस थाली में आप पूजा की सामग्री रखें। जैसे हल्दी, कुमकुम, चंदन, कर्पूर, चावल, गुलाल, अबीर, मौली, इत्र, तुलसी दल, पुष्प, श्रीफल, पान, केसर, सिंदूर, रोली, सौभाग्य द्रव्य, लक्ष्मीजी का पाना, कुछ सिक्के आदि।
 
3. नैवेद्य की थाली | Naivedya ki ki thali: इस थाली में आप मां लक्ष्मी को अर्पित किए जाने वाले ऋतुफल, खील-बताशे, मिठाई, पंचमेवा और नैवेद्य सामग्री रखें।
 
4. आभूषण, धन की थाली | aabhushan ki thali: चांदी का सिक्का, आभूषण, सोना, चांदी, ली कौड़ी, पंच रत्न, बही-खाता, कलम, दवात आदि।
 
5. जलार्पण करने की थाली | jal arpan ki thali: इसमें जल अर्पण करने और हाथ थोने के कार्य किया जाता है, जिस तरभाणा भी कहते हैं। इसी के साथ आचमनी भी होती है।
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6.अन्य सामान की थाली जिसमें निम्नलिखित पूजा सामग्री रखी जा सकें। हालांकि सामान्य पूजा कर रहे हैं तो ज्यादा सामग्री की आवश्यकता नहीं है:-
 
धूप बत्ती (अगरबत्ती), यज्ञोपवीत 5, रुई, सुपारी, पंच पल्लव, दूध, दही, शकर, घी, शहद, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, गंगाजल, इलायची (छोटी), लौंग, औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि), लक्ष्मीजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र, सफेद कपड़ा (आधा मीटर), लाल कपड़ा (आधा मीटर)
 
2. सिंहासन (चौकी, आसन), जल कलश (तांबे या मिट्टी का), दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), लेखनी (कलम), बही-खाता, स्याही की दवात,  धान्य (चावल, गेहूं), तुला (तराजू), एक नई थैली में हल्दी की गांठ, खड़ा धनिया व दूर्वा आदि, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र।
 
पूजा और आरती की थाली सामने, नैवेद्य की थाली बाईं ओर रखें। पूजा की थालियां उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
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