* दृढ़ इच्छाशक्ति को कैसे जगाएं
इच्छा सफलता का शुरुआती बिंदु है, यह हमेशा याद रखें। जिस तरह छोटी आग से कम गर्माहट मिलती है, उसी तरह कमजोर इच्छा से कमजोर परिणाम मिलते हैं। -नेपोलियन हिल
मनुष्य की उपलब्धियों की सीमा उसकी इच्छाशक्ति पर निर्भर है। -एनॉन
पौराणिक साहित्य में इच्छा को शक्ति या देवी का रूप दिया गया है। भावनोपनिषद 2 में क्रियाशक्ति को पीठ, ज्ञानशक्ति को कुंडली और इच्छाशक्ति को महात्रिपुरसुंदरी कहा गया है। इसका निहितार्थ यह हो सकता है कि कुंडलिनी शक्ति के जाग्रत होने पर वह इच्छाशक्ति के जाग्रत होने का आधार बनती है।
इच्छाशक्ति (Willpower) वह वृत्ति चक्र है जिसके अंतर्गत प्रत्यय, अनुभूति, इच्छा, गति या प्रवृत्ति, शरीर धर्म सबका योग रहता है। जो संकल्प को साकार करने का माध्यम बनती है वह इच्छाशक्ति कहलाती है। ऐसी बलवती इच्छा को जिसकी ज्योति अहर्निश कभी मंद न हो, उसे दृढ़ इच्छाशक्ति कहते हैं।
हम सबके जीवन में कई बार ऐसी स्थितियां आती हैं, जब हमें लगता है कि सब कुछ गड़बड़ हो रहा है। ऐसी स्थिति में इच्छाशक्ति (Willpower) ही आपको मुसीबतों से लड़ने में मदद करती है। इस शक्ति के अंतर्गत दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास, कार्य करने की अनवरत चेष्टा और अध्यवसाय आदि गुण आ जाते हैं। यह शक्ति मनुष्य के मुखमंडल पर अपूर्व तेज उत्पन्न करती है और आंखों में सम्मोहन का जादू लाती है। प्रश्न उठता है कि हम अक्सर असफल क्यों हो जाते हैं? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हम अपनी इच्छाशक्ति को अनदेखा कर देते हैं।
संकल्प-शक्ति को दृढ़ बनाकर हम अपनी सोच के अनुसार चीजों को पा सकते हैं। यह सब किसी जादू का नहीं बल्कि श्रेष्ठ और शक्तिशाली संकल्प शक्ति का ही कमाल होता है। मनुष्य की इच्छाशक्ति और बौद्धिक संतुलन 2 अमोघ शक्तियां हैं जिनके बल पर विकट-से-विकट परिस्थिति का भी सामना किया जा सकता है।
इच्छाशक्ति कैसे उत्पन्न होती है?
इच्छाशक्ति एक प्रतिक्रिया है, जो मस्तिष्क और शरीर दोनों से आती है। प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स (माथे के पीछे मस्तिष्क का खंड) वह हिस्सा है, जो निर्णय लेने और हमारे व्यवहार को विनियमित करने जैसी चीजों में मदद करता है। आत्मसंयम या इच्छाशक्ति इसी के अंतर्गत आते हैं। यहीं से इच्छाएं उत्पन्न होती हैं और मन दृढ़-संकल्पित होता है।
इच्छाशक्ति को कैसे जगाएं?
निम्न बिंदुओं पर अभ्यास कर इच्छाशक्ति को जाग्रत किया जा सकता है। इच्छाशक्ति को मजबूत बनाने के लिए शुरुआत करने के लिए सबसे पहले हमें तनाव के स्तर का प्रबंधन करने की जरूरत होती है।
1. सकारात्मक नजरिया
2. तनाव प्रबंधन करना सीखें
3. खुद पर पूरा विश्वास रखें
4. बेहतर ऊर्जा प्रबंधन करें
5. अंत:शक्तियों को केंद्रीभूत करें
6. स्वयं के प्रति ईमानदार बनें
7. सही पोषण, योग और व्यायाम।
अदम्य इच्छाशक्ति के कुछ अद्भुत उदाहरण-
1. हेलन केलर- प्रबल इच्छाशक्ति का इनसे अच्छा उदाहरण कोई और नहीं हो सकता है। हेलन केलर, जो एक बीमारी के चलते ढाई साल की उम्र में ही गूंगी, अंधी और बहरी हो गई थीं, ने अपनी अदम्य जिजीविषा से वो मुकाम हासिल किया, जो अकल्पनीय है। हेलन की इस सफलता के पीछे उनका संकल्प बल कार्य कर रहा था।
कठिन परिश्रम के बल पर उन्होंने लैटिन, फ्रेंच और जर्मन भाषा का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। 8 वर्षों के घोर परिश्रम से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उन्हें सारे संसार में लोग जानने लगे थे। आत्मा के प्रकाश से वे सब देख सकती थीं तथा बधिर होते हुए भी संगीत की धुन सुन सकती थीं। उनका हर सपना रंगीन था और कल्पना स्वर्णिम थी। ये कहना अतिशयोक्ति न होगा कि हेलन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं।
2. दशरथ मांझी- बिहार राज्य के गया जिले में गहलोर नामक गांव के दशरथ मांझी ने प्रबल इच्छाशक्ति का एक अपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया। गरीब दशरथ मांझी की पत्नी का 1959 में केवल इसलिए निधन हो गया, क्योंकि वह अपनी बीमार पत्नी को लेकर समय से अपने गांव से गया शहर तक नहीं पहुंच सका।
दरअसल, उसके गांव व शहर के मध्य एक पत्थर का पहाड़ पड़ता था और उस पहाड़ के किनारे से घूमकर गया शहर तक पहुंचने का रास्ता लगभग 70 किलोमीटर का था। दशरथ मांझी की पत्नी फागुनी देवी ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में ही दम तोड़ दिया। अपनी पत्नी के देहांत के बाद दशरथ मांझी ने रास्ते में खड़े उस पहाड़ को अकेले ही तोड़ना शुरू किया।
22 वर्षों तक की गई लगातार मेहनत के बाद आखिरकार अपने गांव व गया शहर के बीच की लगभग 70 किलोमीटर की दूरी को उसने मात्र 15 किलोमीटर के रास्ते में परिवर्तित कर दिया। उसने लगभग 360 फुट लंबा तथा 25 फुट गहरा तथा लगभग 30 फुट चौड़ा मार्ग गहलोर की पथरीली पहाड़ियों के बीच से निकाल दिया।
3. सैन डियेगो (कैलिफोर्निया) के चार्ल्स हैटफील्ड ने अपनी इच्छाशक्ति के माध्यम से मूसलधार बारिश करवाकर पूरे संसार को आश्चर्यचकित कर दिया। उसे 'कमांडर ऑफ नेचर', 'किंग ऑफ क्लाउड कम्पेलर्स' की उपाधि से नवाजा गया।
मानवी पिंड में अनंत असीम सामर्थ्य विद्यमान है। नाभि हमारी संकल्प शक्ति का केंद्र है। नाभि समस्त जीवन चक्र का आधार है। विचारों के क्रम को हटाते जाइए और नाभि के आसपास मन को केंद्रित करते जाइए। आप पाएंगे कि आप मानसिक रूप से संतुष्ट होते जा रहे हैं और आपकी इच्छाशक्ति जाग्रत हो रही है।
हम जितने बनावटी होते हैं अपने अस्तित्व से उतने ही कटे हुए होते हैं इसलिए हम अपने सामान्य जीवन में नैसर्गिक रहने की कला विकसित करें एवं ज्यादा बनावटी जीवन जीने से दूर रहें। जीवन में सफल होने के लिए निजी जिम्मेदारी लेना और कर्तव्यों का निर्वहन सीखना जरूरी है।
सब कुछ होते हुए भी अगर आप असफल हो रहे हैं तो समझिए आप में इच्छाशक्ति का नितांत अभाव है। एक इच्छा, एक निष्ठा और शक्तियों की एकता मनुष्य को उसके अभीष्ट लक्ष्य तक अवश्य पहुंचा देती है। इसमें किसी प्रकार के संदेह की गुंजाइश नहीं।
किसी ने सत्य कहा है कि 'तृष्णाएं किसी की पूरी नहीं होतीं और संकल्प किसी के अधूरे नहीं रहते। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।'
संदर्भ-
1. भागवत पुराण
2. अखंड ज्योति
3. कल्याण