Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बॉब डि‍लन नोबेल पुरस्कार लेने स्टॉकहोम क्यों नहीं जा रहा है

हमें फॉलो करें बॉब डि‍लन नोबेल पुरस्कार लेने स्टॉकहोम क्यों नहीं जा रहा है
webdunia

सुशोभित सक्तावत

, शनिवार, 26 नवंबर 2016 (14:46 IST)
13 अक्टूबर को बॉब डि‍लन को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। यह निर्णय अप्रत्याशि‍त भले ही हो, आकस्म‍िक नहीं था और नोबेल पुरस्कारों को फ़ॉलो करने वाले बता सकते हैं कि पिछले कई सालों से बॉब का नाम संभावितों की सूची में बदस्तूर लिया जा रहा था। इस मर्तबा साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा देरी से की गई। स्वीडि‍श अकादमी में मतभेदों की भी ख़बरें आईं। ऐसा महसूस हुआ कि किसी और निर्णय पर ना पहुंच पाने की स्थ‍िति में बॉब के नाम की घोषणा कर दी गई। लेकिन तब भी यह मानना ग़लत होगा कि बॉब इसे अपना अपमान मानकर नोबेल पुरस्कार लेने नहीं जा रहा है।
 
जिस दिन बॉब को पुरस्कार दिया गया, उसी रात को शि‍कागो में उसका एक लाइव शो था। उसने वहां इस तरह से परफ़ॉर्म किया, मानो कुछ हुआ ही ना हो। उसकी ऑफिशि‍यल वेबसाइट पर चंद मिनटों के लिए उसे नोबेल पुरस्कार दिए जाने की ख़बर फ़्लैश हुई और फिर उसे वहां से भी हटा लिया गया। पूरे 1 महीने तक नोबेल को 'एक्नॉलेज' ना करने और नोबेल कमेटी के फ़ोन ना उठाने के बाद आखि‍रकार 16 नवंबर को बॉब ने स्वीडि‍श एकेडमी को चिट्ठी लिखी और कहा कि वो नोबेल पुरस्कार लेने नहीं आ पाएगा। बॉब के रवैये से असहज महसूस कर रही स्वीडि‍श एकेडमी ने कहा, 'कोई बात नहीं, लेकिन आप अपना नोबेल लेक्चर तो भि‍जवाएंगे ना।' इस पर अभी तक बॉब ने कोई जवाब नहीं दिया है। वो पहले की तरह अपने लाइव शोज़ कर रहा है। एक मैग्ज़ीन द्वारा नोबेल पुरस्कार के बारे में ज़ोर देकर पूछे जाने पर उसने इतना भर कहा कि 'किसने सोचा था ऐसा भी होता है।'
 
जो लोग बॉब को जानते हैं, उन्हें इससे शायद ही अचरज होगा। इन फ़ैक्ट, उन्हें अचरज तब होता, जब बॉब वह पुरस्कार लेने चला जाता। बॉब की पूरी शख्स‍ियत अनेक आवरणों में दबी हुई है। वह अमेरिकी लोकप्रिय संस्कृति के सबसे रहस्यमयी और प्राइवेट नागरिकों में से है, अलबत्ता अपने पर लादे गए तमगों का प्रतिकार उसने ज़रूर निरंतरता के साथ किया है। ऐसा नहीं है कि इससे पहले वह कभी समारोहों में पुरस्कार लेने नहीं गया है, लेकिन तब भी अंतिम समय तक कोई भी नहीं जानता था कि बॉब आएगा या नहीं। जॉन बाएज़ ने एक दफ़े कहा था कि जब भी वे कहीं पर जाती हैं तो लोग उनसे पूछते हैं, 'इज़ बॉब ऑल्सो कमिंग।' इस पर वे तुरंत जवाब देती हैं : 'वेल, बॉबी नेवर कम्स।'
 
बॉब के गीतों में निहित रहस्यपूर्ण संकेतों और पेचीदा नैरेटिव्ज़ की तफ़्तीश करने में बहुतेरे डि‍लनोलॉजिस्ट सालों से खपते रहे हैं, लेकिन कोई भी ठीक-ठीक बता नहीं सकता है कि 'विज़न्स ऑफ़ जोहान्ना' या 'टेंगल्ड अप इन ब्लू' या 'इट टेक्स अ ट्रेन टु क्राय' में वर्ण‍ित आख्यानों के सूत्र कहां पर छिपे हुए हैं। शायद बॉब ही इस बारे में बता सके, बशर्ते वह कभी बताना चाहे। ये वही बॉब है, जिसने जाने कितनी प्रेस वार्ताओं में पत्रकारों को ऊटपटांग जवाब देकर मीडि‍या को अपना शत्रु बना लिया था। जिसने स्वयं को 'वॉइस ऑफ़ द जनरेशन' कहे जाने पर सख्त आपत्त‍ि लेते हुए इस प्रशस्त‍ि से इंकार कर दिया था। जिसने लेफ़्ट रैडि‍कल्स द्वारा आयोजित एक समारोह में मंच पर जाकर कह दिया था कि लेफ़्ट की पोलिटिक्स से उसका कोई सरोकार नहीं। जिसने फ़ोक फ़ेस्ट‍िवल में रॉक गाना गाकर अपने धुर प्रशंसकों को अपने विरुद्ध कर लिया था। जिसने अपनी ख्याति के चरम पर अघोषित संन्यास ले लिया था और न्यूयॉर्क के दिपदिपाते हुए समुद्र तट को छोड़कर 'वेस्ट कोस्ट' की अनागरिकता में खो गया था। जो मंच पर इस तरह गाता था, मानो उसके श्रोताओं का कोई अस्त‍ित्व ही ना हो, शून्य में आंखें तैराते हुए, अपने गीतों की लोकप्रिय धुनों में रद्दोबदल करते हुए, जो कभी भी एक गीत को एक ही तरह से दो बार नहीं गाता है, जो अपनी आत्मकथा में अपने महानतम गीतों का एक बार भी जिक्र नहीं करता, लेकिन पूरे दो पन्ने उस नाव के क्षतिग्रस्त हो जाने पर शोक मनाने में ख़र्च करता है, जिससे उसने कैरेबियाई द्वीपों की यात्रा की थी।
 
अमेरिकी इसे दूसरी तरह से देख रहे हैं। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में एडम कर्श ने लिखा कि बीस साल से स्वीडि‍श एकेडमी यह दिखावा कर रही थी कि जैसे अमेरिकी लिटरेचर का कोई अस्त‍ित्व ही नहीं है, अब एक अमेरिकी पॉपुलर सिंगर यह जता रहा है, जैसे नोबेल पुरस्कारों का ही कोई अस्त‍ित्व ना हो, लेकिन निश्च‍ित ही यहां पर बॉब अमेरिकी अस्मि‍ता की लड़ाई नहीं लड़ रहा है। वास्तव में हर जीनियस अपने लिए एक 'मिथ ऑफ़ सेल्फ़' रचता है जिसमें वह अपने को 'डि‍फ़ाइन' करने की कोशि‍श में लगातार मुब्ति‍ला रहता है। इस 'मिथ ऑफ़ सेल्फ़' का एक अनिवार्य 'पब्लि‍क पर्सेप्शन' वाला कोण हुआ करता है। 'रिजेक्शन' हमेशा इस मिथ का एक औज़ार होता है। बहुधा इस जीनियस का एक लक्षण अपने बारे में 'कंट्राडिक्टरी' सूचनाएं रचना होता है, बहुधा वह अपने 'पॉपुलर मिथ' को निरस्त करता है और हमेशा उसे अपनी लोकप्रियता से एक किस्म की 'पैथालॉजिकल' चिढ़-सी होती है। मार्केज़ को लगता था कि 'पैट्रियार्क' उसकी सबसे अच्छी किताब है और 'सॉलिट्यूड' एक मज़ाक़ है, बॉब को लगता है कि 'ओह मर्सी' पर एक पूरा चैप्टर लिखा जाना चाहिए और 'हाईवे 61 रीविज़िटेड' का एक बार नाम भी नहीं लिया जाना चाहिए। इसमें एक अंदरूनी संगति है, ऊपर से भले ही यह कितना असंगत लगे।
 
ज्यां पॉल सार्त्र ने नोबेल पुरस्कार दिए जाने पर उस पुरस्कार को आलू के बोरों से बेहतर नहीं बताया था। जेएम कोएट्ज़ी नोबेल लेने पहुंचा लेकिन अपनी स्पीच में कुछ कहने के बजाय 'रॉबिन्सन क्रूसो' की कहानी सुना आया था। मार्लन ब्रांडो ने ऑस्कर पुरस्कार लेने के लिए अपनी जगह एक आदिवासी लड़की को भेज दिया था और बॉब डि‍लन के लिए नोबेल पुरस्कार उसकी प्रेमिका के उस 'लेपर्ड-स्क‍िन पिल-बॉक्स हैट' से बढ़कर नहीं है जिसके बारे में उसने अपने एक गाने में कहा था : 'यू लुक सो प्रिटी इन दैट हैट हनी, कैन आई जम्प ऑन इट समटाइम?' 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्रांतिदूत चे गेवारा के घर में