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देवी लक्ष्मी ने स्वयं बताए हैं दिवाली पर धन प्राप्ति के ये 3 अचूक उपाय: अपनाएं और पाएं अपार समृद्धि

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WD Feature Desk

, शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 (09:12 IST)
Diwali ke upay totke: देवी लक्ष्मी को केवल धन की देवी ही नहीं, बल्कि शक्ति, ऐश्वर्य, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। दिवाली के पावन अवसर पर, जब हर कोई धन की कामना करता है, तो यह जानना आवश्यक है कि धन कमाने और उसे बढ़ाने के लिए स्वयं महालक्ष्मी ने किन तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपदेश दिया है। ये सिद्धांत न केवल धार्मिक हैं, बल्कि आज के आधुनिक जीवन में भी पूरी तरह से व्यावहारिक हैं।
 
श्लोक और मूल सिद्धांत
: धन कमाने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए देवी लक्ष्मी द्वारा बताए गए ये तीन व्यावहारिक उपाय एक प्राचीन श्लोक पर आधारित हैं:
 
श्लोक :
धनमस्तीति वाणिज्यं किंचिस्तीति कर्षणम्।
सेवा न किंचिदस्तीति भिक्षा नैव च नैव च।
 
सरल अर्थ: इस श्लोक में देवी लक्ष्मी ने धन की अलग-अलग मात्रा के अनुसार व्यक्ति को धन कमाने के लिए सही मार्ग चुनने का निर्देश दिया है, और साथ ही सबसे बड़े वर्जित कार्य (भिक्षा) के बारे में बताया है।
 
देवी लक्ष्मी के बताए धन प्राप्ति के 3 सूत्र
इन सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ और सरल भाषा में नीचे विस्तार से समझाया गया है:
 
सूत्र 1: अधिक धन होने पर- 'वाणिज्यं' (व्यवसाय/उद्यमिता)
मूल निर्देश: "धनमस्तीति वाणिज्यं" (यदि पर्याप्त धन है, तो वाणिज्य करो)।
 
आधुनिक व्याख्या: जब आपके पास निवेश करने के लिए पर्याप्त पूंजी है, तो आपको व्यवसाय, व्यापार या उद्यमिता (Entrepreneurship) के मार्ग पर जाना चाहिए। देवी लक्ष्मी सिखाती हैं कि धन को रोक कर नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसे निवेश और जोखिम के माध्यम से गुणन (Multiply) करना चाहिए। व्यवसाय ही अर्थव्यवस्था को गति देता है और अधिक धन पैदा करता है।
 
सूत्र 2: कम धन होने पर- 'कर्षणम्' (परिश्रम/उत्पादन)
मूल निर्देश: "किंचिस्तीति कर्षणम्" (यदि थोड़ा धन है, तो कृषि/उत्पादन करो)।
 
आधुनिक व्याख्या: जब पूंजी सीमित हो, तो ऐसे कार्यों पर ध्यान दें जहाँ सीधा उत्पादन या परिश्रम शामिल हो। 'कर्षणम्' (खेती) का अर्थ है सच्चा शारीरिक या मानसिक श्रम जिसके परिणाम सीधे और मूर्त (Tangible) हों। यह सिद्धांत सिखाता है कि सीमित संसाधनों के साथ भी व्यक्ति को अपनी मेहनत और कौशल के दम पर धन का सृजन करना चाहिए।
 
सूत्र 3: धन न होने पर- 'सेवा' (नौकरी/सेवा)
मूल निर्देश: "सेवा न किंचिदस्तीति" (यदि धन बिल्कुल नहीं है, तो सेवा करो)।
 
आधुनिक व्याख्या: यदि आपके पास व्यवसाय या उत्पादन शुरू करने के लिए पूंजी नहीं है, तो किसी भी प्रकार की नौकरी या सेवा (Job/Service) करके धन कमाने का मार्ग खोलना चाहिए। 'सेवा' का अर्थ है समर्पण और ईमानदारी के साथ अपनी योग्यता का उपयोग करना, जिससे आपको निश्चित आय प्राप्त हो सके और भविष्य के निवेश के लिए पूंजी जमा हो सके।
 
सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत: 'भिक्षा नैव च नैव च'
सभी सिद्धांतों के अंत में, देवी लक्ष्मी एक कठोर चेतावनी देती हैं:
 
"भिक्षा नैव च नैव च।" (किंतु किसी भी हालात में, धन पाने के लिए किसी के सामने भिक्षा मत माँगो। )
 
यह सिद्धांत आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। इसका व्यावहारिक संकेत यही है कि हर इंसान को मेहनत, स्वाभिमान और समर्पण के साथ धन कमाने और बढ़ाने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। दूसरों पर आश्रित होना या मुफ्त में धन की अपेक्षा करना, स्वयं देवी लक्ष्मी की शिक्षा के विरुद्ध है।
 
धन को बढ़ाने का मूलमंत्र: पवित्रता और परिश्रम
देवी लक्ष्मी के इन सिद्धांतों का सार केवल धन कमाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धन को यश, सम्मान और निरोगी जीवन देने वाला बनाता है।
 
  1. शांतिप्रियता और पवित्रता: धन को पाने के लिए मन, वचन और कर्म में पवित्रता आवश्यक है।
  2. दरिद्रता से दूरी: 'दरिद्रता' का अर्थ केवल गरीबी नहीं है, बल्कि मन, वचन और कर्म में बुराईयाँ भी हैं। इन बुराईयों से दूर रहना चाहिए।
  3. पवित्र आचरण: परिश्रम द्वारा कमाया गया धन ही सही मायने में यश और सम्मान देता है और जीवन में स्थायित्व लाता है।
  4. दिवाली पर, इन सिद्धांतों को अपनाकर और मेहनत व ईमानदारी से धन कमाकर ही हम वास्तव में देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
 
इन नियमों का करें पालन:
1. साफ-सफाई (पवित्रता और व्यवस्था)
2. मन की एकाग्रता (लक्ष्य पर ध्यान)
3. दान-दक्षिणा (त्याग और विनिमय)
4. कर्ज और फिजूलखर्च से बचो (ऋणमुक्ति और संयम)
5. कर्म करो (परिश्रम और पुरुषार्थ)

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