उन्होंने बुधवार को एक वीडियो संदेश में कहा कि मध्यम वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की असली महाशक्ति है, लेकिन लंबे समय से इसे नजरअंदाज किया गया है और केवल कर संग्रह के लिए इसका शोषण किया गया है। केजरीवाल ने मध्यम वर्ग की चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से सात सूत्री चार्टर की घोषणा की।
उनकी मांगों में शिक्षा बजट को मौजूदा दो प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना और निजी स्कूलों की फीस की सीमा तय करना शामिल है। उन्होंने सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के वास्ते उच्च शिक्षा के लिए सब्सिडी और छात्रवृत्ति का भी प्रस्ताव रखा।
आप प्रमुख ने स्वास्थ्य सेवा खर्च में वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर हटाने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा खर्च को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव दिया। केजरीवाल ने मध्यम वर्ग पर भारी वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए आयकर छूट सीमा को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की भी मांग की।
उनकी मांगों में एक और मांग आवश्यक वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) हटाने की थी, जिसके बारे में केजरीवाल ने तर्क दिया कि इससे मध्यम वर्ग के परिवारों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा सहित अधिक मजबूत सेवानिवृत्ति योजनाओं की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से राजनीतिक दलों ने मध्यम वर्ग को मानसिक रूप से दास बना दिया है। उन्होंने मध्यम वर्ग से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनाने का संकल्प जताते हुए कहा कि आप के सांसद आगामी संसदीय सत्रों में मध्यम वर्ग की आवाज उठाएंगे।
यह घोषणा पांच फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले की गई है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आठ फरवरी को घोषित किए जाएंगे।
edited by : Nrapendra Gupta