वेबदुनिया का चुनावी विश्लेषण
लोकतंत्र के महापर्व का शंखनाद हो चुका है। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। नई सरकार बनाने के लिए देशभर के अलग-अलग राज्यों में 7 चरणों में चुनाव होगा और चुनाव परिणाम 23 मई को आएंगे। चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान के साथ जहां एक ओर देशभर में आचार संहिता लागू हो गई है, वहीं तारीखों के ऐलान के साथ भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी-अपनी जीत के दावे कर दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर जहां एक ओर चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान का स्वागत किया है, वहीं युवा वोटरों को साधने का दांव भी चल दिया है। वहीं विपक्ष के भी कई नेताओं ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए हैं। सियासी दल चुनावी मैदान में कूद गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस बार का चुनाव किन मुद्दों पर होगा?
'वेबदुनिया' के चुनावी विश्लेषण में 7 चरणों के चुनाव में 7 ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर सभी दल वोटरों को रिझाने की कोशिश करेंगे।
1. एयर स्ट्राइक पर होगी सियासी स्ट्राइक- चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले पाकिस्तान के खिलाफ हुई एयर स्ट्राइक इस बार सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। सत्ता में काबिज भाजपा एयर स्ट्राइक के बाद चुनावी माइलेज लेने में जुटी हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा के सभी बड़े नेता अपनी चुनावी रैली में इस मुद्दों को जमकर भुना रहे हैं, तो मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित समाजवादी पार्टी और टीएमसी के दिग्गज नेता एयर स्ट्राइक पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। पूरा विपक्ष एयर स्ट्राइक से हुए नुकसान के सरकार के दावे के सबूत को सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है। इससे साफ है कि इस बार पूरे चुनावी संग्राम में पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर सियासी स्ट्राइक करेंगे।
2. सियासी रणभूमि में राफेल पर रार- लोकसभा चुनाव में विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की काट ढूंढना है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले काफी समय से राफेल के मुद्दे पर जिस तरह सीधे मोदी पर हमला बोल रहे हैं, उससे साफ है कि राहुल सहित पूरा विपक्ष राफेल की कीमतों में हेर-फेर के लिए सीधे प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराकर बीजेपी की सियासी उड़ान पर ब्रेक लगाने की तैयारी में है। इसके ठीक उलट एयर स्ट्राइक के बाद जिस तरह मोदी की अगुवाई में भाजपा राफेल को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हुई, उससे साफ है कि इस बार चुनाव में राफेल बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।
3. आरक्षण पर होगी आर-पार की लड़ाई- विधानसभा चुनाव में भाजपा को एट्रोसिटी एक्ट के चलते जो नुकसान उठाना पड़ा था, उसकी भरपाई के लिए मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का जो सियासी दांव चला था, उसको भाजपा इस बार चुनावी मुद्दा बनाने का तैयारी में है। भाजपा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई कांग्रेस शासित राज्यों में गरीब सवर्णों को जान-बूझकर इससे दूर रखने को सियासी मुद्दा बनाने जा रही है, वहीं मध्यप्रदेश जैसे राज्य में कांग्रेस सरकार ने आरक्षण पर बड़ा दांव चलते हुए ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का दांव चला है। उसको कांग्रेस मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में चुनावी मुद्दा बनाएगी।
4. चुनावी रण में बजेगा बेरोजगारी के मुद्दे का डंका- लोकसभा चुनावी रण में इस बार बेरोजगारी के मुद्दे का खूब डंका बजेगा। कांग्रेस जहां मोदी सरकार के 5 साल में बेरोजगारी के आंकड़े में रिकॉर्ड बढ़ोतरी को मुख्य मुद्दा बनाएगी, वहीं पकौड़े तलने को रोजगार बताने वाले भाजपा के नेता मध्यप्रदेश में पशु हांकने का रोजगार देने पर कमलनाथ सरकार के फैसले को पूरे देश में मुद्दा बनाएगी।
5. सियासत के केंद्र में रहेगा किसान- लोकसभा चुनाव के केंद्र में इस बार किसान सियासत के केंद्र में रहेगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के लिए ट्रंप कार्ड माने गए कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने है। बीजेपी जहां चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस सरकार के कर्जमाफी को किसानों के साथ धोखा करार देगी तो किसानों के वोटबैंक को रिझाने के लिए किसानों के खाते में डाले गए 6 हजार नकद देने वाली किसान सम्मान योजना को मोदी सरकार की किसान हितैषी योजना करार देगी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अपने चुनावी घोषणा पत्र में सरकार आने पर पूरे देश के किसानों का कर्जमाफी करने की लोक-लुभावनी घोषणा कर सकती है।
6. राम मंदिर का मुद्दा- देश की सियासत में लगभग 3 दशक से हर लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का मुद्दा जोर पकड़ लेता है। इस बार भी ठीक चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले से राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां राम मंदिर मामले पर सुनवाई करते हुए पूरे मामले को बातचीत से हल करने के लिए 3 सदस्यों का एक पैनल गठित कर दिया, वहीं रविवार को ग्वालियर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सालाना बैठक के बाद संघ ने ऐलान कर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर तय स्थान पर ही बनेगा। इससे साफ संकेत है कि इस बार भाजपा चुनाव में राम मंदिर के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी, वहीं कांग्रेस सहित सपा और बसपा पूरे चुनाव में भाजपा और संघ पर राम मंदिर पर सियासत करने का आरोप लगाएगी।
7. मोदी वर्सेस महागठबंधन- इस बार चुनावी बिसात में जो मुद्दा सबसे भारी है, वो है मोदी का चेहरा। भाजपा 2014 की तरह इस बार भी नरेन्द्र मोदी के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में है। पार्टी नरेन्द्र मोदी को अपना वो तुरूप का इक्का का मान रही है जिसके सामने विपक्ष का हर दांव बेकार चला जाता है, वहीं भाजपा और मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए इस बार विपक्ष के सभी दल एकसाथ महागठबंधन बनाया है। लेकिन चुनाव से ठीक पहले जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने खुद महागठबंधन को टारगेट किया है, उससे ये तय है कि इस चुनाव में मोदी वर्सेस महागठबंधन की तर्ज पर लड़ा जाएगा।