- डॉ. सुरभि अग्रवाल
प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय एड्स दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी के बारे में बताया जा सके। विदित हो कि वर्ष 1980 में अमेरिका में एड्स का सबसे पहले मामले का पता लगा था और तब से इस बीमारी से दुनिया में कैंसर की भांति लाखों लोग मारे जा रहे हैं।
एड्स क्या है? : एड्स या एक्वायर्ड इम्यूनो डिफीशिएंसी सिंड्रोम (एडस) नाम की बीमारी एक वाइरस से पैदा होती है जिसे एच आई वी (ह्यूमन इम्यूनोडिफीशिएंसी वायरस) कहा जाता है। इस वायरस के हमले से शरीर की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है क्योंकि इस बीमारी के चलते विशेष श्वेत रक्त कोशिकाओं (जिन्हें टी सेल्स भी कहा जाता है)। अगर इस बीमारी का समुचित इलाज नहीं किया जाता है तो यह पूरी तरह से एड्स के तौर पर उभरकर सामने आती है।
एचआईवी कैसे फैलता है?
एचआईवी का विषाणु (वायरस) निम्न तरीकों से फैलता है।
- असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
- प्रभावित व्यक्ति की सुइयां, रेजर आदि का इस्तेमाल करने से
- रक्त के चढ़ाने से
एचआईवी प्रभावित व्यक्ति के सीधे सम्पर्क में आने से प्रभावित व्यक्ति के शरीर के द्रव पदार्थों के जरिए एच आई वी संक्रमण हो जाता है। इससे पीडि़त व्यक्ति को अपने घर परिवार, काम की जगह पर पक्षपात या हिंसा का भी शिकार होना पड़ता है। ऐसे लोगों के साथ हिंसा अमानवीय है क्योंकि त्वचा के सम्पर्क में आने, बर्तनों को साझा करने, कपड़ों या निजी उपयोग की वस्तुओं के उपयोग से वायरस नहीं फैलता है।
एच आई वी टेस्ट क्या है? : एक एचआईवी परीक्षण से उन एंटीबॉडीज का पता लगाया जा सकता है जो आपके शरीर में वायरस होने के कारण पैदा होता है। संक्रमण की शुरुआत के बाद करीब 2 से 6 सप्ताह बाद रक्त में एंटीबॉडीज पैदा होते हैं। एच आई वी संक्रमण का पता लगाने के लिए आम तौर पर छह सप्ताह, 3 माह या छह माह पर परीक्षण किया जाता है। टेस्ट से संक्रमण को पकड़ा जा सकता है। मुख्य शहरों में यह उपलब्ध है।
एचआईवी संक्रमण के चिन्ह या लक्षण क्या हैं? : एड्स के लक्षण तुरंत ही पैदा नहीं होते हैं और न ही लक्षणों से एचआईवी संक्रमण का पता लगता है। प्रभावित होने के पहले कुछेह सप्ताहों में प्रभावित व्यक्ति को थकान के साथ हल्का बुखार आता है और इसके बाद आपका गला खराब हो जाता है।
एक या दो सप्ताह बाद ये लक्षण कम हो जाते हैं और आप एक क्रॉनिक स्टेज में प्रवेश कर जाते हैं। यह अवधि एक वर्ष से दस वर्ष तक रह सकती है और यह बात आपके शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करती है। इसके बाद में आपके शरीर में जोखिम वाले लक्षण पैदा होते हैं जोकि पूरी तरह से एड्स में विकसित हो जाता है।
इस बीमारी का अंतिम चरण तब होता है जबकि आपके शरीर में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
-उबकाई आना, बार-बार पाखाना जाने और उल्टियां होती हैं।
-लसीका ग्रंथियों में सूजन आ जाती है।
-बुखार आने के साथ शरीर में त्वचा पर चकत्ते जैसे दाग पड़ जाते हैं।
जैस जैसे बीमारी बढ़ती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और आपके रक्त में टी सेल्स की संख्या बहुत कम हो जाती है जिसके चलते व्यक्ति अन्य प्रकार के संक्रमणों का भी शिकार हो जाता है। लसीका ग्रंथियों में बहुत अधिक सूजन, मुंह और योनि संबंधी संक्रमण बढ़ जाते हैं, असामान्य रूप से शरीर का वजन कम हो जाता है, बुखार तथा रात के समय पसीने आते हैं। ये वे लक्षण हैं जिनसे एचआईवी की बजाय उसके लक्षणों का पता लगता है। अगर इनका इलाज नहीं किया जाता है तो इन लक्षणों के चलते प्रभावित व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
एचआईवी गंभीर होता है? : अगर एचआईवी का इलाज समय पर कर लिया जाता है तो प्रभावित व्यक्ति भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह से जी सकता है और शरीर की क्षमताओं के मुताबिक जीवन की गुणवत्ता भी अधिकतम हो सकती है।
क्या एचआईवी का इलाज संभव है? : फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है लेकिन एंटीरिट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) के चलते इस पर कुछ नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन इम्यूनोथेरेपी में नई खोजों, शोधों के चलते उम्मीद की जाती है कि जल्द ही इस बीमारी का कोई इलाज खोज लिया जाएगा।
एचआईवी की रोकथाम कैसे करें?
-सुरक्षित सेक्स अपनाएं और प्रत्येक बार संभोग करने से पहले एक कंडोम का उपयोग अवश्य करें।
-इस्तेमाल की जा चुकी नीड्ल (सुइयों) का प्रयोग न करें।
-अपना रेजर, ब्लेड किसी के साथ साझा न करें।
-साथ ही, खून चढ़वाने से पहले हर बार इसकी जांच करवाएं।