Diwali lakshmi pujan Time and vidhi: इस बार सभी मत से 20 अक्टूबर 2025 दिन सोमवार के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन रात में शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल या निशीथ काल में होती है परंतु परंपरा अनुसार लोग इन दोनों के मध्य काल में किसी शुभ मुहूर्त पूजा करते हैं। चलिए जानते हैं पूजा का सही समय और विधि।
20 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त सही समय:
प्रदोषकाल समय: शाम 05:57 से 08:27 के बीच।
पूजा का सही समय: रात्रि 07:08 से 08:17 के बीच।
निशीथ काल समय: मध्यरात्रि 11:47 से 12:36 के बीच।
लक्ष्मी पूजा की सरल और सही विधि:-
माता लक्ष्मी की करें षोडशोपचार पूजा:- षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 तरह से पूजन करना। ये 16 प्रकार हैं- 1.ध्यान-प्रार्थना, 2.आसन, 3.पाद्य, 4.अर्ध्य, 5.आचमन, 6.स्नान, 7.वस्त्र, 8.यज्ञोपवीत, 9.गंधाक्षत, 10.पुष्प, 11.धूप, 12.दीप, 13.नैवेद्य, 14.ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती, 15.मंत्र पुष्पांजलि, 16.प्रदक्षिणा-नमस्कार एवं स्तुति।
माता लक्ष्मी की पूजा में लगने वाली प्रमुख पूजन सामग्री:
प्रतिमा/चित्र:- माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र (लक्ष्मी जी की बैठी हुई मुद्रा शुभ मानी जाती है)।
सजावट एवं आसन:- चौकी/पट्टा, लाल/पीला वस्त्र (आसन के लिए), रंगोली बनाने का सामान।
स्नान और शुद्धि:- गंगाजल, शुद्ध जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल/चीनी का मिश्रण)।
वस्त्र और आभूषण:- देवी-देवताओं के लिए नए वस्त्र, आभूषण, चूड़ियाँ, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेंहदी।
पुष्प और माला:- कमल का फूल (अति आवश्यक), गुलाब या अन्य सुगंधित फूल, फूलों की माला।
अर्घ्य और भोग:- अक्षत (चावल), कुमकुम (रोली), हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल।
प्रकाश और धूप:- दीपक/दीये, तेल/घी, रुई की बाती (नई), माचिस, धूप/अगरबत्ती, कपूर।
नैवेद्य (भोग):- मिठाई, फल (जैसे सिंघाड़ा, गन्ना), बताशे, खील (धान का लावा), पान के पत्ते, सुपारी, इलायची, लौंग।
अन्य महत्वपूर्ण:- कौड़ी, कमलगट्टा, धनिया के दाने, दक्षिणा (पैसे/सिक्के), कलश, आम के पत्ते, पंचपल्लव।
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दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में कमल का फूल, खील-बताशे और धनिया रखना बहुत शुभ माना जाता है।
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दीपक जलाने के लिए घी या तिल के तेल का प्रयोग करें।
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पूजा से पहले पूरे घर और पूजा स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें।
लक्ष्मी पूजा (दीपावली पूजन) की एक सरल और क्रमबद्ध विधि:-
पूजन की तैयारी:
1. स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (हो सके तो नए या धुले हुए) धारण करें। माथे पर तिलक लगाएँ।
2. स्थान और आसन: पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। एक चौकी या पट्टे पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ।
3. मूर्ति स्थापना: चौकी पर भगवान गणेश को दाईं ओर (आपके बाएँ) और माता लक्ष्मी को बाईं ओर (आपके दाएँ) स्थापित करें। (गणेश जी को पहले पूजना शुभ होता है)।
4. कलश स्थापना (संक्षिप्त): एक कलश (लोटा) में जल भरकर, उसमें सुपारी, सिक्का, और कुछ अक्षत डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाकर उस पर एक नारियल रखें। यह कलश वरुण देव का प्रतीक है।
5. धन की स्थापना: मूर्तियों के सामने एक लाल कपड़े पर अपने गहने, धन (सिक्के/नोट), बही-खाते, और व्यापार से संबंधित वस्तुएं रखें।
6. दीपक: घी या तेल का दीपक जलाएँ और उसे अक्षत/हल्दी के आसन पर रखें।
2. पूजा का क्रम: पूजा हमेशा भगवान गणेश से शुरू करें, उसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा करें।
1. पवित्रीकरण- हाथ में जल लेकर स्वयं पर और पूजा सामग्री पर छिड़कें।
2. संकल्प- हाथ में थोड़ा जल, फूल और अक्षत लेकर, मन में अपनी मनोकामना कहें और संकल्प करें कि आप माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने जा रहे हैं। फिर जल को जमीन पर छोड़ दें।
3. गणेश जी का पूजन- गणेश जी को रोली, अक्षत, दूर्वा, फूल और मोदक/लड्डू अर्पित करें। मंत्र: ॐ गं गणपतये नमः।
4. लक्ष्मी जी का आह्वान- माता लक्ष्मी का ध्यान करें। हाथ में फूल लेकर उन्हें अर्पित करें और उनका आह्वान करें।
5. स्नान (पंचामृत)- माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ। प्रतिमा को पोंछकर पुनः स्थापित करें।
6. वस्त्र/आभूषण- माता लक्ष्मी को लाल चुनरी, वस्त्र, और आभूषण (जैसे चूड़ी, बिंदी) अर्पित करें।
7. तिलक और पुष्प- माता लक्ष्मी को रोली (कुमकुम), हल्दी और अक्षत से तिलक करें। उन्हें कमल का फूल (अति आवश्यक) या कोई अन्य लाल/पीला फूल चढ़ाएँ।
8. धूप-दीप- धूप और अगरबत्ती जलाएँ। घी का दीपक प्रज्वलित रखें।
9. नैवेद्य (भोग)- माता लक्ष्मी को खील, बताशे, मिठाई, फल (सिंघाड़ा, गन्ना), पान-सुपारी, और जल अर्पित करें।
10. विशेष समर्पण- कौड़ी, कमलगट्टा, धनिया के दाने और सिक्के माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें।
11. मंत्र जाप- लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें या निम्न मंत्र का जाप करें: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
12. आरती- कपूर या दीपक से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती करें।
13. क्षमा प्रार्थना- हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा माँगें।
4. प्रसाद वितरण- सभी को प्रसाद बाँटें और घर के हर कोने में दीपक जलाएँ।
पूजा के बाद (अगले दिन): पूजा में चढ़ाए गए सिक्के, कमलगट्टा और कौड़ियों को एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या धन स्थान पर रखें। बाकी प्रसाद (खील-बताशे) का पूरे परिवार और पड़ोसियों में वितरण करें।