दिवाली की पौराणिक कथा

Webdunia
शनिवार, 11 नवंबर 2023 (12:59 IST)
Diwali ki pauranik katha: कार्तिक कृष्‍ण पक्ष अमावस्या पर दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा आरती करने के बाद कथा जरूर सुनना चाहिए। हालांकि दिवाली कथा के नाम से कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन उन्हें छोड़कर सिर्फ माता लक्ष्मी से जुड़ी कथा का ही श्रावण करना चाहिए। इस बार दीपावली का पर्व 12 नवंबर 2023 रविवार के दिन मनाया जा रा है। 
 
1. सतयुग की कथा 1- सर्वप्रथम तो यह दीपावली सतयुग में ही मनाई गई। जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो इस महा अभियान से ही ऐरावत, चंद्रमा, उच्चैश्रवा, परिजात, वारुणी, रंभा आदि 14 रत्नों के साथ हलाहल विष भी निकला और अमृत घट लिए धन्वंतरि भी प्रकटे। इसी से तो स्वास्थ्य के आदिदेव धन्वंतरि की जयंती से दीपोत्सव का महापर्व आरंभ होता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात धनतेरस को। तत्पश्चात इसी महामंथन से देवी महालक्ष्मी जन्मीं और सारे देवताओं द्वारा उनके स्वागत में प्रथम दीपावली मनाई गई।
 
2. सतयुग की कथा 2: भगवान श्री विष्णु ने तीन पग में तीनों लोकों को नाप कर तथा राजा बलि की दानशीलता से प्रभावित होकर पाताल लोक दिया तथा आश्वासन दिया कि उनकी याद में भू लोकवासी प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाएंगे।
 
3. सतयुग की कथा 3: देवी महाकाली ने जब राक्षसों का वध करने के लिए रौद्र रूप धारण किया और राक्षसों के वध के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तो भोलेनाथ स्वयं उनके चरणों में लेट गए और शिव जी के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। अत: इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई। इसीलिए दीपावली की रात महाकाली के रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है।
 
4. त्रेतायुग की कथा- त्रेतायुग भगवान श्रीराम के नाम से अधिक पहचाना जाता है। महाबलशाली राक्षसेन्द्र रावण को पराजित कर 14 वर्ष वनवास में बिताकर राम के अयोध्या आगमन पर सारी नगरी दीपमालिकाओं से सजाई गई और यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक दीप-पर्व बन गया।
5. द्वापर युग की कथा 1- द्वापर युग श्रीकृष्ण का लीलायुग रहा और दीपावली में दो महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गए। पहली घटना कृष्ण के बचपन की है। इंद्र पूजा का विरोध कर गोवर्धन पूजा का क्रांतिकारी निर्णय क्रियान्वित कर श्रीकृष्ण ने स्‍थानीय प्राकृतिक संपदा के प्रति सामाजिक चेतना का शंखनाद किया और गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकूट की परंपरा बनी। कूट का अर्थ है पहाड़, अन्नकूट अर्थात भोज्य पदार्थों का पहाड़ जैसा ढेर अर्थात उनकी प्रचुरता से उपलब्धता। वैसे भी कृष्ण-बलराम कृषि के देवता हैं। उनकी चलाई गई अन्नकूट परंपरा आज भी दीपावली उत्सव का अंग है। यह पर्व प्राय: दीपावली के दूसरे दिन प्रतिपदा को मनाया जाता है। 
 
6. द्वापर युग की कथा 2- दूसरी घटना भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक चतुर्दशी को किया था, जो कि दीपावली के एक दिन पहले की तिथि थी, इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को द्वारिका और गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं। नरकासुर नामक राक्षस का वध एवं अपनी प्रिया सत्यभामा के लिए पारिजात वृक्ष लाने की घटना दीपोत्सव के एक दिन पूर्व अर्थात रूप चतुर्दशी से जुड़ी है। इसी से इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। अमावस्या के तीसरे दिन भाईदूज को इन्हीं श्रीकृष्ण ने अपनी बहिन द्रौपदी के आमंत्रण पर भोजन करना स्वीकार किया और बहन ने भाई से पूछा- क्या बनाऊं? क्या जीमोगे? तो जानते हो, कृष्ण ने मुस्कराकर कहा- बहन कल ही अन्नकूट में ढेरों पकवान खा-खाकर पेट भारी हो चला है इसलिए आज तो मैं खाऊंगा केवल खिचड़ी। हां, क्यों न हो, सारे संसार के स्वामी ने यही तो संदेश दिया था कि- तृप्ति भोजन से नहीं, भावों से होती है। प्रेम पकवान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
7. कलियुग की कथा- वर्तमान कलियुग दीपावली को स्वामी रामतीर्थ और स्वामी दयानंद के निर्वाण के साथ भी जोड़ता है। भारतीय ज्ञान और मनीषा के दैदीप्यमान अमरदीपों के रूप में स्मरण कर इनके पूर्व त्रिशलानंदन महावीर ने भी तो इसी पर्व को चुना था अपनी आत्मज्योति के परम ज्योति से महामिलन के लिए। जिनकी दिव्य आभा आज भी संसार को आलोकित किए है प्रेम, अहिंसा और संयम के अद्भुत प्रतिमान के रूप में। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी दीपावली के दिन ही बिहार के पावापुरी में अपना शरीर त्याग दिया। दीपावली के ही दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी शुरू हुआ था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Surya in purva phalguni nakshatra : सूर्य के पूर्वा फाल्‍गुनी नक्षत्र में जाने से 4 राशियों को होगा धन लाभ

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या के दिन विदा होते हैं पितर, जानें डेट व तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Bhadrapada purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और अचूक उपाय

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 16 सितंबर 2024, इन 4 राशियों के लिए लाभदायी रहेगा दिन, जानिए अपना राशिफल

16 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

16 सितंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

Weekly Calendar: सितंबर 2024 के साप्ताहिक पंचांग मुहूर्त हिन्दी में (जानें 16 से 22 तक)

अगला लेख
More