हमारे सनातन धर्म में समाधि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि समाधि के माध्यम से मनुष्य तत्व साक्षात्कार कर पाने में सफ़ल हो पाता है।
तत्व साक्षात्कार करना जीवन का चरम लक्ष्य है। हमारी ऋषि परम्परा में ऐसे अनेकों उदाहरण मिलते हैं जब ऋषि-मुनियों से अपने यौगिक बल से समाधि का अनुभव किया। ऐसे समाधिस्थ ऋषि मुनियों ने समाधि के कुछ लक्षण बताए हैं। आइए जानते हैं कि समाधि के अष्ट लक्षण कौन से होते हैं-
1. अश्रु- हर्षातिरेक के कारण आंखों से अनवरत आंसू बहना।
2. कम्प- शरीर में कम्पन होना।
3. रोमांच- रोमांच अर्थात् रोंगटे खड़े होना।
4. ह्रदय कम्प- ह्रदय की धड़कन तेज़ हो जाना।
5. स्वेद- पसीना आना।
6. गायन- प्रभु प्रेम में संकीर्तन करने लगना।
7. नृत्य- नृत्य करना।
8. क्रन्दन- प्रभु के विरह में रोना अर्थात् क्रन्दन करना।
जब उपर्युक्त अष्ट लक्षण किसी भी मनुष्य में एक साथ प्रकट होने लगते हैं तब योगीजन उसे समाधि का अनुभव कहते हैं।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
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