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Delhi Assembly Election Results 2020 : मुस्लिमों की पहली पसंद बने अरविंद केजरीवाल, जीते सभी 5 उम्मीदवार, कांग्रेस की जमानत जब्त

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, मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020 (20:56 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजों से लगता है कि राष्ट्रीय राजधानी के अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की पहली पसंद अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) ही रही।
 
आप ने मटिया महल, सीलमपुर, ओखला, बल्लीमारान और मुस्तफाबाद से मुस्लिम समाज के प्रत्याशियों पर भरोसा जताया था। वहीं, कांग्रेस ने भी इन 5 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। आप के सभी 5 मुस्लिम उम्मीदवार बड़े अंतर से जीते हैं, जबकि कांग्रेस के 5 मुसलमान प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है।
 
ओखला से आप उम्मीदवार एवं दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्ला खान को 1,20,660 (70.64 प्रतिशत) वोट मिले हैं। उन्होंने भाजपा के ब्रह्मसिंह को लगभग 70,000 मतों से पराजित किया है, जबकि इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर 4 बार विधानसभा पहुंचे और फिर राज्यसभा सदस्य भी रहे परवेज़ हाशमी को सिर्फ 4,575 (2.68 प्रतिशत) वोट मिले हैं।
 
2013 तक कांग्रेस का गढ़ रही सीलमपुर सीट पर भी आप के प्रत्याशी अब्दुल रहमान को 72,694 (56.05 फीसदी) वोट मिले हैं। वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कौशल कुमार मिश्रा से 36,920 वोटों से जीत गए हैं। 1993 से लगातार 2015 तक विधायक रहे कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी मतीन अहमद तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 20,247(15.61 प्रतिशत) वोट मिले।
 
दिल्ली सरकार में मंत्री और बल्लीमारान से आप उम्मीदवार इमरान हुसैन का भी अल्पसंख्यक समुदाय ने पूरा साथ दिया है, जबकि शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे हारून यूसुफ तीसरे नंबर पर रहे।
 
हुसैन को 65,644 (64.65 प्रतिशत) वोट मिले और वे भाजपा की उम्मीदवार लता से 36,172 वोटों के अंतर से जीत गए। 1993 से  2015 तक इसी सीट से विधायक रहे यूसुफ को मात्र 4,802 (4.73 प्रतिशत) वोट मिले हैं। इस बार मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से आप उम्मीदवार हाजी युनूस ने जीत दर्ज की है। पिछली बार यहां से भाजपा के जगदीश प्रधान जीते थे।
 
युनूस को 98,850 (53.2 प्रतिशत) वोट मिले हैं और वे भाजपा उम्मीदवार प्रधान से 20,704 वोटों से आगे चल रहे हैं। इस सीट से 2008  और 2013 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले हसन अहमद के बेटे अली महदी को 5,363 (2.89 प्रतिशत) वोट मिले हैं।
 
मटिया महल सीट पर 1993 से कभी भी कांग्रेस नहीं जीती है। यहां से अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर इकबाल ही जीतते आए, लेकिन 2015 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे इकबाल को हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार उन्होंने आप के टिकट पर चुनाव लड़ा है और छठी बार विधानसभा पहुंचे हैं। (भाषा)

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