दिपावली के पांच दिनी उत्सव में नरक चतुर्दशी धन तेरस के बाद मनाई जाती है। इसे रूप चौदस भी कहते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल आदि लगाकर स्नान करना चाहिए एवं शाम के समय यम का दीपक लगाना चाहिए। नरक चौदस के दिन 6 देवों की पूजा की जाती है।
1. नरक चतुर्दशी : इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। अत: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ की जाती है।
2.शिव चतुर्दशी : यह दिन भगवान शिव का दिन भी होता है इसलिए इसे शिव चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन शिवजी की पूजा भी की जाती है।
3.वामन पूजा : इस दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाकर चिरंजीवी होने के वरदान के साथ ही यह वरदान भी दिया था कि तेरा राज्य में जो यम को दीपदान देगा उसके पितर कभी नरक में नहीं होंगे।
4.यम पूजा : इस दिन को यम के नाम से भी जानते हैं। इसीलिए इस दिन शाम होने के बाद घर में और उसके चारों ओर दिए जलाए जाते है और यमराज से आकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वस्थ्य जीवन की कामना करते हैं।
5.हनुमान जयंती : कुछ विद्वानों अनुसार इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन हनुमाजी की पूजा भी की जाती है।
6.काली चौदस : बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।