Dhanteras ke upay : धनतेरस का पर्व, दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का आरंभ बिंदु है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन धन के देवता कुबेर, आरोग्य के देव धन्वंतरि और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर किए गए कुछ चमत्कारी उपाय न केवल आर्थिक बाधाओं को दूर करते हैं, बल्कि पूरे वर्ष के लिए घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास सुनिश्चित करते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ अचूक और सरल उपायों के बारे में:
1. मुख्य द्वार पर 'ॐ' का शुभ प्रतीक: अपने घर का मुख्य दरवाजा वह स्थान होता है जहाँ से ऊर्जा और धन का प्रवेश होता है। धनतेरस की रात इस द्वार पर 'ॐ' का चिन्ह बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस उपाय के लिए चावल को हल्दी के साथ पीसकर एक प्राकृतिक पेस्ट बनाया जाता है। हल्दी को शुभता और आरोग्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि चावल को सनातन धर्म में अन्न, समृद्धि और अक्षत का प्रतीक माना जाता है। 'ॐ' को ब्रह्मांड की ध्वनि और प्रथम ध्वनि माना जाता है। इसे सभी मंत्रों का बीज माना गया है। घर के मुख्य द्वार पर इस चिन्ह को बनाने का अर्थ है, ब्रह्मांडीय सकारात्मक ऊर्जा और मां लक्ष्मी का खुले दिल से स्वागत करना। यह चिन्ह नकारात्मकता को घर से बाहर रखता है और परिवार में शांति व आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।
2. सफेद वस्तुओं का दान: यदि आपके जीवन में लगातार कार्य अटक रहे हैं, धन आने के मार्ग में रुकावटें आ रही हैं या जमा पूंजी नहीं टिक पा रही है, तो धनतेरस के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना एक शक्तिशाली उपाय है। चीनी, बताशा, खीर या चावल जैसी सफेद वस्तुओं का दान ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष में सफेद रंग शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे धन, वैभव, सुख-सुविधा और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। शुक्र की स्थिति मजबूत होने पर जीवन में भौतिक सुखों की कमी नहीं रहती। सफेद वस्तुओं का दान करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, जिससे धन से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं और समृद्धि के मार्ग खुलते हैं। यह दान, खासकर गरीबों और जरूरतमंदों को करना, 'स्थिर लक्ष्मी' की कृपा दिलाता है।
3. दक्षिणावर्ती शंख का जल छिड़काव: धनतेरस पर सबसे प्रभावशाली उपायों में से एक है दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग। पूजा शुरू करने से पहले और पूजा समाप्त होने के बाद शंख में जल भरकर पूरे घर में छिड़काव करना चाहिए।
पौराणिक और ऊर्जा आधारित तथ्य: पौराणिक कथाओं के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख समुद्र मंथन से प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक है। इसे मां लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है, क्योंकि दोनों की उत्पत्ति एक ही स्थान से हुई है। जिस घर में यह शंख होता है, वहां मां लक्ष्मी स्वयं वास करती हैं। जल छिड़कने से पहले शंख से निकलने वाली ध्वनि और इसका जल वातावरण की सभी नेगेटिव एनर्जी को नष्ट कर देता है। यह शुद्धिकरण का कार्य करता है और मां लक्ष्मी के लिए एक पवित्र, शांत मार्ग तैयार करता है, जिससे घर में धन-धान्य का आगमन स्थायी रूप से होता है।
इन चमत्कारी उपायों को सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर, धनतेरस की रात मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे न केवल धन की कमी दूर होती है, बल्कि पूरे परिवार के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैलता है।
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