दिवाली 2019 : दीपावली के 5 दिनी उत्सव में इस बार 17 त्योहार

अनिरुद्ध जोशी
दीपावली का उत्सव धनतेरस से प्रारंभ होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। इस बीच बहुत से पर्व आते हैं जिनमें महत्वपूर्ण पूजा होती है। आओ जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे खास पर्व और पूजा हैं जिन्हें दिवाली के दौरान मनाया जाता है।
 
पहला दिन : 25 अक्टूबर 2019 (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी)
1. धन तेरस और 2. यम दीपदान:-
 
धनतेरस से दीपोत्सव की शुरुआत होती है। इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी और यम की पूजा की जाती है। इसी दिन ग्रामीण क्षेत्र में मवेशियों को अच्छे से सजाकर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन नए बर्तन और सोने या चांदी के सिक्के खरीदने की परंपरा भी है।
 
 
दूसरा दिन : 26 अक्टूबर 2019 (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी)
3. नरक चतुर्दशी, 4. रूप चौदस, 5. वामन पूजा, 6. शिव पूजा और 7. हनुमान जयंती:- 
 
इस दिन 5 त्योहार या पूजा हैं। इस दिन को शिव चतुर्दशी भी कहते हैं। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। इसे रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल आदि लगाकर स्नान करना चाहिए एवं शाम के समय यम का दीपक लगाना चाहिए। इसी दिन कुछ स्थानों पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा भी की जाती है। खास बात यह है कि इसी दिन हनुमान जयंती भी आ रही है इसलिए इस दिन का महत्व खासा बढ़ जाता है।
 
 
तीसरा दिन : 27 अक्टूबर 2019 (कार्तिक कृष्ण अमावस्या)
8. दीपावली, 9. महावीर निर्वाण दिवस और 10. श्राद्ध अमावस्या, 11. अयोध्या उत्सव:-
 
श्राद्ध अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व और महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस है। इस दिन बंगाल में लक्ष्मी के साथ ही काली माता की पूजा भी की जाती है। अधिकतर जगहों पर लक्ष्मी, कुबेर और गणेश की पूजा होती है। इस दिन लक्ष्मी का अवतरण भी हुआ था। इस दिन श्राद्ध अमावस्या होने के कारण पितरों की शांति के लिए भी कार्य किया जाता है।
 
रामायण के अनुसार इस दिन जब भगवान राम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस लौटे थे, तब उनके स्वागत में पूरी अयोध्या को दीप जलाकर रोशन किया गया था। इस बार दीपावली पर अयोध्या को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है और लाखों दीये जलाकर अयोध्या को रोशन किया जा रहा है।
 
 
चौथा दिन : 28 अक्टूबर 2019 (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा)
12. गोवर्धन पूजा, 13. अन्नकूट महोस्व और 14. बलि पूजा:-
 
इस दिन को पड़वा भी कहते हैं। उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में इस दिन दिवाली मिलन समारोह होता है। परिवार के सभी लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं और साथ में भोजन करते हैं।
 
इसी दिन को अन्नकूट महोत्सव कहते हैं। द्वापर में अन्नकूट के दिन इंद्र की पूजा करके उनको छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे लेकिन ब्रजवासी उस प्रथा को बंद कर इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और गोवर्धन रूप में भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाने लगे। ग्रामीण क्षेत्र में अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है।
 
 
इसके अलावा इसी दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।
 
 
पांचवां दिन : 29 अक्टूबर 2019 (कार्तिक शुक्ल द्वीतिया)
15. भाई दूज, 16. यम द्वीतिया और 17. चित्रगुप्त पूजा:-
दीवावली के 5 दिनी महोत्सव का यह समापन दिवस होता है। यह दिन भी रक्षाबंधन की तरह भाई और बहन का त्योहार होता है। इस दिन बहनें, भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। भाईदूज की पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। इस दिन यमुनाजी के पूजन का भी विशेष विधान है।
 
 
दीपावली के बाद भैया दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

Vaikuntha chaturdashi date 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व, क्यों गए थे श्री विष्णु जी वाराणसी?

13 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Dev uthani ekadasshi 2024: देव उठनी एकादशी का पारण समय क्या है?

नीलम कब और क्यों नहीं करता है असर, जानें 7 सावधानियां

अगला लेख
More