कार्तिक माह में कब मनाया जाएगा गोवर्धन पर्व, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

Webdunia
गुरुवार, 4 नवंबर 2021 (21:32 IST)
दीपावली के पांच दिनी उत्सव में पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी जिसे रूप चौदस भी कहते हैं, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा ( Govardhan puja 2021 date ) और पांचवें दिन भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि कब है गोवर्धन पूजा, क्या है पूजा के मुहूर्त और कैसे करें पूजा। इसे अन्नकूट महोत्सव ( Annakut Mahotsav 2021 ) के नाम से भी जाना जाता है।
 
 
गोवर्धन पूजा कब है 2021 ( Govardhan Puja 2021 ) : कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा का पर्व रहता है। इस बार यह त्योहार 5 नंबर 2021 शुक्रवार को रखा जाएगा।
 
तिथि : शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 05 नबंबर को प्रात: 02:44 से रात्रि 11:14 तक रहेगी।
 
योग : इस दिन आयुष्यमान योग, शोभन योग और सौभाग्य योग रहेगा।
 
5 नवंबर 2201 के दिन पूजा के मुहूर्त :
1. पहला मुहूर्त : सुबह 06:35:38 से 08:47:12 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। 
 
2. दूसरा मुहूर्त : सायंकाल 03:21:53 से 05:33:27 तक शुभ मुहूर्त है।
 
3. तीसरा मुहूर्त : अभिजित मुहूर्त सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 तक।
 
4. चौथा मुहूर्त : अमृत काल शाम 06:35 से रात्रि 08:00 तक।
 
5. पांचवां मुहूर्त : विजय मुहूर्त दोपहर 01:32 से 02:17 तक।
 
6. छठा मुहूर्त : गोधूलि मुहूर्त शाम 05:03 से 05:27 तक।
 
7. सातवां मुहूर्त : सायाह्न संध्या 05:15 से 06:32 तक।
 
8. आठवां मुहूर्त : निशिता मुहूर्त रात्रि 11:16 से 12:08 तक।
 
Govardhan pravat
गोवर्धन पूजा विधि :
1. इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय, बैल, भैंस, भगवान विश्वकर्मा और श्रीकृष्‍ण की पूजा की जाती है। यह पूजा सुबह और शाम को की जाती है।
 
2. घर के सामने गोबर से गोवधर्न पर्वत की आकृति बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन के मध्य में एक मिट्टी के दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिए जाते हैं।
 
3. पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं।
 
4. इसी दिन गाय, बैल, भैंस आदि कृषि कार्य में काम आने वाले पशुओं को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा भी होती है।
 
5. पूजा के बाद गोवर्धन के जयकारे के साथ गोवर्धन की 7 परिक्रमाएं लगाते हैं। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है। इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है।
 
6. इसे अन्नकूट महोत्सव इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन श्रीकृष्‍णजी को छप्पन भोग लगाए जाते हैं।
 
7. ग्रामीण क्षेत्र में अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराके धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाकर उनका पूजन किया जाता है और गौमाता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारते हैं तथा प्रदक्षिणा भी करते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

23 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की 20 खास बातें

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

अगला लेख
More