Diwali 2024: नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली के त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है, जिसे 'यम का दीप' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और परिवार में समृद्धि आती है।
नरक चतुर्दशी का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर धरती को भयमुक्त किया था। इसी दिन की स्मृति में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन यमराज की पूजा का विशेष महत्व होता है। यमराज के नाम से दीपक जलाने से न सिर्फ अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
यम का दीपक जलाने का सही समय और तरीका
नरक चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपक जलाने का एक विशेष समय होता है, जिसे प्रेत काल कहा जाता है। यह समय दिवाली से एक दिन पहले आता है और शाम के समय सूर्यास्त के बाद से लेकर रात तक रहता है। यम का दीपक मुख्य द्वार के बाहर या घर के दक्षिण दिशा में जलाना शुभ माना जाता है।
यमराज के लिए दीपक जलाने से लाभ
अकाल मृत्यु से मुक्ति: यमराज के लिए दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
परिवार में सुख-समृद्धि: इस दीपक को जलाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और परिवार के सदस्यों की लंबी उम्र होती है।
पितरों की शांति: यम का दीप जलाने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
नरक चतुर्दशी पर अन्य पूजा विधि
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इस दिन विशेष रूप से स्नान करने के बाद कड़वे तेल से मालिश करने का रिवाज है, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
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घर की साफ-सफाई और दीप जलाकर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
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चतुर्दशी के दिन यमराज के साथ-साथ भगवान विष्णु और महाकाली की भी पूजा का विधान है।
नरक चतुर्दशी पर इन बातों का रखें ध्यान
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शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर यमराज के लिए दीपक जलाएं।
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इस दिन सकारात्मक सोच रखें और किसी से विवाद न करें।
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जरूरतमंदों को दान दें, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन यमराज के लिए दीप जलाने से न केवल परिवार की सुरक्षा होती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी आती है। इसलिए, इस दिन यम का दीपक अवश्य जलाएं और अकाल मृत्यु से मुक्ति पाएं।
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