अभीत और ऊर्जस्वी मोदीजी की पूंछ में पुलवामा करने वालों ने आग लगाने की गलती क्या कर दी उन्होंने बिना वीसा के ही अपने पवनपुत्रों को पहुंचा दिया बालाकोट और वे आतंकियों की लंका में आग लगाकर लौट आए। पवन पुत्र लौट कर आए तो मोदीजी ने (अंगद) अमित शाह की पूंछ में भी आग लगा दी। अमित शाह आनन-फानन में घर के भेदियों और दोगलों की बागड़ में घुस गए और बागड़ का नक्शा ही बदल दिया।
उधर इमरान ने आव देखा न ताव, अपनी टेढ़ी दुम को पूंछ समझकर उसमें आग लगा ली। उसने सोचा था विदेशी आकर उसे बुझा देंगे किन्तु कोई देखने भी नहीं आया। अपनी दुम में आग तो खुद ने लगा ली अब बुझाने का रास्ता नहीं सूझ रहा। वैसे भी ट्रंप के सामने इमरान की दुम अपने आप हिलने लगती है। ऊपर से बाबा ट्रंप ने और हवा झल दी। बाद में यूएई ने इस आग पर और पेट्रोल डाल दिया। अब जली दुम को लेकर वे अपने ही देश में उछलकूद मचा रहे हैं।
घर में जलाने के लिए कुछ बचा नहीं है तो फिर उसने पाकिस्तानी टेलीविजन पर अवाम को अपनी जलती दुम को दिखाकर भारत पर भड़ास निकाली। जनता को समझा रहे हैं देखो हमने अपनी दुम में ही आग लगा रखी है और इससे अधिक क्या कर सकते हैं। हम विश्व के नेताओं को आग लगाने का कारण भी समझा रहे हैं किन्तु उन नासमझ लोगों को समझ नहीं आ रहा। आग लगी दुम को दबा भी नहीं सकते। स्वयं ही जलेंगे इसलिए अवाम को नसीहत दी कि हर शुक्रवार को आप भी अपनी दुम में आग लगाकर मेरी दुम के साथ दुम मिलाइए।
उधर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी अपनी दुम खुद सुलगा ली और ऐसे भाग रहे हैं जैसे किसी ने पटाखे दुम पर बांध दिए हों, एक देश से दूसरे देश। कभी इस्लाम के नाम पर तो कभी दोस्ती के नाम पर, आग को बुझाने की भीख मांग रहे हैं। इधर मोदीजी अपनी प्रज्जवलित पूंछ को लेकर फ्रांस पहुंच गए। ट्रंप बाबा से पूछा आग लगाऊं। ट्रंप बोले बस करो। मेरी पूंछ को बख्श दो। मैं आप लोगों के बीच से बाहर ही हो जाता हूं।
जब ग्रुप-7 की बैठक से लौटे तो प्रज्जवलित पूंछ के साथ पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर भारत आ गए। इसको लेकर पाकिस्तान की जनता फिर इमरान के पीछे। पाकिस्तान के आसमान में दुश्मन आग लगाकर चला गया और इमरान तुम कुछ नहीं कर सके। अब मोदीजी ने जो लकीर छोड़ी है उसको पीटो। उधर इमरान यदि हवाई उड़ान की अनुमति नहीं देता तो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में जूते खाता और अब दे दी तो जनता मार रही है।
इधर राहुल बाबा को समझ नहीं आ रहा। अपनी दुम में आग लगाऊं या मोदी जी की पूंछ से आग बुझाऊं। मोदीजी की तो बुझी नहीं तो थोड़ी अपनी ही जला ली। किन्तु पूरी तरह जली नहीं बस अब धुआं कर रही है। धुएं के साथ श्रीनगर के एयरपोर्ट तक घूम आए। उधर पाकिस्तानी मीडिया, कांग्रेस की धुएंदार दुम को दिखा-दिखाकर चीख रहा है कि मोदी को कांग्रेस की दुम का भी ध्यान नहीं है। भारत की जनता चाह रही है कि राहुल बाबा अपनी दुम को पूंछ बनाओ किन्तु चौकड़ी के सदस्य उन्हें बनाने नहीं दे रहे। उधर दिल्ली वाले नेताजी तो अपनी दुम को दबाकर बैठे हैं।
अब इमरान परेशान। इस मोदी की पूंछ की आग को कैसे बुझाए। जानता है कि उसके द्वारा पोषित आतंकियों में पूंछ की हैदस बैठ गयी है। कोई सीमा पार नहीं कर रहा। आतंकियों को गलती से भी भारत की सीमा में घुसा दिया तो दहकती पूंछ वाले को पाकिस्तानी सीमा में घुसने का लाइसेंस मिल जाता है लंका को ढहाने का। सेना को सीमा पर खड़ा करना मुश्किल हो रहा है।
सोच रहा है कि पीओके में सेना तो हमने खड़ी कर दी है किन्तु भारत की सीमा में कौन घुसेगा। गोला-बारूद के पैसे नहीं हैं। हमला कर नहीं सकते। भारत का पूंछ वाला प्रधानमंत्री गेम भी ठीक से नहीं खेलता। बिना डोजियर के घर में सीधे एंट्री लेता है। पिछली सरकार डोजियर पर डोजियर भेजती थी। हमारा दोनों का काम चलता था। अब तौबा। एक बार इस पूंछ की आग किसी तरह बुझा दूं फिर वापस आग लगाने का मौका नहीं दूंगा।