1. धन्वंतरि को हिन्दू धर्म में देवताओं का वैद्य (चिकित्सक) माना जाता है। ये एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्वीलोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मीजी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था इसीलिए दीपावली के 2 दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था।
2. इन्हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी 4 भुजाएं हैं। ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए हुए हैं जबकि 2 अन्य भुजाओं में से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे में वे अमृत कलश लिए हुए हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है इसीलिए धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है।
3. इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने शल्य चिकित्सा का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाए गए थे। उन्होंने ही 'सुश्रुत संहिता' लिखी थी। 'सुश्रुत' विश्व के पहले सर्जन थे। दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का विधान है।