मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो बरसात के मौसम में तेजी से फैलने के कारण आम हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया में कुल मलेरिया मामलों में से 77 प्रतिशत केवल भारत में ही होते हैं। बारिश में जगह-जगह पानी भर जाता है, चाहे वह सडकों के गड्ढे हो या छत पर रखा खाली मटका। यही जलजमाव मच्छरों के प्रजनन का कारण बनता है। 2015 में यह 91 देशों में फैल गया था।
कारण
1 यह मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है।
2 यदि मलेरिया का बैक्टेरिया रोगी के लीवर में चले जाता है तो वह एक से अधिक वर्ष तक रोगी के शरीर में रह सकता है।
3 मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति के रक्त के आदान-प्रदान से भी यह फैलता है।
4 यदि मच्छर किसी मलेरिया के रोगी को काटकर दूसरे व्यक्ति को काटता है तो उसे भी मलेरिया हो सकता है।
लक्षण
इसका पहला लक्षण है बुखार और ठण्ड से कपकपी होना। इसके अलावा सिरदर्द, उल्दी होना, मन मचलना, थकान और चक्कर आना भी इसके लक्षण है।
बचने के उपाय
1 मलेरिया का मच्छर दिन में नहीं काटता है, रात में मच्छरों से बचने के लिए एंटी मॉस्किटो क्रीम, मच्छरदानी, नीम के धुंए इत्यादि का प्रयोग करें।
2 ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढक सके। ऐसे में मच्छर के काटने की सम्भावना कम हो जाती है।
3 घर के आसपास बारिश के पानी को जमा ना होने दें।
4 बुखार या ठण्ड लगने जैसे लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।