Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कौन बनेगा प्रधानमंत्री? मोदी, राहुल या...!

हमें फॉलो करें कौन बनेगा प्रधानमंत्री? मोदी, राहुल या...!

फ़िरदौस ख़ान

वक़्त कैसे बीतता है, पता ही नहीं चलता। कल की ही सी बात लगती है। अब फिर से आम चुनाव का मौसम आ गया। अगले ही बरस लोकसभा चुनाव होने हैं। सभी सियासी दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अवाम में भी सरग़ोशियां बढ़ गई हैं। सबकी ज़ुबान पर यही सवाल है कि अगली बार किसकी सरकार आएगी? क्या भारतीय जनता पार्टी वापसी करेगी? अवाम ने जिन 'अच्छे दिनों' की आस में भाजपा को चुना था, वो तो अभी तक नहीं आए और न ही कभी आने की ही उम्मीद है।
 
ऐसे में क्या अवाम भाजपा को सबक़ सिखाएगी और देश की बागडोर एक बार फिर से कांग्रेस को सौंपेगी? अवाम कांग्रेस को चुनेगी, तो कांग्रेस की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। क्या पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे? हालांकि पार्टी की तरफ़ से यही दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा।
 
 
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि मोदी का विकल्प सिर्फ़ और सिर्फ़ राहुल गांधी ही हैं। कोई और नहीं हो सकता। कांग्रेस और देश के लोग राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।
 
 
पार्टी के वरिष्ठ नेता एम. वीरप्पा मोइली का भी यही कहना है कि पार्टी और युवाओं की महत्वाकांक्षा राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनते देखना है। वे कहते हैं कि राहुल गांधी अब नरेन्द्र मोदी से तुलना से परे हैं। वे एक मज़बूत व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं। बेशक कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता और पार्टी समर्थक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन क्या ख़ुद राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं?
 
 
ये जगज़ाहिर है कि अपने पिता की तरह ही राहुल गांधी भी सियासत में नहीं आना चाहते थे, लेकिन उन्हें सियासत में आना पड़ा। साल 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत मिली थी और राहुल गांधी भी भारी मतों से चुनाव जीतकर सांसद बने थे। केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। लेकिन राहुल गांधी ने सरकार में कोई ओहदा नहीं लिया। वे पार्टी संगठन से ही जुड़े रहे। इसी तरह साल 2009 के आम चुनाव में भी कांग्रेस ने जीत का परचम लहराते हुए वापसी की और राहुल गांधी ने भी अपने निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में शानदार जीत हासिल की।
 
 
क़यास लगाए जा रहे थे कि वे इस बार ज़रूर सरकार में कोई अहम ज़िम्मेदारी संभालेंगे, लेकिन इस बार भी उन्होंने सरकार में कोई ओहदा लेने से इंकार करते हुए संगठन को मज़बूत करने पर ही ज़्यादा ध्यान दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी चाहते तो वे प्रधानमंत्री बन सकते थे।
 
आज हालात और हैं। पहले उनकी मां सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभाल रही थीं, लेकिन आज राहुल गांधी ख़ुद इस ज़िम्मेदारी को निभा रहे हैं। अब उन पर दोहरी ज़िम्मेदारी है। पहली पार्टी संगठन को मज़बूत करने की और दूसरी खोया हुआ जनाधार हासिल करके पार्टी को हुकूमत में लाने की। क्या ऐसे हालात में वे ख़ुद प्रधानमंत्री बनना चाहेंगे और पार्टी अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी किसी वरिष्ठ नेता को सौंप देंगे? या फिर ख़ुद पार्टी की ज़िम्मेदारी संभालते रहेंगे और किसी अन्य क़रीबी नेता को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उसका नाम पेश करेंगे?
 
 
पार्टी के क़रीबी सूत्रों का मानना है कि राहुल गांधी अपने एक क़रीबी नेता को प्रधानमंत्री बनाना चाहेंगे। पार्टी का ये क़रीबी नेता उनके पिता राजीव गांधी का भी विश्वासपात्र रहा है। इस नेता के गांधी परिवार से गहरे रिश्ते हैं और राहुल गांधी की विदेश यात्रा में वह उनके साथ रहता है। इसके बरअक्स अगर देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है तो प्रधानमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार नरेन्द्र मोदी ही हो सकते हैं।
 
 
ये नरेन्द्र मोदी की ही चतुराई थी कि पिछले लोकसभा चुनाव में हर तरफ़ 'मोदी-मोदी' ही हो रहा था। भले ही मोदी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे, लेकिन चुनाव में भाजपा कहीं नहीं थी। ऐसा लग रहा था कि ये चुनाव कांग्रेस और नरेन्द्र मोदी के बीच है। नरेन्द्र मोदी ने ख़ुद को पार्टी से बड़ा साबित करके दिखा दिया। भाजपाई ख़ुद 'मोदी लहर' की बात कर रहे थे, 'मोदी' नाम की सुनामी की बात कर रहे थे।
 
 
इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अपना ही अलग नज़रिया है। वे मानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में जो सरकार बनेगी, उसमें मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए कोई जगह नहीं होगी। वे ये भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) जीतता भी है, तो उसके सहयोगी दल नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे में मौजूदा गृहमंत्री राजनाथसिंह एनडीए के प्रधानमंत्री बन सकते हैं। इसकी वजह ये है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल नरेन्द्र मोदी से नाराज़ चल रहे हैं। ऐसे हालात में वे मोदी को फिर से मौक़ा नहीं देना चाहेंगे। हां, अगर भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल कर लेती है तो फिर सहयोगी दलों का विरोध भी मोदी की राह में कोई रुकावट नहीं बन पाएगा।
 
 
क़ाबिले-ग़ौर है कि नरेन्द्र मोदी पिछले लोकसभा चुनाव से ही 2024 तक का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसमें उन्हें कितनी कामयाबी मिलती है, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। बहरहाल, इसी माह पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। त्रिपुरा में 18 फ़रवरी को मतदान होगा, जबकि मेघालय और नगालैंड में 27 फ़रवरी को वोट डाले जाएंगे। तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे 3 मार्च को आएंगे। इन तीनों ही राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या 60-60 है।
 
 
गौरतलब है कि त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल 6 मार्च, मेघालय विधानसभा का 13 मार्च और नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 14 मार्च को पूरा हो रहा है। मेघालय में कांग्रेस हुकूमत में है और उसके विधायकों की संख्या 29 है। त्रिपुरा में सीपीआई (एम) 51 सीटों के साथ सत्ता में है। वह पिछले 25 साल से सत्तासीन है। नगालैंड में नगा पीपुल्स फ्रंट की सरकार है और उसके पास 45 सीटें हैं। इनके अलावा इसी साल कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के नतीजे आगामी लोकसभा चुनाव की 'राह' तय करेंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वनडे में सबसे ज्यादा शतक जड़ने वाले बल्लेबाज