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कहानी विदेशों में चमक रहे भारतीय सितारों की

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शरद सिंगी

आज हम बात करते हैं उन प्रसिद्ध भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों की विशेषकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की, जिन्होंने स्वयं अपने ही दम पर आसमान छू लिया और विश्व में भारत को सम्मान दिलाया। जेहन में जो सबसे पहला नाम आता है वह है सुंदर पिचाई का, जिन्हें हाल ही में अल्फाबेट इंकॉर्पोरशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है। यह कंपनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है और गूगल कंपनी की मालिक है। 1 लाख से अधिक इंजीनियर इस कंपनी में काम करते हैं। चेन्नई में जन्मे सुंदर पिचाई ने सन् 2004 में गूगल कंपनी में एक इंजीनियर की हैसियत से अपना करियर का आगाज किया था। आईआईटी से शिक्षित सुंदर पिचाई ने इतनी शीघ्रता से तरक्की की कि जिसे जानकर कोई भी हतप्रभ रह सकता है।
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शांतनु नारायण : इस कड़ी में दूसरा नाम है शांतनु नारायण का जो एडोब इंकॉर्पोरशन के अध्यक्ष और सीईओ हैं। एडोब मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर के लिए जानी जाती है, जिसमे करीब 21000 इंजीनियर काम करते हैं। उन्हें 2019 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। हैदराबाद में जन्मे, शांतनु नारायण ने 1998 में एडोब के दुनिया भर में फैले उत्पाद अनुसंधान विभाग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में प्रवेश किया था,  बाद में वे 2007 में मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन गए। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक उपाधि ली। बाद में अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की। ये एप्पल और सिलिकॉन ग्राफिक्स कंपनियों में भी मह्त्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।
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सत्य नारायण नडेला : दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार बिल गेट्स की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को कौन नहीं जानता जिसने कंप्यूटर को दुनिया भर में इतना लोकप्रिय कर दिया? प्रत्येक भारतीय का सीना तब गर्व से फूल जाता है, जब बताया जाता है कि इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक भारतीय इंजीनियर सत्य नारायण नडेला हैं। इन्होंने  2014 में स्टीव बाल्मर की जगह ली थी।

माइक्रोसॉफ्ट में 22 वर्षों तक कार्य करने के पश्चात नडेला को फरवरी 2014 में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। माइक्रोसॉफ्ट में करीब डेढ़ लाख इंजीनियर काम करते हैं। हैदराबाद में जन्मे नडेला ने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीई उपाधि लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मिल्वौकी से एमएस और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया है।
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राजीव सूरी : राजीव सूरी 1995 में नोकिया में शामिल हुए थे और  अप्रैल 2014 में वहां अध्यक्ष और सीईओ नियुक्त होने से पहले वहीं विभिन्न पदों पर रहे। माइक्रोसॉफ्ट ने जब नोकिया के मोबाइल फोन के कारोबार को ख़रीदा तब सूरी को नोकिया का सीईओ बनाया गया था। भारत में जन्मे सूरी ने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग किया है।
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संजय मेहरोत्रा : सॉफ्टवेयर क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी कंपनी के अध्यक्ष भारत के संजय मेहरोत्रा भी सॉफ्टवेयर क्षेत्र का एक बड़ा नाम हैं। इन्होंने 1988 में फ्लैश मेमोरी, जिसे कंप्यूटर में डाटा स्टोरेज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बनाने वाली विश्वप्रसिद्ध कंपनी स्कैनडिस्क की सह-स्थापना की थी। वे जनवरी 2011 से इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और कार्यकारी कार्यक्रम के लिए स्टैनफोर्ड भी गए। इन्होने कई पेटेंट अपने नाम किए।
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जॉर्ज कुरियन : जॉर्ज कुरियन डेटा मैनेजमेंट कंपनी नेटएप के सन् 2015 से सीईओ और अध्यक्ष हैं। इन्होंने लगभग दो वर्षों तक उत्पाद संचालन के कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में काम किया, नेटऐप में शामिल होने से पहले, जॉर्ज सिस्को सिस्टम्स में एप्लीकेशन नेटवर्किंग एंड स्विचिंग टेक्नोलॉजी ग्रुप के उपाध्यक्ष और महाप्रबंधक थे। केरल के कोट्टायम जिले में जन्मे जॉर्ज ने आईआईटी-मद्रास से इंजीनियरिंग की है।

अन्य गौरवशाली नाम : इनके अतिरिक्त संजय कुमार झा, निकेश अरोरा, फ्रांसिस्को डिसूजा, दिनेश पालीवाल आदि ऐसे गौरवशाली नाम हैं, जो दुनिया की मेगा कंपनियों के महाप्रबंधक हैं। तो ये है भारत के सितारों की चमकती दुनिया जो विश्व के मंच पर जगमगा रहे हैं। अब ये इतने प्रभावशाली उद्योगपति हैं कि विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी इनसे मिलने को आतुर रहते हैं।

आज हर देश चाहता है कि इन उद्योगपतियों की कंपनियां उनके देश में आकर निवेश करे ताकि उनको तकनीक और रोज़गार दोनों का लाभ हो। भारतीय मूल के होने से इन सभी सितारों को भारत बहुत आसानी से आमंत्रित कर सकता है। केवल उन्हें चाहिए उत्पादन और व्यापार करने के लिए उचित माहौल।

यदि भारत उनकी शर्तों पर सही ध्यान देता है तो ये लोग भारत की कहानी बदल सकते हैं। जो विश्व बदल रहे हैं, क्यों न उन्हें भारत में प्रकाश फैलाने के लिए ससम्मान (और साधिकार) आमंत्रित किया जाए। (इस लेखक का विश्वास है कि इस आलेख को पढ़कर हर सुधी पाठक गौरवान्वित अनुभव करेगा)।

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