* प्राणायाम करने से पूर्व जान लें 10 सामान्य नियम...
प्राणायाम के अभ्यास से मनुष्य अपने रोगों को नष्ट करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। मनुष्य की बहत्तर हजार नस-नाड़ियों में शुद्ध रक्त का संचार होने लगता है, जो उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है।
यूं तो प्राणायाम अनेक प्रकार के हैं, किन्तु यहां हम उन्हीं प्राणायाम की चर्चा करेंगे, जिन्हें गृहस्थी, बाल, युवा, वृद्ध, पुरुष एवं महिलाएं सुविधापूर्वक करके लाभ प्राप्त कर सकें। प्राणायाम करने वाले को कुछ सावधानियों के साथ नियमों का पालन करना आवश्यक है-
10 सामान्य नियम जानिए
* प्राणायाम करने का सबसे उत्तम समय प्रातःकाल शौचादि से निवृत्त होने के पश्चात् है। सायंकाल में की कुछ हल्के प्राणायाम किए जा सकते हैं।
* स्थान स्वच्छ, शांत और हवादार होना चाहिए।
* पद्मासन, सिद्धासन अथवा सुखासन पर बैठकर प्राणायाम करना चाहिए।
* प्राणायाम करने वाले साधक का आहार-विहार संतुलित, सात्विक एवं पवित्र होना चाहिए।
* प्राणायाम का अभ्यास श्रद्धा, प्रेम, धैर्य और सजगता के साथ नियमित करना चाहिए।
* किसी रोग की स्थिति में तथा गर्भवती महिलाओं को वेगयुक्त प्राणायाम नहीं करने चाहिए।
* दमा, उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगियों को कुंभक नहीं करना चाहिए।
* प्रत्येक प्राणायाम अपनी क्षमतानुसार करें, किसी स्तर पर किसी प्रकार के कष्ट का अनुभव न हो अथवा श्वास घुटने न पाए।
* प्राणायाम करने वाले साधक के वस्त्र मौसम के अनुकूल कम से कम तथा ढीले होने चाहिए।
* हर एक प्राणायाम करने के पश्चात् एक दो गहरे लंबे सांस भरकर धीरे-धीरे निष्कासित करके श्वास को विश्राम देना चाहिए। उखड़े श्वास में कभी भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।