Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

20 नवंबर : अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस

हमें फॉलो करें 20 नवंबर : अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस
webdunia

सीमा व्यास

बड़े भी जानें, बच्चों के अधिकार
बड़े अक्सर अपने अधिकारों के बारे में बहुत जागरूक रहते हैं। उन्हें अपने सामाजिक, आर्थिक, व्यावसायिक सभी अधिकारों की जानकारी होती है और वे अपने अधिकारों का उपयोग करते भी हैं। अधिकारों का जरा-सा हनन होने पर आवाज भी उठाते हैं। पर बच्चों को भी संविधान में विशेष बाल अधिकार दिए गए हैं, इसकी जानकारी बहुत कम पालकों को होती है। 

यूं तो सभी माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर परवरिश देने का दावा करते हैं। प्रायः माता-पिता जिस तरीके से बच्चों का पालन करते हैं, उन्हें लगता है हम बच्चों को सभी अधिकार दे रहे हैं। जबकि जाने-अनजाने में बच्चों के कई अधिकारों का हनन करते हैं। हर बच्चे को भोजन और सेहत के अधिकार के साथ ही खुशनुमा माहौल में रहने का और पूर्ण सुरक्षा पाने का भी अधिकार है। कई बार बच्चों के इन अधिकारों का हनन होता है और वे सब कुछ समझते हुए भी मन की बात कह नहीं पाते। 
 
बाल अधिकार देश के हर बच्चे को प्राप्त अधिकार हैं जिसमें उन्हें शि‍क्षा बच्चों को घर-परिवार के साथ समाज में रहने और स्वस्थ विकास के लिए दिए गए अधिकारों की जानकारी सभी को होना चाहिए। 
 
20 नवंबर को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस मनाता है और पालकों को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता है। आइए, बाल अधिकार दिवस के अवसर पर जानें संविधान द्वारा बच्चों को दिए गए बाल अधिकार - 
1  शि‍क्षा - शि‍क्षा विकास की पहली सीढ़ी है। शि‍क्षा पाना हर बच्चे का अधिकार है। हर बच्चे को प्रारंभिक शि‍क्षा पूरी करने का अधिकार है। उसके पहले स्कूल छुड़वाना गलत है। सरकारी स्कूलों में निशुुल्क शि‍क्षा के साथ मध्यान्ह भोजन, यूनिफार्म और पुस्तकें भी प्रदान की जाती हैं। देश का हर बच्चा शि‍क्षा पाने का अधिकारी है।
2 स्वास्थ्य - स्वस्थ रहने का हर बच्चे को अधिकार है। अगर किसी कारण से उसका स्वास्थ्य खराब होता है तो उसे तुरंत और उचित उपचार पाने का भी अधिकार है। कई पालक बीमारी में उपचार के बजाए अन्य उपायों जैसे झाड़ फूंक या अंधविश्वासों पर ध्यान देते हैं जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। उपचार के लिए लड़के-लड़की में किसी प्रकार का भेद करना भी गलत हैं। सभी को समय पर उपचार पाने का अधिकार है।
3 प्रोत्साहन - बच्चे के विकास में सीखना बहुत अहम है। करके सीखने की प्रक्रिया में कई बार उनसे गलती हो जाती है, जो कि स्वाभाविक है। ऐसे में प्रायः माता-पिता उन्हें सजा देते है। जो कि गलत है। बच्चों से गलती अनजाने में होती है। उन्हें आगे गलती न करने और कार्य बेहतर तरीके से करने हेतु प्रोत्साहित चाहिए।
4 सुरक्षा - मारना या हिंसा करना भी बच्चों के अधिकार के खिलाफ है। हर बच्चे को सुरक्षा पाने का अधिकार है। उसके साथ किसी प्रकार की हिंसा न हो। कोई उसका यौन शोषण न करे। बच्चे का अधिकार है कि वह स्वस्थ सामाजिक वातावरण में विकास करे। साथ ही घर का वातावरण सुरक्षित और खुशनुमा हो यह भी पालकों की जिम्मेदारी है।

5  खेल - बच्चों को मैदान या खुली जगह में खेलने का अधिकार है। खेल के मैदान का मंदिर निर्माण या अन्य कार्यों में उपयोग करके उन्हें खेलने से वंचित रखना गलत है। हमारा कर्तव्य है कि बच्चों को खेल का स्थान व समय उपलब्ध कराएं। इसमें भी लड़के और लड़कियों दोनों को खेलने के समान अवसर देना चाहिए। 
webdunia

6 काम - बच्चों से काम करवाना कानूनन अपराध है। 14 साल से छोटे बच्चों को कारखाने और असुरक्षित स्थान पर काम करने की इजाजत नहीं है। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। लड़कियों पर घर के काम का बोझ डालना भी गलत है। बच्चों को काम सीखने के अवसर देना सही है पर आर्थिक सहयोग के लिए उनके अधिकारों का हनन कर काम करवाना गलत है। 
7 भोजन - भरपेट भोजन पाना हर बच्चे का अधिकार है। लड़के-लड़की दोनों को एक सा भोजन मिले। हमारी जिम्मेदारी है कि बच्चे भूखे न रहें। साथ ही उन्हें ऐसा पोषक भोजन मिले जिससे उनका संपूर्ण विकास हो सके।
8  विचार रखना - हर बच्चे को अपने विचारों को सबके सामने रखने का या अपनी बात कहने का अधिकार है। हमारा दायित्व है कि बच्चों की बातें ध्यान से सुनें और उन पर विचार भी करें। घर का माहौल ऐसा हो कि बच्चा बेझिझक मन की बात कह सके। बच्चों के संबंध में लिए जा रहे निर्णयों पर भी उनकी राय ली जानी चाहिए या उन्हें निर्णय की मंशा से अवगत कराना चाहिए। 
9 विशेष सुरक्षा - निःशक्त या विकलांग बच्चों को पूर्ण सुरक्षा पाने का अधिकार है। उन्हें आयोजनों, समारोहों में उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें अकेले छोड़ना, असुरक्षित वातावरण में रहने को बाध्य करना गलत है। ऐसे बच्चों को विशेष सुरक्षा पाने का अधिकार है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम बाल अधिकारों को जानें और अधिक से अधिक पालकों को इस विषय में जागरूक करें। तभी बाल अधिकार दिवस मनाना सार्थक होगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

'फेसबुक ने मेरी बेटी की दुनिया तबाह कर दी'